Sunday, November 17, 2024
Homeराजनीति2009: चीन ने जवानों पर चलाई गोली, तब 15 मिनट में राहुल गाँधी ने...

2009: चीन ने जवानों पर चलाई गोली, तब 15 मिनट में राहुल गाँधी ने 100 किलोमीटर दूर फिंकवाया था चीनियों को

सितम्बर 2009 में यूपीए की दोबारा सरकार बनने के कुछ ही महीने बाद भारत-चीन तनाव शुरू हो गया था और तब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनकी सरकार ने सारा दोष मीडिया को ही मढ़ दिया था। उनका कहना था कि मीडिया ने जवानों की मौत को लेकर भ्रम फैलाया है।

कॉन्ग्रेस के पूर्व-अध्यक्ष राहुल गाँधी मात्र 15 मिनट में चीन को भगाने का दावा करते हैं लेकिन ये भी याद करने की ज़रूरत है कि जब उनकी सरकार थी, तब क्या सच में ऐसा होता था? सितम्बर 2009 में यूपीए की दोबारा सरकार बनने के कुछ ही महीने बाद भारत-चीन तनाव शुरू हो गया था और तब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनकी सरकार ने सारा दोष मीडिया को ही मढ़ दिया था। उनका कहना था कि मीडिया ने जवानों की मौत को लेकर भ्रम फैलाया है।

आज जब कई पोर्टल्स चीन पर राहुल गाँधी के सेना और सरकार विरोधी स्टैंड को प्लेटफॉर्म देते हुए मोदी सरकार के खिलाफ लम्बे-लम्बे लेख लिखते हैं, तब के पीएम मनमोहन सिंह ने कहा था कि मीडिया भारत-चीन सीमा पर परिस्थितियों का ‘त्रुटिपूर्ण चित्रण’ कर रहा है। सरकार ने तब बीते साल से इसकी तुलना करते हुए दावा किया था कि 2009 में सीमा पर घुसपैठ का अतिक्रमण की घटनाएँ समान ही हुईं, उनमें बढ़ोतरी नहीं हुई।

2009 की खबर

दरअसल, सितम्बर 5, 2009 को एक अख़बार में खबर प्रकाशित हुई थी कि चीन द्वारा सीमा पर की गई फायरिंग में ITBP के दो जवान घायल हुए हैं। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने इसका खंडन किया था। तब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा था कि उन्होंने इस खबर को गंभीरता से लिया है और इसे आपराधिक कृत्य मानते हुए वो FIR दर्ज कराने जा रहा है। आज ऐसी हजारों रिपोर्ट्स प्राकशित होती हैं और देश के विरोध में लिखा जाता है।

बावजूद इसके किसी पत्रकार के खिलाफ फैक्ट्स के साथ जवाब भी दे दिया जाए तो इसे ‘FoE’ का हनन मान लिया जाता है। 11 साल पहले ऐसा नहीं था। तब उन पत्रकारों से यहाँ तक कह दिया गया था कि वो अदालत में प्रस्तुत हों और बताएँ कि उनका सूत्र क्या है, ये खबर कहाँ से आई? NSA एमके नारायणन ने तो इस मुद्दे को ही मीडिया हाइप करार दिया था। उनका कहना था कि ऐसी खबरों से कोई अपना नियंत्रण खो सकता है और सचमुच में बड़ी घटना हो सकती है।

आज राहुल गाँधी सहित सभी कॉन्ग्रेस नेता रोज चिल्ला-चिल्ला कर सरकार और सेना के खिलाफ स्टैंड लेते हुए चीन के कथित घुसपैठ की बात करते हैं, वो भी बिना तथ्यों के साथ। मीडिया में रोज सैकड़ों लेख छपते हैं, जिनमें चीन का एजेंडा फैलाया जाता है। किसी पर कार्रवाई नहीं हुई। लेकिन, यूपीए काल में एक खबर पर FIR हो जाया करती थी। आज राहुल गाँधी ‘हमारी सरकार होती तो..’ वाला राग अलापने में लगे हुए हैं।

दूरदर्शन न्यूज़ के पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने भी तब छपी ‘द हिन्दू’ की खबर की कटिंग शेयर की, जिसमें पत्रकारों पर FIR करने की बात की गई है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि राहुल गाँधी के चीन को 15 मिनट में भगाने का फॉर्मूला यही है कि 1 मिनट में घुसपैठ की खबर का खंडन और 14 मिनट में रिपोर्ट करने पत्रकारों पर FIR दायर हो जाती थी। उन्होंने कहा कि इसी तरह चीन को राहुल गाँधी ने ’15 मिनट में भगा दिया।’

याद कीजिए कि एक दौर था जब चीन ने हमला किया तो रिपोर्टिंग कैसे होगी यह कॉन्ग्रेस सरकार न सिर्फ तय करती थी बल्कि पत्रकारों पर केस दर्ज करने की बातें होती थीं। तब पत्रकारों की अभिव्यक्ति या फिर पत्रकारिता पर सत्ता का नियंत्रण, रिपोर्टरों को धमकाने जैसी ज्ञानवाणी नहीं निकलती थी। आज भी इसे ‘छोटी-मोटी’ बात कह दी जाती है। वहीं, दूसरी ओर अगर सरकार एक निजी संस्था (PTI) का अस्थायी कॉन्ट्रैक्ट रद्द होता है तो ये लोग हर तरह के विशेषण ले आते हैं और स्टेटमेंट प्रसारित की जाती है।

इससे पता चलता है कि ये संस्थाएँ, जो तथाकथित तौर पर पत्रकार या पत्रकारिता का प्रतिनिधित्व करती दिखती हैं, वास्तव में कॉन्ग्रेस के चाटुकारों की फौज है जो स्लीपर सेल की तरह बाकी समय सुसुप्तावस्था में रहती है, लेकिन जब मोदी सरकार का कोई निर्णय नैतिक, कानूनी और तकनीकी, हर तौर पर, उचित हो, तब ये जग जाते हैं और प्रोपेगेंडा ढकेने लगते हैं। असली बात ये है कि अब इन्हें सत्ता के साथ मिल कर मलाई चाटने का मौका नहीं मिल रहा।

कमाल की बात यह है कि FIR की बात ‘द हिन्दू’ ने हेडलाइन की जगह छोटे फॉन्ट में लिख कर पूरी बात को ‘एँवई’ बनाने की कोशिश की है। ऐसा इसीलिए, क्योंकि तब सरकार का पक्ष उनके लिए ज्यादा महत्वपूर्ण रहा होगा और मीडिया की कथित स्वतंत्रता का मुद्दा बैकसीट पर। वहीं अब जब सरकार हर मामले में देशहित में ‘आउट ऑफ द बॉक्स’ फैसले कड़ाई से ले रही है, इन्हें मीडिया की आजादी याद आ रही है।

हाथरस में हुए सियासी ड्रामे और हरियाणा में कृषि बिलों में विरोध में ट्रैक्टर रैली करने के बाद पूर्व कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी एक बार फिर से चीन वाले राग पर लौट आए थे और पीएम मोदी के लिए भी आपत्तिजनक भाषा का उपयोग किया था। उन्होंने दावा किया था कि भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहाँ किसी दूसरे देश की सेना ने घुस कर यहाँ की जमीन पर कब्ज़ा कर रखा है। राहुल गाँधी ने कहा था कि अगर उनकी सरकार होती तो वो चीन को 15 मिनट में उठा कर बाहर फेंक देते।

उन्होंने कहा था कि पूरा देश जानता है कि चीन भारत के अंदर घुसा हुआ है। उन्होंने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा था कि वो अपने आप को देशभक्त कहते हैं और साथ ही पूछा था कि वो कैसे देशभक्त हैं? राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री के लिए ‘कायर’ शब्द का भी इस्तेमाल किया। हरियाणा के कुरुक्षेत्र में शेखी बघारते हुए राहुल गाँधी ने कहा था कि अगर उनकी सरकार होती तो चीन को भारत में एक कदम भी नहीं रखने देती।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

मुस्लिम घुसपैठियों और ईसाई मिशनरियों के दोहरे कुचक्र में उलझा है झारखंड, सरना कोड से नहीं बचेगी जनजातीय समाज की ‘रोटी-बेटी-माटी’

झारखंड का चुनाव 'रोटी-बेटी-माटी' केंद्रित है। क्या इससे जनजातीय समाज को घुसपैठियों और ईसाई मिशनरियों के दोहरे कुचक्र से निकलने में मिलेगी मदद?

दिल्ली सरकार के मंत्री कैलाश गहलोत का AAP से इस्तीफा: कहा- ‘शीशमहल’ से पार्टी की छवि हुई खराब, जनता का काम करने की जगह...

दिल्ली सरकार में मंत्री कैलाश गहलोत ने अरविंद केजरीवाल एवं AAP पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकार पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -