केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) का पहले कुछ और रुख था, वहीं अब यूटर्न के बाद उसका रुख कुछ और ही है। गुरुवार (दिसंबर 17, 2020) को दिल्ली विधानसभा में ड्रामेबाजी हुई, जहाँ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तीनों कृषि कानूनों की प्रतियाँ सदन में ही फाड़ डाली। साथ ही तीनों कृषि कानूनों को ख़त्म करने की माँग करते हुए प्रस्ताव भी पारित किया।
अरविंद केजरीवाल ने ऐसा करते हुए कहा कि वे दुःखी और उदास हैं। उन्होंने दावा किया कि वे ऐसा नहीं करना चाहते थे, लेकिन सड़क पर ठण्ड में ठिठुरते प्रदर्शनकारी किसानों को वे धोखा नहीं दे सकते। उन्होंने खुद को पहले एक भारतीय और फिर एक सीएम बताते हुए कहा कि दिल्ली विधानसभा तीनों कृषि कानूनों को नकारती है। लेकिन, दिल्ली सरकार के इस रुख से लगता है कि AAP लगातार यूटर्न पर यूटर्न लेने में माहिर है।
सच्चाई ये है कि दिल्ली सरकार ने इन कृषि कानूनों को नवंबर 2020 में ही प्रदेश में नोटिफाई कर दिया था और ‘दिल्ली राजपत्र’ के जरिए अधिसूचना जारी कर दी थी। दिल्ली की AAP सरकार ने अपने आदेश में स्पष्ट लिखा था कि कि ‘यह किसी भी राज्य की APMC अधिनियम या अन्य कानून के लागू होने के समय प्रवृत्त या प्रलेख के प्रभाव में आने वाले समय में लागू होगा।’ जब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस मुद्दे को बताया तो केजरीवाल ने उन पर निशाना साधते हुए उन्हें केंद्र का साथी बता दिया।
अब केजरीवाल सरकार का एक और यूटर्न देखिए। 2017 में पंजाब में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान AAP ने अपने घोषणा-पत्र में इसी तरह के कृषि कानूनों को लागू करने की बात कही थी। पार्टी ने न सिर्फ APMC में संशोधन करने की बात कही थी, बल्कि कृषि बाजार में प्राइवेट कंपनियों की भागीदारी की वकालत की थी। AAP का दावा था कि इससे आईटी स्टार्टअप्स और इंडस्ट्रीज से किसानों को फायदा होगा। 2016 में AAP के एक एडवर्टाइजमेंट में हर जिले में भारी प्राइवेट निवेश के जरिए कृषि उत्पाद बेचने की व्यवस्था का वादा किया गया था।
अब पार्टी अपने ही वादों से पलट रही है, क्योंकि उसकी विरोधी पार्टी की सरकार ने किसानों के हित में इसे लागू कर दिया है। इससे पहले एंकर रुबिका लियाकत ने कृषि कानूनों को काला कानून बता रहे AAP नेता संजय सिंह से पूछा कि जब कृषि कानून किसान विरोधी है तो फिर दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में नवंबर 23, 2020 को नोटिफाई कर लागू क्यों किया? ये सवाल सुनते ही AAP नेता संजय सिंह बौखला गए और टीवी एंकर को जवाब देने के बजाय आक्रामक हो गए और उल्टा सवाल पूछने लगे कि क्या आप मोदी की पैरवी में बैठी हैं?
Punjab AAP De Naal
— AAP (@AamAadmiParty) September 11, 2016
Private Investment to make agriculture more efficient. pic.twitter.com/AurvVSieXW
रुबिका लियाकत ने फिर से सवाल किया कि अगर यह काला कानून था तो फिर आखिर आम आदमी पार्टी ने इसे नोटिफाई क्यों किया? इस पर संजय सिंह ने टीवी एंकर को धमकाते हुए मोदी और अडानी तक का नाम बहस के बीच लेने लगे और ABP न्यूज़ चैनल को बिकाऊ कहने लगे। संजय सिंह ने रुबिका लियाकत पर आरोप लगा दिया कि वो मोदी के लिए काम कर रही हैं, मोदी का चैनल चला रही हैं और अडानी के साथ मिली हुई हैं। रुबिका ने भी जवाब दिया कि आप जिनकी गुलामी कर रहे हैं उनकी बात करिए, मैं देश की गुलामी कर रही हूँ, हिंदुस्तान की गुलामी कर रही हूँ।