‘पेंडुलम हिंदुत्व’ या ‘पेंडुलम-त्व’ के शिकार उद्धव ठाकरे का पेंडुलम एक बार फिर डोल कर हिंदुत्व से कॉन्ग्रेस-छाप सेक्युलरता के सिरे पर पहुँच गया है। उद्धव ठाकरे ने जामिया में हिंसा के ख़िलाफ़ प्रदर्शन की तुलना जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड से कर दी है। 1919 में हुआ यह हत्याकाण्ड जनरल डायर की ब्रिटिश-हिंदुस्तानी फ़ौज द्वारा निहत्थे भारतीयों पर लोहड़ी के दिन किया गया लोमहर्षक अत्याचार था।
Maharashtra CM Uddhav Thackeray: What happened at Jamia Millia Islamia, is like Jallianwala Bagh. Students are like a ‘Yuva bomb’. So we request the central government to not do, what they are doing, with students. pic.twitter.com/lNGrgCPrIU
— ANI (@ANI) December 17, 2019
गौरतलब है कि नागरिकता विधेयक में संशोधन के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन के नाम पर जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों के हिंसा पर उतर आने पर दिल्ली पुलिस ने उन पर बल प्रयोग किया। इससे बिफरे लिबरल गिरोह ने जहाँ संसद सत्र के अंतिम दिन से लेकर ट्विटर और सड़क तक इस पर बवाल काटने की असफल कोशिश की है, वहीं भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने उनकी हिमायत में दायर की गई याचिका को साफ नकार दिया और कहा कि छात्र होने भर से किसी को हिंसा करने का अधिकार नहीं मिल जाता। साथ ही चेतावनी भी दी कि अगर छात्र अगर इस तरह की हरकत करेंगे तो फिर पुलिस क्या करेगी?
‘सेक्युलर’ कॉन्ग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार चला रहे उद्धव ठाकरे लगातार नागरिकता विधेयक पर अपना स्टैंड बदलते आए हैं। लोक सभा में उनकी पार्टी ने बिना कॉन्ग्रेस से कोई सलाह-मशविरा किए विधेयक को समर्थन दे दिया। लेकिन फिर कॉन्ग्रेस के आँख दिखाने पर अपना स्टैंड बदलते हुए ठाकरे राज्य सभा में इसके समर्थन के लिए तीन-पाँच करने लगे। और उस पर भी कोर वोटबैंक की प्रतिक्रिया नकारात्मक होने पर अंततः उनकी पार्टी ने वॉक आउट कर बीच का रास्ता अपनाया- ताकि न ही विधेयक की खुल कर मुख़ालफ़त करनी पड़े, न ही इसके समर्थन से कॉन्ग्रेस का महाराष्ट्र राज्य सरकार को समर्थन छूट जाए।
इस बीच खबर यह भी आ रही है कि शिवसेना ने सभी विपक्षी दलों को झटका देते हुए राष्ट्रपति से मिलने जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया है। मंगलवार (दिसंबर 17, 2019) को शाम साढ़े 4 बजे ‘ऑल पार्टी डेलीगेशन’ की राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाक़ात होगी। कॉन्ग्रेस समेत सभी विपक्षी दल राष्ट्रपति के समक्ष सीएए को लेकर अपनी चिंताएँ जाहिर करेंगे।
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि उनकी पार्टी के नेतागण फ़िलहाल नागपुर में व्यस्त हैं और इसीलिए राष्ट्रपति से मुलाक़ात का हिस्सा नहीं बनेंगे। उन्होंने पूछा कि आख़िर ये विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं और इसके पीछे कौन लोग हैं? राउत ने कहा कि सीएए लागू होने से पहले से ही तय था कि इस क़ानून को लेकर विरोध प्रदर्शन होगा।
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