Sunday, November 17, 2024
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22217 इलेक्टोरल बॉन्ड, सबकी जानकारी अलग-अलग जगह: SBI ने इसलिए माँगा था अतिरिक्त समय, सुप्रीम कोर्ट ने दिया सिर्फ 1 दिन का वक्त

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एसबीआई 12 मार्च तक इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी सारी जानकारी साझा करे, उसे और समय नहीं मिलेगा। कोर्ट ने इस जानकारी को 15 मार्च तक चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी डालने का आदेश दिया है।

इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को झटका देते हुए आदेश दिया है कि 12 मार्च उसके आदेश को पूरा किया जाए और इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी जानकारी उसे उपलब्ध कराई जाए। यही नहीं, 15 मार्च तक इस पूरी जानकारी को चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी डाला जाए। सुप्रीम कोर्ट ने अब तक आँकड़ों को सार्वजनिक न करने के लिए एसबीआई की खिंचाई भी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछला आदेश 26 दिन पहले आया था, लेकिन अब तक आपने क्या काम किया है? हालाँकि एसबीआई ने कहा कि वो कुछ छिपा नहीं रहा, बस उसे इन जानकारियों को पूरी सुरक्षा के साथ और हरेक आँकड़े के मिलान के साथ जारी करने में समय में लगेगा।

सुप्रीम कोर्ट में एसबीआई ने याचिका दायर की थी, और कहा था कि उसे 30 जून 2024 तक का समय दिया जाए, ताकि वो इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी सारी जानकारियाँ कोर्ट में रख सके। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ कर रही है, जिसमें चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना ,जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं। इस याचिका की सुनवाई के समय कोर्ट ने पूछा कि पिछले आदेश के 26 दिन बीत जाने के बावजूद अबतक उसपर अमल क्यों नहीं किया गया?

सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज कर चेतावनी दी है कि अगर 12 मार्च तक इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी नहीं दी जाएगी, तो एसबीआई के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई भी की जाएगी। यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि ये सारी जानकारी 15 मार्च तक चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी पब्लिश की जाए।

क्यों एसबीआई माँग रही समय? आखिर दिक्कत क्या है?

सुप्रीम कोर्ट में समय माँगने पहुँची एसबीआी ने बताया कि आखिर उसे दिक्कत क्या हो रही है। इसे कुछ लाइनों में सीधे तरीके से समझिए।

1-स्टेट बैंक ने जो इलेक्टोरल बॉन्ड जारी किए, उसकी जानकारियाँ अलग-अलग जगह हैं।

2- इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी प्राइवेसी की शर्तों की वजह से सारी जानकारियाँ अलग रखी गई।

3- इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने के बाद उसे खरीदने वाले का डाटा अलग जगह रखा जाता है।

4- राजनीतिक पार्टियों द्वारा भुनाए गए बॉन्ड का डाटा एसबीआई की मुंबई शाखा में रखा जाता है, वो भी सीलबंद लिफाफे में।

5-एसबीआई को बॉन्ड खरीदने वाले, फिर उस बॉन्ड को भुनाने वाली पार्टी, बॉन्ड नंबर इत्यादि का मिलान करना होगा।

6-एसबीआई ने 12 अप्रैल 2019 से लेकर 15 फरवरी 2024 तक 22,217 बॉन्ड जारी किए हैं।

7- 22,217 बॉन्ड के लिए अलग-अलग फाइलें अलग-अलग जगहों पर हैं। ठीक इतनी ही फाइलें अलग-अलग दलों से आई हैं, जिन्होंने इन बॉन्ड्स को भुनाया है। ऐसे में 44,434 फाइलों के डाटा को एक जगह किया जाना है।

8- एसबीआई का कहना है कि सभी राजनीतिक दलों के लिए एसबीआई में ही खाते खोले गए हैं। उन खातों के माध्यम से ही इलेक्टोरल बॉन्ड को भुनाया जा सकता है। ऐसे में इन खातों की जानकारी भी इकट्ठा करनी होगी।

9- इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारियों को अलग-अलग जगह रखा ही इसलिए गया था, ताकि सुरक्षा में सेंध न लग सके। ऐसे में बहुत सारा डाटा ऑफ लाइन रखा गया है, खासकर बॉन्ड को खरीदने वालों की केवाईसी डिटेल्स।

10- सारी जानकारियों को एक जगह लाने में समय लगेगा, उसके लिए ज्यादा लोगों की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए उसे 30 जून तक का समय दिया जाए।

हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई की एक भी दलील नहीं मानी और उसे 12 मार्च को सारी जानकारी सुप्रीम कोर्ट में जमा करने का आदेश दे दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये सारी जानकारी कोर्ट को सौंपे जाने से जुड़ा नियम भी है, ऐसे में एसबीआई इन जानकारियों को देने में देरी न करे। सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी के अपने आदेश में इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक बता दिया था। जानकारी के मुताबिक, जनवरी 2018 और जनवरी 2024 के बीच 16,518 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदे गए थे, इसमें से अधिकतर बॉन्ड चुनावी फंडिंग के तौर पर दी गई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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