महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन की तस्वीर अभी साफ़ नहीं है। बावजूद इसके शपथ ग्रहण की तैयारियाँ ज़ोरों पर चलने की खबर आ रही है। इससे संकेत मिलता है कि पर्दे के पीछे बातचीत करीब करीब मुकम्मल हो चुकी है। इन कयासों को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच बैठक से भी बल मिला है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक मुंबई में विधान भवन के कैंपस में शपथ ग्रहण की तैयारियाँ चल रही हैं। शपथ ग्रहण के लिए स्टेज बनाया जा रहा है। शामियाना लगाया जा रहा है, कुर्सियाँ लगाई जा रही है। बाक़ी तैयारियाँ भी ज़ोरों पर है।
इस बीच फडणवीस और उद्धव ठाकरे की मुलाकात की भी खबर है। बताया जा रहा है कि शिवसेना को राज्य कैबिनेट में आधी भागीदारी देने को भाजपा तैयार है। इस संबंध में फडणवीस ने ठाकरे को आश्वस्त किया है। इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि दोनों के बीच शुक्रवार देर रात बात हुई। ठाकरे ने नरम रवैया अपनाते हुए केंद्र की मोदी सरकार में दो अतिरिक्त मंत्री पद की माँग रखी है। इसमें एक पद केंद्र में कैबिनेट मंत्री और एक पद राज्य स्तरीय मंत्री की माँग शामिल है। एक कैबिनेट स्तर का और दूसरा राज्य स्तर के मंत्री का।
महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध और अटकलबाजियों के बीच एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार सोमवार (4 नवंबर) को कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी से मुलाक़ात कर सकते हैं। इसके संकेत एनसीपी विधायक दाल के नेता अजित पवार ने दिए हैं। हालाँकि, विपक्ष में बैठने के अपने फैसले से पीछे हटने के अभी तक एनसीपी के कोई संकेत नहीं दिए हैं।
इससे पहले शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा था कि उनकी पार्टी गठबंधन धर्म का पालन कर रही है और अंत तक करेगी। संजय राउत की यह टिप्पणी तब सामने आई थी, जब महाराष्ट्र के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने राज्य राष्ट्रपति शासन की तरफ़़ जा सकता है। साथ ही मुनगंटीवार ने शनिवार (1 नवंबर) को भरोसा जताया था कि राज्य में 10 नवंबर से पहले नई सरकार का गठन हो जाएगा। उन्होंने संवाददाताओं से कहा था कि नई सरकार का शपथ ग्रहण 6 या 7 नवंबर को होगा।
ग़ौरतलब है कि महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 105 और उसकी सहयोगी शिवसेना को 56 सीटें मिली हैं। कॉन्ग्रेस ने 44 और उसकी सहयोगी एनसीपी ने 54 सीटों पर जीत हासिल की है। ऐसे में शिवसेना, कॉन्ग्रेस और एनसीपी साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं। लेकिन, कॉन्ग्रेस सहयोगी एनसीपी के रुख को देखकर संशय में है। पवार ने नतीजों के तुरंत बाद कह दिया था कि उनकी पार्टी विपक्ष में बैठेगी। उन्होंने कहा था कि जनादेश भाजपा-शिवसेना गठबंधन को सरकार बनाने के लिए मिला है। इसके बाद से एनसीपी लगातार अपने इस रुख को दोहरा रही है। वहीं, शिवसेना ढाई साल के लिए भाजपा से सीएम पद मॉंग कर रही है।