PFI की रैली के बाद अब उत्तर प्रदेश के देवबंद से जमीयत उलेमा ए हिन्द (Jamiat Ulema E Hind) ने दो दिवसीय बैठक की। इसमें प्रमुख रूप से ज्ञानवापी विवादित ढाँचे, मथुरा के शाही ईदगाह और कुतुबमीनार पर दावे का मुद्दा जोर-शोर से उठाया गया। रविवार (29 मई, 2022) को कॉमन सिविल कोड (Uniform Civil Code) समेत कई मुद्दों पर अहम प्रस्तावों को पास किया गया। मौलवियों ने एक सुर में कॉमन सिविल कोड का विरोध किया और कहा कि वे अपने शरिया लॉ (Sharia Law) में किसी भी तरह का बदलाव नहीं मानेंगे।
जमीयत की कॉन्फ्रेंस में इसके अध्यक्ष महमूद असद मदनी (Mahmood Asad Madani) ने मुस्लिमों से सब्र रखने की अपील की। उन्होंने केंद्र सरकार पर डराने का आरोप लगाया। मदनी ने कहा कि अगर वो लोग अखंडता की बातें करते हैं तो वो धर्म है, लेकिन हम करते हैं तो ये तंज माना जाता है। हमें डराना बंद करिए। हम पराए नहीं हैं, ये देश हमारा है। हमें पाकिस्तान जाने का मौका मिला था, लेकिन हम नहीं गए और जो हमें पाकिस्तान जाने की सलाह देते हैं वो खुद चले जाएँ।
मदनी ने कहा, “ये लोग देवबंद को दहशतगर्दी का अड्डा मानते हैं। यूपी में इनकी सरकार बनते ही यहाँ के एक लड़के को बलात्कार के आरोप में पकड़ लिया गया।” मदनी कहते हैं कि बहुत कुछ सहने के बाद भी मुस्लिम समुदाय बीते 10 साल से चुप है।
कॉमन सिविल कोड का विरोध
इस्लामिक उलेमा मौलाना नोमानी शाहजहाँपुरी ने सामन नागरिक संहिता पर एक प्रस्ताव पेश किया। नोमानी ने आरोप लगाया कि सरकार मुस्लिम पर्सनल लॉ को खत्म करना चाहती है। इसीलिए वो कॉमन सिविल कोड लागू करना चाहती है, लेकिन हम अपने मजहबी कानून में किसी भी तरह की छेड़छाड़ को बर्दाश्त नहीं करेंगे। यदि ऐसा हुआ तो हम हर तरह के विरोध के लिए मजबूर होंगे।
वहीं वाराणसी के मौलाना मौलाना हाजी उबेदुल्ला ने ज्ञानवापी के विवादित ढाँचे और मथुरा में ईदगाह के मामले को लेकर एक प्रस्ताव रखा। इस्लामिक उलेमा ने दावा किया कि इससे देश में अमन, चैन को नुकसान पहुँचाया जा रहा है। उन्होंने दावा किया सुप्रीम कोर्ट ने ‘पूजा स्थल कानून 1991 एक्ट 42’ को संविधान की मूल आत्मा माना है। मौलाना के मुताबिक, गड़े मुर्दे उखाड़ने से बचना चाहिए।
इस्लामिक संगठन जमीयत उलेमा ए हिन्द ने इस साल 2022-23 के लिए 13,35,70,000 रुपए का बजट पेश किया है। इसे इस्लामिक शिक्षा और उसके प्रचार-प्रसार पर खर्च किया जाएगा।