दिल्ली में यमुना की सफाई के नाम पर केजरीवाल सरकार ने हजारों करोड़ रुपए खर्च किए हैं। यह जानकारी दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग द्वारा विधानसभा में दी गई। दूसरी तरफ दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) के अनुसार यमुना का पानी अब भी जहरीला बना हुआ है।
दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, यमुना की सफाई के लिए साल 2017 से 2021 तक 6856.91 करोड़ रुपए खर्च किए गए। हर साल नदी की सफाई पर एक हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने के बावजूद डीपीसीसी की रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली में यमुना नदी पूरे साल प्रदूषित रहती है। फरवरी 2023 में जारी डीपीसीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, जिस स्थान पर नदी शहर से बाहर निकलती है उस स्थान पर नदी के जल में फीकल कोलीफॉर्म (Faecal coliform) सामान्य से 500 गुना अधिक पाया गया था।
यमुना की सफाई को लेकर सीएम केजरीवाल के वादे
दिल्ली सरकार खास तौर पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कई बार यमुना की सफाई को लेकर बड़े-बड़े वादे कर चुके हैं। हाल ही में साल 2023-24 के लिए पेश किए गए बजट में केजरीवाल सरकार ने यमुना की सफाई के लिए 1028 करोड़ रुपए आवंटित किए थे। इस दौरान सीएम केजरीवाल ने वादा किया था कि अगले चुनावों तक यमुना इतनी साफ हो चुकी होगी कि वे इसमें डुबकी लगाएँगे।
दिल्ली सरकार द्वारा यमुना की सफाई के लिए तारीख दर तारीख जारी करने का सिलसिला साल 2015 से चल रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2015 में पाँच साल के भीतर (2020 तक) यमुना नदी को साफ करने का वादा किया था। उसी साल उन्होंने कहा था कि पाँच साल बाद हम दिल्ली के हर निवासी को यमुना किनारे लाएँगे ताकि वे स्वच्छ नदी पर गर्व महसूस कर सकें।
नवंबर 2019 में दिल्ली के सीएम ने कहा था कि उनकी सरकार ने अगले चार से पाँच वर्षों में यमुना को साफ करने की योजना बनाई है। उसी साल दिसंबर में उन्होंने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि अगले विधानसभा चुनाव (2025) तक पूरे गाँव को यमुना में डुबकी लगाने के लिए ले जाएँगे। जनवरी 2020 में दिल्ली असेंबली चुनावों के ठीक पहले अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि 5 साल में यमुना पूरी तरह साफ हो चुकी होगी। 5 साल बाद लोग नदी में डुबकी लगा सकेंगे।
यमुना के प्रदूषण स्तर में बदलाव नहीं हुआ
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के वजीराबाद से लेकर ओखला के बीच का हिस्सा ही यमुना को 76% तक प्रदूषित कर देता है। यमुना नदी की लंबाई लगभग 1400 किलोमीटर है। जबकि वजीराबाद से ओखला के बीच नदी 22 किलोमीटर क्षेत्र में ही बहती है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की वर्ष 2022 की नई रिपोर्ट के अनुसार यमुना के प्रदूषण स्तर में 4 सालों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
सीपीसीबी ने 2018-19 में राजधानी में यमुना के अलग-अलग स्थानों से लिए सेंपल की जाँच की थी। इसमें बायोलाजिकल आक्सीजन डिमांड (BOD) की सबसे ज्यादा मात्रा 83.0 मिलीग्राम प्रति लीटर थी। CPCB ने 2021-22 में दोबोरा नमूने लिए और जाँच की। इस जाँच में बीओडी की मात्रा 83.0 मिलीग्राम प्रति लीटर ही मिली।