राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण ठुकराने पर कॉन्ग्रेस पार्टी हर तरफ से आलोचना झेल रही है। विपक्ष तो विपक्ष, पार्टी के नेता ही वरिष्ठ नेताओं के इस फैसले पर सवालिया निशान लगा रहे हैं। ऐसे में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसको सफाई दी है। खड़गे ने शुक्रवार (12 जनवरी 2024) को कहा कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में न जाने का उद्देश्य किसी की भावनाओं या किसी धर्म को ठेस पहुँचाना नहीं है।
उन्होंने कहा, “हम पहले ही कह चुके हैं कि अगर कोई (22 जनवरी को ‘प्राण प्रतिष्ठा’ कार्यक्रम के लिए) अयोध्या जाना चाहता है तो वह जब चाहे, वहाँ जाने के लिए स्वतंत्र है। हालाँकि, कार्यक्रम में शामिल न होने के हमारे फैसले को लेकर बीजेपी लगातार हम पर निशाना साध रही है। यह गलत है। हमारे फैसले का मकसद किसी शख्स या धर्म की भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं था।”
गाँधी परिवार के नजदीकी मल्लिकार्जुन खड़गे ने आगे कहा, “हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछना चाहते हैं कि उन्होंने मुद्रास्फीति और बेरोजगारी को रोकने के लिए क्या कदम उठाए? हम यह भी चाहेंगे कि वह हमारी सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताएँ। ये ऐसे मुद्दे, हैं जो सीधे देश और इसके लोगों को प्रभावित करते हैं।”
बताते चलें कि 22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए सोनिया गाँधी, खड़गे और अधीर रंजन चौधरी को निमंत्रण भेजा गया था। हालाँकि, इन लोगों ने इस निमंत्रण को ठुकरा दिया था। उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को ‘बीजेपी-आरएसएस’ का कार्यक्रम कहकर वहाँ जाने से इनकार कर दिया था।
कॉन्ग्रेस के इस स्टैंड पर बीजेपी ने उस पर देश की पहचान और आत्मा को नकारने का आरोप लगाया है। मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कॉन्ग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, “राम मंदिर हमारा राष्ट्र मंदिर है और प्रभु श्रीराम हमारे अस्तित्व और आस्था के अभिन्न अंग हैं। वह देश की पहचान और आत्मा का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए, अयोध्या में ‘प्राण प्रतिष्ठा’ में शामिल होने के निमंत्रण को ठुकराकर उन्होंने हमारी सभ्यता की जड़ों और राष्ट्रीय पहचान को नकार दिया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।”
वहीं, कॉन्ग्रेस पार्टी के नेता पवन खेड़ा ने शुक्रवार को कहा, “प्राण प्रतिष्ठा’ के आसपास अनुष्ठानों की एक प्रणाली और रिवाज है। यदि यह आयोजन धार्मिक है तो यह आयोजन चारों पीठों के शंकराचार्यों के मार्गदर्शन में क्यों नहीं हो रहा? चारों शंकराचार्यों ने साफ कहा है कि अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा नहीं की जा सकती।”
खेड़ा ने आगे कहा, “अगर ये आयोजन धार्मिक नहीं है तो इसका राजनीतिक होना तय है। मैं किसी पार्टी के कुछ नेताओं को मेरे और मेरे आराध्य देवता के बीच बिचौलियों के रूप में काम करते हुए स्वीकार नहीं कर सकता। हमारे कुछ राजनेता ठेकेदारों की तरह काम कर रहे हैं। तारीख तय करने से पहले बीजेपी ने किस ‘पंचांग’ का हवाला दिया? तारीख (लोकसभा) चुनाव को ध्यान में रखते हुए चुनी गई है।”
कॉन्ग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव ने आरोप लगाया कि यह प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन ‘विशुद्ध रूप से धार्मिक’ नहीं है। इसमें विशिष्ट ‘राजनीतिक निहितार्थ’ हैं। उन्होंने दावा किया कि आगामी आम चुनावों को ध्यान में रखते हुए मंदिर का उद्घाटन उसके निर्माण कार्य पूरा होने से पहले ही किया जा रहा है।
वहीं, कॉन्ग्रेस का एक धड़ा ऐसा भी है, जो राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर सकारात्मक रूख अपनाए हुए हैं। उनमें से एक हैं हिमाचल प्रदेश के कॉन्ग्रेस सरकार के मंत्री विक्रमादित्य सिंह। विक्रमादित्य सिंह प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर अयोध्या में उपस्थित रहेंगे। उन्होंने कहा है कि एक हिंदू होने के नाते वहाँ होना उनकी जिम्मेदारी बनती है।
वहीं विक्रमादित्य सिंह की माँ और हिमाचल कॉन्ग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने शुक्रवार (12 जनवरी 2024) को राम मंदिर निर्माण को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सामने आए एक वीडियो में प्रतिभा सिंह कह रही हैं, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राम मंदिर निर्माण की पहल वास्तव में सराहनीय है।”
हिमाचल प्रदेश के मंडी से कॉन्ग्रेस सांसद प्रतिभा सिंह ने कहा कि उन्हें और उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह को एक संयुक्त निमंत्रण मिला है। वहीं संभल के कल्किधाम पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने भी कॉग्रेस के राममंदिर न्योता ठुकराने के फैसले का विरोध करते हुए कहा था कि श्रीराम मंदिर के निमंत्रण को ठुकराना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और आत्मघाती फ़ैसला है।
वहीं गुजरात की पोरबंदर सीट से कॉन्ग्रेस विधायक अर्जुन मोढवाडिया ने भी इस फैसले का विरोध किया है। उन्होंने कहा था, “भगवान श्रीराम आराध्य देव हैं। यह देशवासियों की आस्था और विश्वास का विषय है। कॉन्ग्रेस को ऐसे (प्राण प्रतिष्ठा में नहीं जाने के) राजनीतिक निर्णय लेने से दूर रहना चाहिए था।”