मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायाधीश रोहित आर्य रिटायरमेंट के लगभग तीन महीने बाद शनिवार (13 जुलाई 2024) को भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने प्रदेश भाजपा कार्यालय जाकर सदस्यता ली। वहीं, कलकत्ता और ओडिशा हाई कोर्ट में जज रह चुके चितरंजन दास ने कहा कि वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि इससे उन्हें काम करने में कोई कठिनाई नहीं आई।
रोहित आर्य साल 1984 में एडवोकेट के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। साल 2003 में इन्हें मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में सीनियर एडवोकेट नियुक्त किया गया। उन्हें 2013 में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और 2015 में स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई गई। वह 27 अप्रैल, 2024 को सेवानिवृत्त होंगे।
आज प्रदेश कार्यालय, भोपाल में भाजपा विधि प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित "दंड सहित से न्याय सहित" की आभार संगोष्ठी को प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री श्री @rshuklabjp ने संबोधित किया। इस दौरान प्रदेश महामंत्री व विधायक श्री @BDSabnani, विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक श्री मनोज द्विवेदी समेत… pic.twitter.com/UfM0TpGEJP
— BJP Madhya Pradesh (@BJP4MP) July 13, 2024
गौरतलब है कि साल 2020 में जस्टिस आर्य ने एक महिला की शील भंग करने के आरोपित एक व्यक्ति को इस शर्त पर जमानत दी थी कि वह पीड़िता को राखी बाँधेगा। साल 2021 में जस्टिस आर्य ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के आरोपित कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी और नलिन यादव को जमानत देने से इनकार कर दिया था।
वहीं, कलकत्ता और ओडिशा हाई कोर्ट में जज रह चुके चितरंजन दास ने एक इंटरव्यू में कहा कि वे आरएसएस के सदस्य थे। उन्होंने कहा कि किसी को अपनी राजनीतिक पहचान छुपाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि न्यायाधीश के रूप में रहते हुए उन्होंने संविधान के तहत काम किया और उनकी व्यक्तिगत विचारधारा आड़े नहीं आई।
इतना ही नहीं, चितरंजन दास ने यह भी कहा कि RSS में हर विचारधारा के लोग जुड़े हैं। यह संगठन को किसी विचारधारा के लिए बाध्य नहीं करता। उन्होंने कहा, “कई लोग इसे अछूत संगठन मानते हैं, लेकिन इसने किसी की माइंड वॉशिंग की कोशिश नहीं की। यह लोगों का व्यक्तित्व निखारता है और उन्हें अच्छा नागरिक बनाता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस कोई क्रांतिकारी संगठन नहीं है। इंदिरा गाँधी को भी आरएसएस की मदद की जरूरत पड़ी थी। चीन के साथ युद्ध के समय भी आरएसएस ने काफी काम किया था। उन्होंने यह भी कहा कि कई लोगों ने गलत जानकारी देकर इस संगठन की छवि धूमिल करने की कोशिश की।
बताते चलें कि जस्टिस चितरंजन दास ने अपने एक फैसले में कहा था कि महिलाओं को भी अपनी कामेच्छा पर भी काबू रखना चाहिए। उन्होंने कहा था कि कामेच्छा पर काबू नहीं रखने से कई बार महिलाओं को समाज की नजर में गिरना पड़ता है। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी टिप्पणी की थी कि इस तरह की टिप्पणी से बचना चाहिए।