महाराष्ट्र में आईआईटी बॉम्बे के छात्रों ने गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले अपने कॉलेज परिसर से तिरंगा यात्रा निकाली। इस यात्रा में 1000 फीट लंबे तिरंगे के साथ 1,500 से अधिक छात्रों, प्रोफेसरों, गैर-शिक्षण कर्मचारियों समेत उनके परिवार के सदस्यों ने भाग लिया। यह यात्रा लगभग साढ़े चार किलोमीटर तक कॉलेज परिसर को जोड़ने वाले रास्ते पर चली। इस मार्च का विषय ‘आईआईटी बॉम्बे फॉर नेशन-बिल्डिंग’ था।
इस तिरंगा यात्रा के माध्यम से जहाँ छात्र और फैकल्टी मेंबर्स कैंपस के अंदर लेफ्ट द्वारा की जा रही राजनीतिकरण की निंदा की, वहीं अम्बेडकर पेरियार स्टडी सर्किल के नेतृत्व वाले वामपंथी छात्र शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन के मास्टरमाइंड शरजील इमाम के समर्थन में पोस्टर बनाने में व्यस्त थे। वही शरजील इमाम, जिसने नार्थ इस्ट को हिन्दुस्तान से परमानेंटली काट देने की बात कही थी।
‘IIT Bombay for Justice’ नामक फेसबुक पेज पर छात्रों की तस्वीर अपलोड की गई, जिसमें वो ‘Reclaim the Republic’ नामक इवेंट में जाने के लिए तैयार थे। हमें जानकारी मिली कि यह फेसबुक पेज अम्बेडकर पेरियार स्टडी सर्किल से जुड़े लेफ्ट छात्रों द्वारा चलाया जाता है और इस इवेंट का आयोजन भी उन्होंने ही किया है। इस इवेंट में कॉमेडियन वरुण ग्रोवर ने भी हिस्सा लिया, जिन्होंने CAA और NRC के विरोध में ‘कागज़ नहीं दिखाएँगे’ नामक एक कविता भी लिखी, जिसे वामपंथियों का खुला समर्थन मिला। मोदीविरोधी गैंग ने इस कविता को सोशल मीडिया में वायरल करने में जान लगा दी।
ऑपइंडिया ने पाया कि ‘IITB4Justice’ नामक ग्रुप APSCC द्वारा चलाया जाता है और जब लेफ्ट छात्रों द्वारा रैली की तैयारी की जा रही थी तो इस फेसबुक पेज ने इनकी पोस्टर बनाते हुए तस्वीरें पोस्ट की।
इन पोस्टर पर साफ तौर से ‘Support Sharjeel Imam’ लिखा हुआ देखा जा सकता है। शरजील इमाम शाहीन बाग में हो रहे विरोध प्रदर्शन का मास्टरमाइंड है और उसने अलीगढ़ में एक सभा के दौरान भारत को तोड़ने वाला देशद्रोही बयान दिया था। जिसके बाद असम, मणिपुर, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और अरुणाचल प्रदेश पुलिस द्वारा उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
उल्लेखनीय है कि शरजील इमाम शुरू से ही CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और समुदाय विशेष को उकसाने में सक्रिय रहा है। 17 दिसंबर 2019 को एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें शरजील इमाम समुदाय विशेष को सड़कों पर आने और दिल्ली में चक्का जाम करने के लिए उकसाता हुआ दिखाई दे रहा है। वीडियो में वह कहता है, “क्या मुस्लिमों की इतनी हैसियत भी नहीं कि उत्तर भारत के शहरों को बंद किया जा सके। यूपी में शहरी मुस्लिमों की आबादी 30 फीसदी से ऊपर है। क्या आपको शर्म नहीं आती? अरे भाई शर्म करो, आप यूपी में चक्काजाम क्यों नहीं कर सकते? कैसे चल रहा है वह शहर? बिहार का वह इलाका जहाँ से मैं आता हूँ, वहाँ ग्रामीण मुस्लिम आबादी 6% है, जबकि शहरी मुस्लिम आबादी 24% है। हिन्दुस्तान का मुस्लिम शहरी है। वो शहर में रहता है। शहर बंद कीजिए और जो रास्ते में आता है, उसे मना कीजिए, उसे भगाइए।”
शनिवार (जनवरी 25, 2019) को वायरल हुए एक अन्य वीडियो में शरजील असम को भारत से परमानेंटली काटने की बात कहते हुए नजर आता है।
दिलचस्प बात यह है कि आईआईटी बी के छात्रों और फैकल्टी मेंबर्स द्वारा 1000 फीट लंबे तिरंगा मार्च में बड़े पैमाने में लोग नजर आए जबकि वामपंथी छात्रों द्वारा किए गए आयोजन में शायद ही कोई व्यस्तता देखी गई।
लेफ्ट द्वारा किए गए आयोजन में से एक और पोस्टर निकल कर सामने आई। जिसमें ‘ताहा एलन’ को रिलीज करने की माँग की गई है।
बता दें कि एलन सुहेब और ताहा फजल दोनों कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य हैं, जिन्हें माओवादियों के साथ लिंक की वजह से UAPA के तहत हिरासत में रखा गया है।
इस तरह से शरजील इमाम के समर्थन में पोस्टर बनाना और और उसके समर्थन में खड़े होना केवल यह दर्शाता है कि आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में भी वामपंथी संगठन अपनी तुच्छ राजनीति से बाज नहीं आते हैं और राजनीतिक लाभ के लिए वो इस तरह की हरकतें करते हैं।
यहाँ तक कि फैकल्टी मेंबर्स ने भी तिरंगा मार्च के दौरान इस राजनीतिकरण की निंदा की। प्रोफेसर आशुतोष कुमार ने कहा, “आईआईटी बॉम्बे एक ऐसी संस्था है जो राजनीति में नहीं बल्कि शोध में उत्कृष्टता के लिए जानी जाती है। यह हमारे शोध में बाधा है। हम इसकी निंदा करते हैं। आज जो ज्यादा महत्वपूर्ण है, वह है गणतंत्र दिवस मनाना और हम उसके लिए यहाँ पर हैं।”
आईआईटी बॉम्बे फैकल्टी के प्रोफेसर वरदराज बापट सोम ने शैक्षिक परिसरों के राजनीतिकरण की निंदा की और कहा कि यह (IIT- बॉम्बे) परिसर राजनीति के लिए या फिर किसी के राजनीतिक प्रोपेगेंडा को फैलाने के लिए नहीं है।