IIT कानपुर के प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल (Prof Manindra Aggarwal) के नेतृत्व में प्रोफेसरों की एक टीम ने 11 अक्टूबर, 2021 को कोविड-19 के प्रबंधन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के सफल मॉडल पर एक स्टडी रिपोर्ट जारी किया था। इसमें कोरोना वायरस से निपटने के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मॉडल को सफल पाया गया था। इसके बाद से ही इस रिसर्च और IIT प्रोफेसर मनिन्द्र अग्रवाल की आलोचना शुरू कर दी गई।
अब प्रोफेसर अग्रवाल ने इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि दिलचस्प ये है कि अधिकतर आलोचनाएँ रिसर्च के तथ्यों पर केंद्रित न होकर व्यक्तिगत हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग कह रहे हैं कि हमने लिवरमेक्टिन के प्रयोग को बढ़ावा दिया है, लेकिन ऐसा हमने नहीं किया है। उन्होंने कहा कि रिसर्च में सरकारी डेटा पर ही केवल निर्भर नहीं रहा गया है, जैसा कहा जा रहा है। कुछ ने उनसे ‘गंगा में बहती लाशों’ पर सवाल पूछ दिया।
इस बारे में प्रोफेसर मनिन्द्र अग्रवाल ने कहा कि ये पुरानी परंपरा है और इस तरह से दाह-संस्कार कुछ इलाकों में पहले से होता आ रहा है। उन्होंने कहा कि अपनी आलोचना में कुछ लोग दो सप्ताह की सबसे बुरी स्थिति की बात कर रहे हैं, जब अधिकतर लोगों की हॉस्पिटल बेड और ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर और बड़ी जनसंख्या को देखते हुए, ये आश्चर्यचकित करने वाली बात नहीं है कि एक छोटी सी अवधि के लिए स्थिति हाथ से निकल गई थी।
IIT कानपुर में कम्प्यूटर साइंस विभाग में कार्यरत प्रोफेसर ने कहा कि चकित करने वाली बात ये है कि इतनी जल्दी स्थिति को नियंत्रण में लाया गया। उन्होंने कहा कि उनकी रिपोर्ट इसका वर्णन करती है कि ये कैसे संभव हुआ। प्रोफेसर मनिन्द्र अग्रवाल ने कहा, “मैं समझता हूँ कि कई लोग अपनी विचारधारा के आधार पर समर्थन/विरोध करते हैं, लेकिन ये रिपोर्ट ऐसे लोगों के लिए नहीं है। इसीलिए, नज़रअंदाज़ करें।”
बता दें कि रिसर्च में बताया गया था कि कैसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली यूपी सरकार ने आर्थिक गतिविधियों को सुनिश्चित किया और टेस्ट, ट्रैक, ट्रीट एंड टैकल (TTTT) के रणनीति के साथ संक्रमण के प्रसार को नियंत्रित किया। देश में सबसे अधिक आबादी वाला राज्य होने के बावजूद, यूपी मार्च 2020 से जुलाई 2021 तक महामारी के दौरान भी बेरोजगारी दर को 11% से 4% तक कम करने में कामयाब रहा।