‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर निकले कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) रह-रहकर ऐसे तर्क दे देते हैं, जिसके कारण लोग उनकी खिल्ली उड़ाने लगते हैं। हिंदूवाद बनाम हिंदुत्व के बाद अब उन्होंने श्रीराम बनाम सियाराम का तर्क पेश किया है। इस तर्क पर लोग राहुल गाँधी का मजाक उड़ा रहे हैं।
राहुल गाँधी ने कहा कि राम और सीता अलग नहीं हैं। इसलिए जब भी राम का नाम लिया जाए तो जय श्रीराम की जगह जय सीताराम या जय सियाराम कहा जाए। उन्होंने परोक्ष रूप से भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) वार करते हुए कहा सियाराम कहने के बजाए आजकल श्रीराम कहा जा रहा है।
राजस्थान के आगर में राहुल गाँधी ने कहा कि यात्रा के दौरान उन्हें एक पंडित मिले थे और उन्होंने हे राम, जय सियाराम और जय श्रीराम में अंतर बताया था। उन्होंने कहा कि पंडित ने यह भी कहा कि अपनी स्पीच में पूछिएगा कि भाजपा के लोग जय सियाराम क्यों नहीं कहते, सिर्फ जय श्रीराम क्यों कहते हैं।
राहुल गाँधी ने कहा, “जय सियाराम… जय सियाराम का मतलब है जय सीता, जय राम। ये सीता और राम एक ही हैं। इसलिए नारा है- जय सियाराम या जय सीताराम। …राम का जो जीने का तरीका था या जो उन्होंने सीता के लिए किया… वे लड़े। जब हम जय सियाराम कहते हैं तो सीता को भी याद करते हैं और समाज में जो सीता की जगह होनी चाहिए उसका आदर करते हैं।”
BJP और RSS पर निशाना साधते हुए उन्होंने आगे कहा, “बीजेपी के लोग जय श्रीराम कहते हैं। वे जय सियाराम या हे राम क्यों नहीं कहते? … इस संगठन में महिला नहीं है। वो जय सियाराम का संगठन ही नहीं है, क्योंकि उनके संगठन में महिला तो आ ही नहीं सकती, सीता तो आ ही नहीं सकती। सीता को तो बाहर कर दिया।”
जय सियाराम 🙏🙏 pic.twitter.com/2VbV5AGJom
— Srinivas BV (@srinivasiyc) December 2, 2022
इस तरह का बयान देकर राहुल गाँधी ने अपने विरोधियों को एक बार फिर मौका दे दिया है। राहुल गाँधी ने शास्त्रों का अध्ययन नहीं किया है, ये तो उनके पुराने बयानों को देख-सुनकर समझा जा सकता है, लेकिन उनके जिस भी सलाहकार ने इस तरह का बयान देने के लिए कहा होगा, संभवत: उसने भी शास्त्रों का अध्ययन नहीं किया होगा।
शास्त्रों में देवी को श्री कहा गया है। श्री का मतलब ही लक्ष्मी, सरस्वती, शक्ति, श्रद्धा, सौंदर्य, ऐश्वर्य, शुभ आदि है। विष्णु को भी श्रीपति कहा गया है, यानी लक्ष्मी के पति। श्री को ब्रह्मांड की प्राण-शक्ति भी कहा जाता है। इस तरह अगर जय श्रीराम कहा जाता है तो इसका मतलब ही है- जय सीताराम या जय सियाराम। हालाँकि, राहुल गाँधी ने इसे हिंदू पुरुषों के नाम के आगे लगाया जाने वाला एक विशेषण मात्र है।
राहुल गाँधी जिस श्री को नए रूप में परिभाषित कर रहे हैं, उस विषय पर ISKCON भी अपनी राय दे चुका है। इस्कॉन ने साल 2019 में कहा था, “जय श्रीराम और जय सीताराम दोनों का अर्थ एक ही है और यह शास्त्र सम्मत है। संस्कृत शब्दकोश के अनुसार संज्ञा के रूप में “श्री” का अर्थ है श्रीमती राधारानी, लक्ष्मी देवी, सीता माता, धन, ऐश्वर्य, सौंदर्य, प्रसिद्धि, ज्ञान, शक्ति, कोई गुण या उत्कृष्टता आदि है।”
Both Jai Sri Ram & Jai Sita Ram mean the same & are authorised by the sastras
— Iskcon,Inc. (@IskconInc) June 4, 2019
According to Sanskrit Dictionary, “Sri” as a noun, means Srimati Radharani, Laxmidevi, Sita Mata , wealth, opulence, beauty, fame, knowledge, strength, any virtue or excellence etc. pic.twitter.com/K64YzDQKg4
संस्कृत के जानकार बताए जाने वाले ट्विटर यूजर नित्यानंद मिश्रा कहते हैं, “जय श्री राम (3 शब्द) हिंदी में सही है, लेकिन संस्कृत में नहीं। इसका अर्थ है ‘श्री (= सीता) और राम की जय’। जय श्रीराम (2 शब्द) हिंदी और संस्कृत दोनों में सही है। हिंदी में, इसका अर्थ है ‘श्रीराम (= सीता के साथ राम) की जय’। संस्कृत में, इसका अर्थ है ‘हे श्रीराम! आप जीतें’!”
जय श्री राम (3 words) is correct in Hindi, but not in Sanskrit. It means “Hail to Shri (=Sita) and Rama”.
— Nityānanda Miśra (मिश्रोपाख्यो नित्यानन्दः) (@MisraNityanand) April 10, 2022
जय श्रीराम (2 words) is correct in both Hindi and Sanskrit. In Hindi, it means “Hail to Shrirama (=Rama with Sita)”. In Sanskrit, it means “O Shrirama! May you win/prevail”! https://t.co/sR0Llm21ew
राहुल गाँधी की इस व्याख्या के बाद सोशल मीडिया पर उनका मजाक उड़ा रहे हैं। विपक्षी दल भाजपा को कोसने के चक्कर में राहुल गाँधी ने ऐसी बात कह दी है, जिसका कोई तुक नहीं है। यह बात विद्वान और धर्मार्थ संस्थान भी मान रहे हैं।