राफेल मामले में सभी पुनर्विचार याचिकाओं को आज (नवंबर 14, 2019) सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि राफेल विमान सौदा मामले में प्राथमिकी दर्ज करने की या बेवजह जाँच के आदेश देने की जरूरत है।
BS Dhanoa, former chief of the Air Staff: I think we have been vindicated. In December 2018 I had issued a statement that Supreme Court has given a fine judgement and at that time some people said that I was being political, which was incorrect. #RafaleVerdict pic.twitter.com/pWZYOOpPTb
— ANI (@ANI) November 14, 2019
इस फैसले के बाद कई तरह की प्रतिक्रियाएँ सामने आई है। पूर्व एयर मार्शल बीएस धनोआ ने कहा, “दिसंबर 2018 में जब हमने कहा था कि कोर्ट ने सही फैसला सुनाया है तो हमें कहा गया था कि ये राजनीति से प्रेरित बयान है।” उनके मुताबिक उस दौरान उनके बयान को राजनीति से जोड़ने वाले बिलकुल गलत थे, क्योंकि वह सिर्फ़ इसका बचाव कर रहे थे।
BS Dhanoa, former chief of the Air Staff: I hope the matter is now laid to rest. Raking up such issues to get political gains, putting the interest of your armed forces behind, I think is not right. #RafaleVerdict pic.twitter.com/QUMYFTZjhM
— ANI (@ANI) November 14, 2019
मीडिया से बातचीत में रिटायर्ड एयर मार्शल धनोआ ने कहा कि अब जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है तो साबित हो गया है कि वे सही थे। उन्होंने कहा,” मुझे उम्मीद है कि अब ये मामला खत्म हो जाएगा। राजनीतिक लाभ पाने के लिए ऐसे मुद्दों को उठाना और अपने सशस्त्र बलों के हित को पीछे रखना, मुझे लगता है कि यह सही नहीं है।” इस दौरान बीएस धनोआ ने राफेल को एक शानदार विमान भी बताया।
रक्षा से जुड़े मसलों पर न हो राजनीति: राजनाथ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि यह सरकार के रुख का समर्थन करती है। उन्होंने, “हमारी सरकार के निर्णय लेने की पारदर्शिता को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है। मुझे लगता है कि रक्षा तैयारियों से संबंधित मामलों में राजनीति नहीं होनी चाहिए।”
रक्षा मंत्री ने कहा, “लोग अपने निजी फायदे के लिए ऐसा (मामलों का राजनीतिकरण) करते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री की छवि खराब करने की कोशिश की। मैं कहना चाहूँगा कि यह विशेष रूप से कॉन्ग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं द्वारा किया गया था।”
उल्लेखनीय है कि राफेल मामले पर काफी लंबे समय से सवाल उठाए जा रहे थे। संसद से लेकर चुनाव प्रचार तक में विपक्ष द्वारा मोदी सरकार को घेरा जा रहा था। बार-बार यह आरोप लगाया जा रहा था कि अनिल अंबानी को फायदा पहुँचाने के लिए द सॉल्ट एविएशन का ऑफसेट ठेका दिलाया गया। केंद्र सरकार शुरू से अपने ऊपर लग रहे सभी आरोपों को नकारती रही है। 2018 के अंत में सर्वोच्च न्यायलय ने भी इस मामले में सरकार को क्लीनचिट दे दी थी, जिसके बाद पुनर्विचार याचिकाएँ दायर की गई थी।