दिन- रविवार। तारीख- 16 फरवरी। केजरीवाल का शपथग्रहण। जामिया के वर्तमान और पूर्व छात्रों से बनी जामिया कोआर्डिनेशन कमिटी ने बहुत चालाकी से इस दिन को चुना। चुना इसलिए ताकि बीते साल 15 दिसंबर को जामिया कैंपस में हुई कथित हिंसा से जुड़े एक विडियो को छेड़छाड़ कर वायरल किया जा सके। बाकी काम वामपंथी मीडिया और लिबरल गिरोहों द्वारा कर ही दिया जाएगा। लेकिन ऐसा हो न सका। क्योंकि जिस विडियो को ये काट-छाँट कर वायरल करने की फिराक में थे, उसी का एक लंबा विडियो ऑपइंडिया के हाथ लग गया।
अब बात करते हैं विडियो की। इसमें कथित रूप से लाइब्रेरी के भीतर कुछ लोग पुलिस यूनिफार्म में स्टूडेंट्स को लाठियों से मारते नजर आ रहे हैं। इस एडिटेड वीडियो में कुछ 7-8 लोग, जिन्हें पुलिस का बताया जा रहा है, यूनिवर्सिटी के ओल्ड रीडिंग हॉल में प्रवेश कर स्टूडेंट्स को लाठियों से मारते नजर आ रहे हैं। यह वीडियो रविवार तड़के सुबह जारी किया गया है।
मजे की बात यह है कि ट्विटर पर वीडियो जारी करने वाली यह कोआर्डिनेशन कमिटी, जिसे 15 दिसंबर को हुए एंटी CAA प्रोटेस्ट्स के नाम पर हुए दंगे के बाद बनाया गया था और जो जामिया कैंपस के साथ शाहीन बाग़ समेत कई अन्य जगहों पर भी नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों में अग्रणी रही है, छात्रों द्वारा चुनी गई आधिकारिक स्टूडेंट्स बॉडी नहीं है।
इस वीडियो में स्पष्ट तौर पर नजर आ रहा है कि जिस समय पुलिस लाइब्रेरी में घुस रही है, उस समय ‘स्टूडेंट्स’ किताबें बंद किए बैठे हैं। दाईं तरफ बैठा ‘स्टूडेंट’ पुलिस के अंदर घुसते ही चेहरे को रुमाल से ढँकता नजर आ रहा है। वीडियो के टॉप लेफ्ट कॉर्नर में दीवार के साथ खड़ा दिखता ‘स्टूडेंट’ भी चेहरे पर रूमाल बांधे नजर आ रहा है।
जैसे ही जामिया कोऑर्डिनेशन कमिटी ने इस वीडियो को रिलीज किया, लिबरल सेक्युलर मीडिया गैंग के कथित पत्रकारों ने इसे हाथों-हाथ लेते हुए प्रोपेगेंडा फैलाना शुरू कर दिया। मीडिया गैंग के अनुसार इस वीडियो में साफ़ नजर आ रहा है कि पुलिस ने ही पहले छात्रों पर बर्बरता दिखाई, जिसके बाद कैंपस में हिंसा भड़की।
एडिटेड वीडियो की मदद से हिंसा का सारा दोष मोदी सरकार और दिल्ली पुलिस पर डालते लेफ्ट विंग के पत्रकार नागरिकता कानून के विरोध नाम पर मुस्लिम भीड़ को पुलिस पर किए गए हमलों से बचाते नजर आते हैं।
CCTV Footage of Delhi Police officers attacking and brutalizing students within their class rooms at Jamia Millia Islamia Library.
— CJ Werleman (@cjwerleman) February 16, 2020
The government is unleashing every violent act imaginable to crush those protesting India’s anti-Muslim citizenship laws. pic.twitter.com/KcnVaUvJQz
एक ट्विटर हैंडल @cjwerleman है। यह देश विरोधी और हिन्दू विरोधी प्रोपेगेंडा के लिए कुख्यात है। इसने भी अपने मोदी विरोधी प्रोपेगेंडा को दिशा देने के उद्देश्य से यह एडिटेड वीडियो शेयर किया। इसने अपने ट्वीट में लिखा – “दिल्ली पुलिस अधिकारियों द्वारा जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों को लाइब्रेरी में पीटने का CCTV फुटेज। सरकार मुस्लिम विरोधी नागरिकता कानून के विरोध में उठने वाली हर आवाज को क्रूरता से दबा रही है।”
रेडियो जॉकी सायमा, जो कि हिन्दू विरोधी और फेक खबरों को फैलाने के लिए जानी जाती हैं, ने भी यह वीडियो फ़ौरन ट्विटर पर शेयर करते हुए मुस्लिम भीड़ के अपराधों को ढकने के लिए सारा दोष दिल्ली पुलिस के माथे थोप दिया। उन्होंने पुलिस पर व्यंग्य करते हुए लिखा है- “वो आए और उन्होंने कहा- तुम्हारे साथ, तुम्हारे लिए, हमेशा। और चले गए। 15 दिसंबर की शाम उन्होंने जामिया के छात्रों पर गुलाब बरसाए (जैसा कि आप देख सकते हैं)
They came and said ‘With you, For you, Always’ and left. They showered roses on the students of @jamiamillia_ (as u can see) on the evening of 15th Dec 2019.
— RJ Sayema (@MirchiSayema) February 15, 2020
Exclusive cctv footage of the library. @DelhiPolice doing their magic.
C’mon now show us who torched the bus! pic.twitter.com/DZXEC2qULu
We don’t deserve this.
— Anoo Bhuyan (@AnooBhu) February 16, 2020
We must never forget. https://t.co/7Xtr8Gtd0E
इसी प्रकार की भावनाएँ कई अन्य पत्रकारों ने भी दिखाई -@AnooBhu ने लिखा- हम इसके लायक नहीं हैं, हम यह नहीं भूलेंगे।
We don’t deserve this.
— Anoo Bhuyan (@AnooBhu) February 16, 2020
We must never forget. https://t.co/7Xtr8Gtd0E
वरदराजन उर्फ़ टुंकु (Tunku), Hoover इंस्टिट्यूट के एडिटर ने सरकार को गालियाँ देते हुए लिखा कि धार्मिक रूप से कट्टरपंथी सरकार ने छात्रों से, शिक्षा से, आधुनिकता से युद्ध छेड़ रखा है।
स्मिता शर्मा नाम की एक अन्य महिला, जो खुद को ‘स्वतंत्र’ के साथ ही ‘पत्रकार’ होने का दावा करती हैं, अपनी ख़ुशी रोक नहीं पाई और दिल्ली पुलिस के लिए अपशब्द कहने लगी। उसने कहा कि दिल्ली पुलिस पर तो धब्बा है ही, और इस कथित क्रूरता के लिए किसी भी प्रकार का स्पष्टीकरण नहीं दिया जा सकता है। उन्होंने अपने ट्वीट में यह भी लिखा कि दिल्ली पुलिस को शर्म आनी चाहिए, पुलिस के राजनीतिक मास्टर्स तो आते-जाते रहेंगे लेकिन इस घटना ने उन पर दाग लगा दिया है।
Shame on you @DelhiPolice , your political masters will come and go . But you have earned permanent blots for the force. These disgusting images will remain your legacy. Can there be any justification for this brutality on display in a quiet library? @AmitShahOffice #Jamia https://t.co/PRacAK9zjn
— Smita Sharma (@Smita_Sharma) February 16, 2020
वहीं, राणा अयूब नामक इस्लामी ट्रोल, जो पत्रकार होने की एक नकल भर है, एक कदम आगे जाकर लाइब्रेरी में नकाब लगाकर बैठे कथित छात्र को ही छुपा दिया और लिखा- “मुझे याद नहीं है कि देश के साथ मैं आखिरी बार कब इतनी निराश थी। दिल्ली पुलिस ने एक पवित्र जगह पर हेल्प-लेस छात्रों पर लाठी बरसाई। मैं अब इंडिया को नहीं पहचानती हूँ।”
I do not remember the last time I was so disappointed and disgusted with my country. The visuals of the cops attacking helpless students at Jamia while they run for cover, in a space that was meant to be sacred. I do not recognise India anymore, we are beyond redemption. pic.twitter.com/5eWl9OHhn0
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) February 16, 2020
इसी बीच, एक ऐसा वीडियो सामने आया है, जिसमें CAA विरोधी ‘छात्र’ को पहले सड़क पर बाइक को आग लगाने के बाद लाइब्रेरी में बैठे हुए देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि जामिया यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में बैठा यही ‘छात्र’ दोनों CCTV फुटेज में देखा जा रहा है। इस कथित छात्र ने दोनों वीडियो में लाल धारियों वाली एक स्वेटर पहनी हुई है और चेहरे को छुपाने के लिए एक ही कपड़ा इस्तेमाल किया है।
A simple video which identifies:
— United Memes of India ?? (@allindiamemers) February 16, 2020
The man torching the bike
&
The man beaten by the delhi police.
If you can’t identify that both are same. Then God bless you
Hey @AltNews happy if you verify this for your “followers”
Not #ShameonDelhiPolice
We #STANDWITHDELHIPOLICE pic.twitter.com/nQyWYR6Hbq
Another gem! pic.twitter.com/glxm27XbNy
— United Memes of India ?? (@allindiamemers) February 16, 2020
CAA विरोध की आड़ में जामिया हिंसा
दरअसल, दिल्ली में जामिया के लगभग 2,000 ‘छात्र’ CAB का विरोध कर रहे थे। CAB के खिलाफ जामिया के प्रदर्शनकारियों ने कानून का विरोध व्यक्त करने के लिए विश्वविद्यालय परिसर से संसद भवन तक मार्च निकाला था। हालाँकि इस दौरान वो हिंसा पर उतर आए और पुलिस बैरिकेड तोड़ दिए। जैसे ही पुलिस ने छात्रों को शांत करने के लिए लाठीचार्ज करना शुरू किया, प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के खिलाफ पथराव किया। छात्रों के हमले में कई पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और तीन पुलिसकर्मी आईसीयू में गंभीर हालत में हैं।
ज्ञात हो कि गत दिसंबर 15, 2019 को जामिया नगर और नई फ्रेंड्स कॉलोनी में हुई हिंसा में कम से कम पाँच बसें और सौ से ज्यादा निजी वाहनों को नुकसान पहुँचाया गया था। जामिया मिलिया विश्वविद्यालय समेत सौ से ज्यादा लोग इस हिंसा और विरोध प्रदर्शन में शामिल बताए जा रहे हैं। SIT द्वारा करीब सौ लोगों को अब तक इस सम्बन्ध में पकड़ा जा चुका है। जिनमें से कुछ पर तोड़फोड़ को लेकर केस भी दायर किए गए हैं।
पूर्व कॉन्ग्रेस नेता आसिफ मुहम्मद, जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी के छात्र चंदन कुमार और स्थानीय नेता आशु खान से इस हिंसा के बारे में गत शुक्रवार को सात घंटों तक पूछताछ की गई थी।प्रदर्शनकारियों द्वारा फेंके गए पत्थरों, काँच की बोतल और ट्यूबलाइट फेंकने के चलते छात्रों व पुलिस समेत 30 लोग घायल हुए थे। अधिकारियों ने इनके मोबाइल फोन, से डाटा जो कि अब डिलीट कर दी गई जानकारी तलाशने के लिए फोरेंसिक विभाग को भेजे जा रहे हैं, कॉल रिकॉर्ड्स और अन्य जानकारियाँ, जो कि जाँच के लिए जरुरी हैं आदि सीज कर लिए हैं।
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