इन दिनों विपक्ष की हकीकत को जनता के सामने लेकर आने वाले हर मीडिया हाउस को विपक्ष द्वारा ‘मोदी मीडिया’ कहा जाता है। अब ऐसे में अगर कोई मीडिया हाउस किसी पार्टी के कारनामों की पोल खोल दे तो ‘मोदी मीडिया मुर्दाबाद’ के नारे लगाने से भी विपक्षी पार्टियों के कार्यकर्ता गुरेज नहीं करते। कुछ ऐसा ही बुधवार को भी हुआ।
हुआ यह कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गाँधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा हटाए जाने को लेकर दिल्ली की सड़कों पर यूथ कॉन्ग्रेस द्वारा विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा था। इस विरोध में बहुत से युवा छात्र भी शामिल थे। ये प्रदर्शन के दौरान काफी उत्तेजित दिखाई दिए। इस प्रदर्शन की कवरेज लगभग हर मीडिया चैनल पर जोर-शोर से चली और मोदी सरकार की खूब आलोचना हुई। लेकिन tv9 भारतवर्ष द्वारा इस प्रदर्शन के कवरेज की कुछ वीडियो अचानक सोशल मीडिया पर वायरल होने लगीं।
ऐसा इसलिए क्योंकि जहाँ अन्य मीडिया हाउस इस प्रदर्शन को गाँधी परिवार के समर्थन में ‘युवाओं का आक्रोश’ वाला एंगल दिखाने की कोशिश कर रहे थे वहीं, TV9 भारतवर्ष के संवादादाता विपिन चौबे ने प्रदर्शनकारियों से बात करने की कोशिश की। इस दौरान उन्होंने जानना चाहा कि आखिर जिस प्रदर्शन में युवा चेहरे इतना बढ़-चढ़ कर अपनी भागीदारी दे रहे हैं, वे मामले की गंभीरता को लेकर कितने सचेत हैं। बस इसीलिए उन्होंने वहाँ मौजूद युवाओं से पूछना शुरू किया कि वो यहाँ क्यों आए हैं? अब ये सवाल इतना भी कठिन नहीं था, क्योंकि अगर आप वहाँ प्रदर्शन के लिए आए हैं तो उसके बारे में तो पता होना ही चाहिए। लेकिन हैरानी तो तब हुई जब वहाँ मौजूद कॉलेज छात्र ये ही नहीं बता पाए कि वो प्रदर्शन कर रहे हैं तो किस चीज के लिए!
हडबड़ाते-सकपकाते वहाँ मौजूद कॉलेज छात्र-छात्राएँ सिर्फ़ यही कहती नजर आईं कि नरेंद्र मोदी ने राहुल गाँधी के साथ बहुत गलत किया है और वो तानाशाही कर रहे हैं। लेकिन जब छात्र-छात्राओं से पूछा गया कि तानाशाही क्या है, तो वे जवाब देते भी हिचकते नजर आए और तानाशाही को छेड़खानी बताने लगे। इसके बाद एक-दूसरे को कैमरे के आगे खींचती छात्राओं से जब पूछा गया कि एसपीजी की फुल फॉर्म क्या है तो वह उसे भी बता नहीं पाईं और कैमरे के सामने से भागने लगीं। इतना ही नहीं, वहाँ कुछ प्रदर्शनकारियों को ये तक नहीं पता था कि राहुल गाँधी की SPG सुरक्षा हटाई गई है। जिसके कारण वह SPG की जगह CPG सुरक्षा कहती नजर आई। जब संवादादाता ने छात्रा से इसकी फुलफॉर्म पूछी तो भीड़ से निकलकर कुछ कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता रिपोर्टर के सामने आ गए और उनके बदसलूकी करने लगे।
Another video… pic.twitter.com/Lb9d4cxsYm
— mukesh oraon ~☺️☺️ (@mukesh_oraon) November 21, 2019
रिपोर्टर से चिल्ला-चिल्ला के पूछा जाने लगा कि वो यहाँ क्या कर रहे हैं। जब उन्होंने कहा कि वो सिर्फ़ सवाल ही तो कर रहे हैं तो उन्हें एक कार्यकर्ता कहता नजर आया कि कॉन्ग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी हैं, जबकि अन्य कार्यकर्ता उसी बीच तेज-तेज आवाज में मोदी मीडिया मुर्दाबाद के नारे लगाने लगे और रिपोर्टर का विरोध होने लगा। जिस पर रिपोर्टर ने साफ कहा कि सवाल पूछने पर मिर्ची लग रही है।
Condition of every pidi, pata kuchh nahi hota bad Government ke against likhna. watch till end ???? pic.twitter.com/hWfNpzam2P
— Shash (@pokershash) November 21, 2019
इसके अलावा बता दें कि इस कवरेज की एक और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। जिसमें कुछ कॉलेज छात्र उग्र होते नजर आ रहे हैं और बैरिकेडिंग को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में विपिन चौबे जब इनके पास जाते हैं और बैरिकेट पर चढ़े एक छात्र से पूछते हैं कि वो प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं, तो वो पहले सिर्फ़ चिल्लाता है- तानाशाही नहीं चलेगी… लेकिन जब उससे पूछा जाता है कि तानाशाही कौन कर रहा है? तो वो कहता नजर आता है कि तानाशाही सब कर रहे हैं और जब पूछा जाता है कि ये प्रदर्शन क्यों हो रहा है तो उसके शब्द होते हैं- “हमें ये सब कुछ नहीं पता हमें बस अपनी टीम के साथ रहना है।” इसके अलावा वीडियों में अन्य छात्रों को ये भी कहते सुना जा सकता है कि ये प्रदर्शन उनकी सुरक्षा के लिए किया जा रहा है और उन्हें सरकारी नौकरियाँ दिलाने के लिए हो रहा है।
गौरतलब है कि ये पहला मामला नहीं है, जब कॉन्ग्रेस के लिए इकट्ठा हुई भीड़ की हकीकत का खुलासा हुआ हो। इससे पहले चुनाव के दौरान भी कई वीडियो के कारण कॉन्ग्रेस पार्टी के समर्थकों पर और उनके प्रदर्शनों की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लग चुके हैं।