Sunday, September 8, 2024
Homeराजनीतिजिस IT रेड में नोट गिनते-गिनते थक गई मशीनें, वह 6 दिन बाद बंद...

जिस IT रेड में नोट गिनते-गिनते थक गई मशीनें, वह 6 दिन बाद बंद हुई: नेहरू के ‘खास’ थे धीरज साहू के पिता, राहुल तक चली आ रही वही रिश्तेदारी

धीरज साहू के पिता का नाम बलदेव साहू था। वो पुराने कॉन्ग्रेसी नेता थे। स्वतंत्रता सेनानी रहे। बिहार के प्रमुख व्यवसायियों में भी उनका नाम रहा। अंग्रेजों ने भी उन्हें 'राय साहब' की उपाधि दे रखी थी। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर उनकी बेटी इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी तक उनके घर पर आ चुके हैं।

6 दिसंबर 2023 को आयकर विभाग ने कॉन्ग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की थी। यह कार्रवाई झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के अलग-अलग जगहों पर एक साथ हुई थी। आखिरकार 6 दिन के बाद यह रेड पूरी हो गई है।

इस छापेमारी के दौरान नोटों का इतना बड़ा जखीरा मिला है कि उसे गिनने में मशीनों के भी सांस फूल गए। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार 350 करोड़ रुपए अधिक नगद मिली है। कुछ रिपोर्टों में करीब 500 करोड़ रुपए मिलने की बात कही गई है। करीब 17 किलो सोने के जेवर और 40 सोने के बिस्कुट भी मिले हैं।

इस बरामदगी के बाद से कॉन्ग्रेस का नेतृत्व धीरज साहू से दूरी दिखाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन साहू परिवार की कॉन्ग्रेस के शीर्ष परिवार से करीबी आज की नहीं है। इनका संबंध जवाहर लाल नेहरू से शुरू हुआ जो इंदिरा, राजीव, सोनिया होते हुए राहुल गाँधी तक जारी है। खास बात यह भी है कि जैसे-जैसे राजनीति में नेहरू-गाँधी परिवार मजबूत होते गया, वैसे-वैसे झारखंड से ओडिशा तक साहू परिवार का व्यवसायिक साम्राज्य भी फैलता गया।

क्या-क्या बरामद हुआ?

इनकम टैक्स विभाग की रेड में धीरज साहू के ठिकानों से 354 करोड़ की नकदी मिली थी, जिसे गिनने का काम एसबीआई की तीन शाखाओं में कई दिनों तक चला। जब बैंक लॉकरों को खोला गया तो अधिकारियों की आँखें खुली की खुली रह गई। लॉकरों से दस्तावेजों के साथ ही सोने के बिस्किट, सोने के जेवरात और हीरे भी बरामद हुए हैं। एक अनुमान के मुताबिक, नकद मिले पैसों के अलावा भी करोड़ों का धन बरामद हुआ है। छापे के दौरान ओडिशा के बलांगीर स्थित ठिकाने से सर्वाधिक बरामदगी की गई। बलांगीर से ही करीब 280 करोड़ रुपए बरामद हुए हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में, धीरज साहू के ठिकानों से 454 करोड़ की बरामदगी की खबर दी गई है।

नेहरू के जमाने से ही कॉन्ग्रेस से रिश्ते

धीरज साहू के पिता का नाम बलदेव साहू था। वो पुराने कॉन्ग्रेसी नेता थे। स्वतंत्रता सेनानी रहे। बिहार के प्रमुख व्यवसायियों में भी उनका नाम रहा। अंग्रेजों ने भी उन्हें ‘राय साहब’ की उपाधि दे रखी थी। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर उनकी बेटी इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी तक उनके घर पर आ चुके हैं। फिल्मी हस्तियाँ तो अक्सर इस परिवार की पार्टियों और समारोहों का हिस्सा बनती रही हैं।

झारखंड में है साहू परिवार का व्हाइट हाउस

धीरज साहू का परिवार हमेशा से राजनीति में रहा है। वे 5 भाई हैं। इनमें से 4 राजनीति में सक्रिय हैं। उनके बड़े भाई शिव प्रसाद साहू राँची से कॉग्रेस के टिकट पर 1980 और 1984 में सांसद रहे थे। एक भाई गोपाल साहू हजारीबाग से सांसदी का चुनाव लड़ चुके हैं। धीरज साहू भी झारखंड की चतरा सीट से दो बार लोकसभा का चुनाव लड़कर हार चुके हैं. इसके बाद कॉन्ग्रेस उन्हें राज्यसभा भेजने लगी। साहू का यह राज्यसभा में तीसरा कार्यकाल है। पहली बार वे जून 2009 में चुनकर आए। फिर 2010 और उसके बाद 2018 में तीसरी बार संसद के उच्च सदन में पहुँचे। झारखंड के लोहरदगा में साहू परिवार का पैतृक घर है। इसे व्हाइट हाउस ऑफ लोहरदगा कहा जाता है।

शराब का कारोबारी परिवार

कॉन्ग्रेस के राज्यसभा सांसद और शराब कारोबारी धीरज साहू के ठिकानों पर 6 दिसम्बर 2023 से 12 दिसंबर तक छापेमारी चली। छापेमारी झारखंड के लोहरदगा और राँची, बंगाल के कोलकाता और टीटागढ़ और ओडिशा में बोलांगीर तथा संबलपुर में हुई है। इसके अलावा कुछ अन्य स्थानों पर भी टीम पहुँची थी।

उल्लेखनीय है कॉन्ग्रेस सांसद धीरज प्रसाद साहू और उनके रिश्तेदारों का शराब का बड़ा कारोबार है। बलदेव साहू एंड ग्रुप ऑफ कंपनीज मूल रूप देशी शराब बनाने का काम करती है। इस धंधे में कंपनी करीब चार दशक से है। कंपनी का नाम धीरज साहू के पिता बलदेव साहू के नाम पर है। कॉन्ग्रेस सांसद के अलावा उनके परिवार के अन्य सदस्य भी कंपनी में शामिल हैं।

इतनी बड़ी मात्रा में नकद मिलना इसलिए भी चौंकाता है, क्योंकि 2018 के चुनावी हलफनामे में साहू ने अपने ऊपर 2.36 करोड़ रुपए का कर्ज बताया था। कुल संपत्ति 34 करोड़ बताई थी। 2016-17 में जो इनकम टैक्स रिटर्न भरा था, उसमें अपनी आमदनी एक करोड़ रुपए से कुछ ही अधिक बताई थी।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ग्रामीण और रिश्तेदार कहते थे – अनाथालय में छोड़ आओ; आज उसी लड़की ने माँ-बाप की बेची हुई जमीन वापस खरीद कर लौटाई, पेरिस...

दीप्ति की प्रतिभा का पता कोच एन. रमेश को तब चला जब वह 15 वर्ष की थीं और उसके बाद से उन्होंने लगातार खुद को बेहतर ही किया है।

शेख हसीना का घर अब बनेगा ‘जुलाई क्रांति’ का स्मारक: उपद्रव के संग्रहण में क्या ब्रा-ब्लाउज लहराने वाली तस्वीरें भी लगेंगी?

यूनुस की अगुवाई में 5 सितंबर 2024 को सलाहकार परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इसे "जुलाई क्रांति स्मारक संग्रहालय" के रूप में परिवर्तित किया जाएगा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -