केरल (Kerala) में वामपंथियों एक धड़े की जानी-मानी पत्रिका ने अपने ही नेता और राज्य के पहले मुख्यमंत्री को राज्य की राजनीति का सबसे बड़ा गद्दार बता दिया है। CPI का मुखपत्र ‘नवयुगम’ ने ईएमएस नंबूदरीपाद को केरल की राजनीति का सबसे बड़ा गद्दार कहा है। नंबूदरीपाद ना सिर्फ वामपंथियों के सबसे बड़े नेता थे, बल्कि मार्क्सवादी विचारक और केरल पहले मुख्यमंत्री भी थे।
‘नवयुगम’ के नवीनतम संस्करण में ‘कंडालम कोंडालम पडिक्कातावर’ (जो अनुभव से कभी नहीं सीखते) नाम छपे लेख में कहा गया है कि नंबूदरीपाद ने साल 1967 में सीपीआई के मंत्रियों के खिलाफ कदम उठाया था। नंबूदरीपाद और कुछ अन्य नेताओं ने इन मंत्रियों के साथ धोखा किया था। उन्होंने CPI को खत्म करने के इरादे से अपने लंबे समय तक के साथियों को कठघरे में खड़ा कर दिया था।
यह लेख वामपंथी विचाराधारा वाली राजनीतिक पार्टी CPM की पत्रिका ‘चिंता’ में लिखे गए लेख को लेकर विरोध में लिखा गया है। चिंता पत्रिका में लिखे गए लेख में कहा गया था कि CPI को अपने नाम में से ‘कम्युनिस्ट’ शब्द को बहुत पहले हटा देना चाहिए था। इसके अलावा पार्टी के लाल झंडे को छोड़ देना चाहिए था। ‘चिंता’ ने CPI नेताओं एमएन गोविंदन नायर और टीवी थॉमस के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाया था।
नवयुगम ने अपने लेख में आगे कहा कि कहा कि शानदार प्रदर्शन करने वाले CPI नेता सी अच्युता मेनन केरल के अब तक के सबसे लोकप्रिय मंत्री हैं। उनकी लोकप्रियता को देेखते हुए CPM जानबूझकर उन्हें राज्य के राजनीतिक इतिहास से मिटाने की कोशिश कर रही है। इतना ही नहीं, लेख में यह भी कहा गया है कि CPM ने हमेशा कॉन्ग्रेस का समर्थन किया। यहाँ तक इंदिरा गाँधी द्वारा लगाए गए आपातकाल में भी साथ दिया। जबकि, CPI ने आपातकाल का राष्ट्रीय स्तर पर विरोध किया।
लेख में आगे कहा गया है, “CPM लगातार आरोप लगा रही है, क्योंकि उसके पास CPI के खिलाफ कहने के लिए कुछ और नहीं है। माओवादी विरोधी अभियानों की आड़ में 9 लोगों को फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया। जो लोग राजन की मौत के लिए अच्युता मेनन की आलोचना कर रहे हैं, वे लोग माओवादियों की हत्या के लिए वर्तमान मुख्यमंत्री की आलोचना करेंगे?”
दरअसल, साल 1976 में आपातकाल के दौरान कोझिकोड में इंजीनियरिंग के छात्र पी राजन को पुलिस उठा लिया था और पुलिस हिरासत में ही उनकी मौत हो गई थी। उनका पार्थिव शरीर भी मिला था। इस घटना के वक्त अच्युता मेनन केरल के मुख्यमंत्री थे।
नवयुगम ने यह भी कहा कि CPM हमेशा UAPA कानून को लेकर जुमलेबाजी करती रहती है, जबकि इस कानून का दुरुपयोग भी खुद करती है। अदालत ने खुद कहा था कि इस कानून का इस्तेमाल एलन और तवाहा को फँसाने और उन्हें जेल में डालने के लिए किया गया था। बता दें कि छात्र एलन शुहैब और तवाहा फ़ैसल को नवंबर 2019 में माओवादी लिंक के लिए गिरफ्तार किया गया था। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2021 में दोनों को जमानत दे दी थी।
CPI के मुखपत्र ने आरोप लगाया कि CPM ने चुनाव लड़ने के लिए सार्वजनिक रूप से जनसंघ, स्वतंत्र पार्टी और केरल कॉन्ग्रेस के साथ खुलेआम हाथ मिलाया था और इसे एक रणनीति के रूप में उचित ठहराया था। लेख में साल 1964 में कम्युनिस्ट पार्टी के विभाजन को त्रासदी बताया और कहा कि कम्युनिस्टों के पास साल 1965 में केरल में सरकार बनाने का मौका था और लोग इसका समर्थन भी कर रहे थे।