Sunday, November 17, 2024
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‘खून की प्यासी’ होती हैं तलाकशुदा महिलाएँ’ – कॉन्ग्रेसी उदित राज ‘सबसे बड़े दलित नेता’ ने दिया ‘दिव्य ज्ञान’

अगर सारी तलाकशुदा महिलाएँ 'खून की प्यासी' हैं फिर तो जितने भी तलाकशुदा पति हैं, वो ज़िंदा कैसे? या फिर उनमें से अधिकतर आज अस्पताल में खून की बोतलें चढ़ाते रहते। अरबाज या ऋतिक के बारे में 'सबसे बड़े दलित नेता' के क्या विचार हैं, ये अभी तक साफ़ नहीं हो सका है।

देश में किसी भी मुद्दे पर बहस चल रही तो और उसमें घुस कर पूर्व-सांसद उदित राज दलित-सवर्ण न खेलें तो फिर वो बहस ही अधूरी रह जाती है। भाजपा में टिकट न मिलने से कॉन्ग्रेस में आए उदित राज ने अब अनुराग कश्यप पर लगे यौन शोषण के आरोपों पर कमेंट्री करते हुए उन्हें सज्जन व्यक्ति करार दिया है और इस खबर की चर्चा की है कि कैसे उनकी दोनों पूर्व-पत्नियाँ कल्कि कोचलिन और आरती बजाज उनका समर्थन कर रही हैं नहीं तो तलाकशुदा महिलाएँ ‘खून की प्यासी’ होती हैं।

कभी अपने-आप को ‘सबसे बड़ा दलित नेता’ घोषित कर चुके उदित राज ने ट्विटर पर लिखा, “अनुराग कश्यप सज्जन व्यक्ति लगते हैं। तलाक़ की गई दोनो पत्नियाँ उनके पक्ष में खड़ी हैं, वर्ना खून की प्यासी होती हैं। कंगना रनौत और पायल घोष को जेल में बंद कर देना चाहिए जो सामाजिक भ्रष्टाचार फैला रही हैं।” उन्होंने दो महिलाओं को बिना मतलब जेल भेजने की बात की और सारी तलाकशुदा महिलाओं को ‘खून की प्यासी’ करार दिया।

यानी, उदित राज का मानना है कि जिन महिलाओं का तलाक हो जाता है, वो अपने पूर्व-पति के लिए ऐसी दुर्भावना रखती हैं कि उनका खून पीना चाहती हैं। वैसे, फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप को देख कर लगता नहीं कि उनके शरीर में खून की कमी है। महिला हितों की बात करने वाले उदित राज जैसे लोग जहाँ एक तरफ खुद को आधुनिक सोच वाला दिखाते हैं, वहीं महिलाओं के लिए इस तरह के तुच्छ विचार रखते हैं।

अगर सारी तलाकशुदा महिलाएँ ‘खून की प्यासी’ हैं फिर तो जितने भी तलाकशुदा पति हैं, वो ज़िंदा ही नहीं बचने चाहिए थे? या फिर उनमें से अधिकतर आज अस्पताल में खून की बोतलें चढ़ाते रहते। अरबाज खान और ऋतिक रौशन के बारे में ‘सबसे बड़े दलित नेता’ के क्या विचार हैं, ये अभी तक साफ़ नहीं हो सका है। लेकिन हाँ, महिलाओं को लेकर उनकी सोच पहले भी कई बार सामने आ चुकी है।

साथ ही उन्होंने बलात्कार के प्रयास की पीड़िता को सामाजिक भ्रष्टाचार फैलाने का आरोपित करार दिया। उदित राज की मानें तो बलात्कार का प्रयास करने वाले की तलाकशुदा पत्नियाँ उनके पक्ष में खड़ी हैं, तो पीड़िता को ही जेल भेज देना चाहिए और इसे सामाजिक भ्रष्टाचार का नाम दिया जाना चाहिए। वैसे 1996 में एक ‘खून की प्यासी’ नामक फिल्म आई थी लेकिन उसमें किसी तलाकशुदा महिला को नहीं दिखाया गया था।

इसी तरह उन्होंने कहा था कि कॉन्ग्रेस ने सूई से लेकर परमाणु बम तक बनाया लेकिन फिर भी उसे देशद्रोही कहा जाता है लेकिन भाजपा हवाई जहाज तक बेच कर भी देशभक्त है। भले ही कॉन्ग्रेस पार्टी ने सारी सरकारी कंपनियों को खटारा बना दिया और मोदी सरकार प्राइवेट प्लेयर्स को मौका देकर उन्हें उबारने की कोशिश में लगी हों, लेकिन उदित राज को इन सब से क्या मतलब, क्यों ही समझें इन चीजों तो… दलित घुसा दिया, नेहरू-गाँधी का याद किया, काफी है।

वैसे कल को उदित राज ये भी ना कह दें कि जवाहरलाल नेहरू ने खुद बैठ कर कुम्हार की तरह मिट्टी गूँथ कर हवाई जहाजों का निर्माण किया। कॉन्ग्रेस के लोगों ने हवाई जहाज का अविष्कार किया, राइट ब्रदर्स को इस तकनीक के बारे में बताया और फिर भारत में उसे उड़ाने लगे – शायद उदित राज कल को ये भी लिख सकते हैं। उनकी सोच है कि शायद मोदी सरकार ने ‘हवाई जहाज’ वैसे ही बेच दिया है, जैसे कोई खिलौना हो।

वहीं उदित राज का आरोप है कि उनसे Y+ सिक्योरिटी इसलिए छीन ली गई, क्योंकि वो आरक्षण का समर्थन करते हैं और कंगना रनौत आरक्षण का विरोध करती हैं, इसीलिए उन्हें सरकारी सिक्योरिटी दी गई है। वैसे आरक्षण का समर्थन और विरोध ही इसकी एकमात्र योग्यता है तो सोनिया गाँधी और मनमोहन सिंह को क्यों सुरक्षा मिली हुई है, ये उन्हें बताना चाहिए। क्या ये दोनों नेता भी आरक्षण के विरोधी हैं।

वहीं उन्होंने आरोप लगाया कि कंगना रनौत ने कहा था कि फिल्म में रोल पाने के लिए हीरो के साथ सोना पड़ता था तो क्या उन्होंने भी ये ‘अपराध’ किया है। उनकी सोच देखिए। एक महिला से वो सीधे पूछ रहे हैं कि क्या वो अभिनेताओं के साथ सोती थीं? ऐसी सोच वाले लोगों के लिए बलात्कार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाली महिलाओं के लिए भी मन में ऐसे ही आपत्तिजनक और घृणित सवाल होते हैं, आश्चर्य है!

साथ ही उन्होंने ये भी बताया है कि राहुल गाँधी को कॉन्ग्रेस अध्यक्ष क्यों बनना चाहिए। क्योंकि उन्होंने ये सारी भविष्यवाणियाँ कीं- कोरोना आएगा, बेरोजगारी बढ़ेगी, अचानक लॉकडाउन से कुछ नहीं होगा। टेस्टिंग बढ़नी चाहिए और चीन परेशानी पैदा करेगा, आर्थिक स्थति बिगड़ेगी। इनमें से आधी बातें ऐसी हैं, जो सभी को पता हैं और आधी ऐसी हैं, जिनका कॉन्ग्रेस ने ही नैरेटिव बनाया है। और, अगर सारी सही हैं तो फिर राहुल गाँधी को कॉन्ग्रेस अध्यक्ष नहीं, ‘राष्ट्रीय भविष्यवेत्ता’ घोषित किया जाना चाहिए।

असल में गाँवों में आजकल भी कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनका काम होता है लोगों की गतिविधियों पर नजर रखते हुए बिना माँगे राय देना। बाद में कहीं कोई गड़बड़ होती है तो वो कहते हैं कि देखो, मैंने कहा था ऐसा मत करो। कॉन्ग्रेस अध्यक्ष बनने की अगर यही योग्यता है तो फिर इन्हीं लोगों की एक टीम बना कर उनमें से किसी एक को चुन लेना चाहिए। या फिर बहुत लोग तो आकाश देख कर बता देते हैं कि आज बारिश होगी।

उदित राज दलितों को हिन्दू नहीं मानते। उनका कहना है कि समुदाय विशेष को डराने के लिए ही दलितों को हिन्दू बताया जाता है। वो कहते हैं कि अगर गाँधी-नेहरू नहीं होते तो आज का भारत ब्रिटिश युग से भी बदतर होता। वो यूएन की रिपोर्ट का हवाला देकर कहते हैं कि दलित महिलाओं की औसत उम्र कम है, जिसके लिए सवर्ण जिम्मेदार हैं। वो सवर्णों को बलात्कारी कहने से भी नहीं हिचकते।

उदित राज ने लिखा था कि दलित महिलाओं का बलात्कार अधिकतर सवर्ण ही करते हैं। आजकल की वेब सीरीज में भी ऐसा ही दिखाया जाता है। वो उत्तर प्रदेश में प्रियंका गाँधी को दलितों की आवाज़ करार देते हैं। जब सचिन पायलट ने कॉन्ग्रेस से बगावत की थी तो उन्होंने कहा था कि पायलट इतनी कम उम्र में ही प्रदेश अध्यक्ष और उप-मुख्यमंत्री बन गए थे, जबकि कई लोग ज़िंदगी भर मेहनत कर के भी प्रधान तक नहीं बन पाते।

जब तक कोई भाजपा विरोधी वीर सावरकर को गाली नहीं दे तब तक उसका विरोध पूरा नहीं होता। उदित राज भी इस मामले में अपवाद नहीं हैं। उन्होंने तो आरोप लगाया था कि सावरकर ने 6 बार अंग्रेजों से माफ़ी माँगी थी और ब्रिटिश फ़ौज की मदद की थी। साथ ही ये भी कहा कि जिन्ना ने उनकी बात मान कर ही भारत का विभाजन करवाया। उन्होंने इसे भाजपा-संघ से जोड़ दिया। सावरकर को गाली देकर सभी कॉन्ग्रेस समर्थक खुद को ‘कूल’ मानते हैं।

इसी तरह उदित राज ने भाजपा पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति पद का अपमान किया था। नॉर्थ वेस्ट दिल्ली से 2014 में बीजेपी के टिकट पर जीते और 2019 में टिकट न मिलने पर भाग खड़े हुए उदित राज ने ट्वीट कर ख़ुद को ‘बोलने वाला’ दलित नेता बताया था और कहा कि भाजपा को दलितों से नफ़रत है और वो ‘बोलने वाले’ दलित की जगह सीट हारना पसंद करेंगे। वो संवैधानिक पदों को भी दलित-सवर्ण के दौरे में बाँधते रहे हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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