Saturday, July 27, 2024
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महाराष्ट्र: राष्ट्रपति शासन की आहट से शिवसेना सहमी, समर्थन पर कॉन्ग्रेस बँटी

चुनाव में भाजपा को 105 और उसकी सहयोगी शिवसेना को 56 सीटें मिली हैं। कॉन्ग्रेस ने 44 और उसकी सहयोगी एनसीपी ने 54 सीटों पर जीत हासिल की है। शिवसेना, कॉन्ग्रेस और एनसीपी साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं, लेकिन पवार इसके लिए उत्साहित नहीं हैं।

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के 11 दिनों बाद भी सरकार गठन को लेकर सियासी घमासान जारी है। ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद की मॉंग पर अड़ी शिवसेना की परेशानियॉं राष्ट्रपति शासन की अटकलों ने बढ़ा दी है। एनसीपी और कॉन्ग्रेस से भी उसे समर्थन मिलने के आसार नहीं दिख रहे। एनसीपी बार-बार दोहरा रही है कि वह विपक्ष में ही बैठेगी, जबकि शिवसेना को समर्थन के मसले पर कॉन्ग्रेस दो धड़े में बॅंट गई है।

शिवसेना सांसद संजय राउत ने राष्ट्रपति शासन को विधायकों के लिए धमकी बताया है। उन्होंने कहा, “अगर किसी राज्य में सरकार बनाने में देरी हो रही है और सत्तारूढ़ पार्टी के एक मंत्री का कहना है कि महाराष्ट्र में सरकार नहीं बनी तो राष्ट्रपति शासन लागू हो जाएगा, क्या यह उन विधायकों के लिए खतरा है जो चुन कर आए हैं?” शुक्रवार को बीजेपी नेता और महाराष्ट्र के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा था कि यदि राज्य में सात नवंबर तक नई सरकार नहीं बनती है तो राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है।

एनसीपी प्रमुख शरद पवार से अपनी मुलाकात पर संजय राउत ने कहा है कि राज्य का कहना है कि महाराष्ट्र में जिस तरह की राजनीतिक परिस्थितियॉं बन गई हैं, उसमें शिवसेना और बीजेपी को छोड़कर सभी राजनीतिक दल एक-दूसरे से बात कर रहे हैं। कॉन्ग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थरोट, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और पृथ्वीराज चव्हाण ने भी शरद पवार से मुलाक़ात की थी। इन मुलाकातों ने राज्य में ग़ैर-भाजपा सरकार की अटकलों को हवा दे दी थी।

शुक्रवार को महाराष्‍ट्र के वरिष्‍ठ कॉन्ग्रेस नेताओं की दिल्‍ली में पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल संग बैठक हुई थी। बैठक के दौरान शिवसेना का समर्थन करने की सूरत में कॉन्ग्रेस की छवि पर पड़ने वाले असर को लेकर चर्चा की गई। इसे देखते हुए फिलहाल वेट ऐंड वॉच की भूमिका में रहने का फैसला किया गया। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस बैठक में तबीयत ठीक नहीं होने के कारण सोनिया गॉंधी मौजूद नहीं थीं।

शिवसेना को समर्थन पर कॉन्ग्रेस का विभाजन साफ-साफ नजर आ रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और पृथ्वीराज चव्हाण भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए शिवसेना को समर्थन देने के पक्ष में बताए जाते हैं। पार्टी सांसद हुसैन दलवई ने सोनिया गॉंधी को पत्र लिखकर शिवसेना के साथ सरकार बनाने का समर्थन दिया है। शिवसेना के साथ जाने का समर्थक धड़ा प्रतिभा पाटील और प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति चुने जाने के वक्त शिवसेना की ओर से मिले समर्थन का हवाला दे रहे हैं। दूसरी ओर, वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे और संजय निरुपम ने कॉन्ग्रेस को सत्ता के खेल से दूर रहने की सलाह दी। इनका कहना है कि शिवसेना के साथ जाने से कॉन्ग्रेस की सेक्यूलर छवि को नुकसान पहुॅंचेगा और उसे इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा।

महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 105 और उसकी सहयोगी शिवसेना को 56 सीटें मिली हैं। कॉन्ग्रेस ने 44 और उसकी सहयोगी एनसीपी ने 54 सीटों पर जीत हासिल की है। ऐसे में शिवसेना, कॉन्ग्रेस और एनसीपी साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं। लेकिन, कॉन्ग्रेस सहयोगी एनसीपी के रुख को देखकर संशय में है। पवार ने नतीजों के तुरंत बाद कह दिया था कि उनकी पार्टी विपक्ष में बैठेगी। उन्होंने कहा था कि जनादेश भाजपा-शिवसेना गठबंधन को सरकार बनाने के लिए मिला है। इसके बाद से एनसीपी लगातार अपने इस रुख को दोहरा रही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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