आज से कुछ साल पहले तक जम्मू कश्मीर से आतंक की खबरों का सामने आना रोज की बात हो चुका था। रोज किसी ना किसी इलाके में आतंकी हमला और फिर आम नागरिकों और सुरक्षाबलों के जवानों का मारा जाना बदस्तूर जारी था। इस आतंक के कारण जम्मू कश्मीर का आर्थिक रूप से बड़ा नुकसान हो रहा था। हालाँकि, मोदी सरकार के बीते कुछ सालों में यह स्थिति बदल गई है। राज्य के सुरक्षा हालात और आर्थिक स्थिति में लगातार 2014 के बाद से बदलाव आया है।
जम्मू कश्मीर में आतंक की घटनाएँ अब दहाई आँकड़ों में सिमट गई हैं जबकि कश्मीर घाटी से अब बेहद कम युवा आतंक की तरफ रुख कर रहे हैं। इन सबके अलावा राज्य के टूरिज्म में जबरदस्त बढ़ावा मिला है। इससे राज्य की अर्थव्यस्था भी बढ़ी है। इन सबके पीछे सरकार की आतंक पर मजबूत कार्रवाई, अनुच्छेद 370 का हटना और साथ ही विकास कार्यों को चालू करना जैसे कारण प्रमुख हैं।
अनुच्छेद 370 के बाद आतंक में आई कमी
मोदी सरकार ने अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने का निर्णय लिया था। इससे पहले जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाएँ लगातार हो रही थीं। जम्मू कश्मीर में पाकिस्तानी आतंकी लगातार लोगों का खून बहा रहे थे। सेना और अर्धसैनिक बलों के प्रयासों से यह लगातार घटता जा रहा है। गृह मंत्रालय द्वारा दिए गए आँकड़े के अनुसार, वर्ष 2018 में जम्मू कश्मीर में आतंक की 614 वारदात हुई थीं। यह 2019 में घट कर 594 हो गईं। इसके बाद इनमें लगातार गिरावट जारी रही है।
आँकड़ों के अनुसार, जम्मू कश्मीर में 2020 में आतंक की 220 घटनाएँ हुईं। यह घटनाएँ 2023 में घट कर 43 पर आ गईं। यानी 2018 के दौरान जहाँ औसतन हर महीने 51 घटनाएँ हो रही थी जो कि 2023 में औसतन 3 पर आ गईं। मोदी सरकार के अंतर्गत आतंक की घटनाओं में इस गिरावट के पीछे सेना का आंतकियों की घुसपैठ रोकना, जमीन पर आतंकियों के फंड जुटाने और माहौल बिगाड़ने वालों पर कार्रवाई करना और जम्मू कश्मीर पुलिस को मजबूत करने जैसे कारण महत्वपूर्ण रहे।
आतंकी हमलों से होने वाला नुकसान भी कम
जम्मू कश्मीर आतंकी हमलों के कारण सुरक्षा बलों के साथ ही आम नागरिकों की जान भी जाती रही है। जम्मू कश्मीर में आतंकी हमलों में देश ने बड़ी संख्या में जवानों को खोया है। यह स्थिति भी बदलने लगी है। गृह मंत्रालय द्वारा दिए गए आँकड़े बताते हैं कि अनुच्छेद 370 हटने से पहले यानी 2019 में देश ने 80 जवान जम्मू कश्मीर में खोए थे। यह इसी दौरान 39 आम नागरिकों को भी आतंक की भेंट चढ़ना पड़ा था। हालाँकि, आतंक पर लगातार कार्रवाई की वजह से यह स्थिति बदल गई।
2023 आते-आते जम्मू कश्मीर से आने वाली ऐसी खबरों पर ब्रेक लगा है। 2023 में जम्मू कश्मीर में 13 नागरिकों और 25 सुरक्षा बलों के जवानों को आतंक के चलते जान गँवानी पड़ी है। यह आँकड़ा बीते कुछ वर्षों में सबसे कम है। आतंकी हमलों में कमी के पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि अब सीमा पार से ज्यादा आतंकी देश में नहीं घुस पा रहे और साथ ही घाटी से नए आतंकी तैयार नहीं हो रहे। इससे जम्मू कश्मीर में आतंकियों की मौजूदगी में भी कमी आई है।
एक आँकड़ा बताता है कि वर्ष 2018 में जम्मू कश्मीर में सबसे अधिक 257 आतंकी मारे गए थे। इनमे से बड़ी संख्या में वह आतंकी थे जो सीमा पार पाकिस्तान से देश में आए थे। सेना के लगातार आतंकियों का सफाया करने के कारण यह संख्या घट 2023 में मात्र 72 पर आ गई। इससे साफ़ हुआ कि जम्मू कश्मीर में आतंकियों की मौजूदगी घटी है। राज्य में पथराव की घटनाएँ भी खत्म हो चुकी हैं। वर्ष 2016 में राज्य में 2650 से अधिक पत्थरबाजी की घटनाएँ हुई थी, 2023 में यह घटनाएँ नगण्य हो गईं।
मोदी सरकार में आतंक घटा, फला-फूला कश्मीर
मोदी सरकार में जम्मू कश्मीर में आतंक के घटने का सबसे बड़ा असर यहाँ सामान्य जनजीवन पर पड़ा है। जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था में इस कारण से काफी तेजी आई है। सरकार की योजनाओं ने भी लोगो के जीवन में बड़ा प्रभाव डाला है। आँकड़ा बताता है कि यहाँ की सुरक्षा स्थिति सुधरने के कारण 2023 में जम्मू कश्मीर में 2.11 करोड़ पर्यटक आए। यह संख्या 2015 में मात्र 1.33 करोड़ थी थी। इस प्रकार देखा जाए तो पर्यटकों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है।
राज्य अर्थव्यवस्था में भी बड़ा बदलाव बीते वर्षों में देखने को मिला है। जम्मू कश्मीर के आर्थिक सर्वे के मुताबिक़, 2014-15 में राज्य की अर्थव्यस्था का आकार ₹98366 करोड़ था। यह अब बढ़ कर ₹2.25 लाख करोड़ हो चुका है। यानी राज्य की अर्थव्यवस्था मोदी सरकार के बीते लगभग 10 वर्षों में दोगुनी से भी अधिक बढ़ी है।
राज्य के लोगों को भी इस दौरान काफी सुविधाएँ मिली हैं। जम्मू कश्मीर में जल जीवन मिशन के तहत अब 77% जनसंख्या सीधे नल से जल पा रही है। आँकड़ों के अनुसार, वर्तमान में राज्य के 14 लाख से अधिक घरों में सीधे नल से जल पहुँच रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत राज्य में 47 हजार से अधिक घरों को मंजूरी मिल चुकी है। इनमें से 21 हजार से अधिक घर पूरी तरीके से बन भी चुके हैं। सरकार यहाँ अन्य राज्यों की अपेक्षा अधिक पैसा घर बनाने के लिए दे रही है। राज्य में दो नए AIIMS भी मोदी सरकार ने बनाए हैं।
सुरक्षा की स्थिति सुधरने से कश्मीर में अब बड़े आयोजन हो रहे हैं। हाल ही में श्रीनगर में हुआ G20 का आयोजन हो या फिर डल झील के किनारे हुई फार्मूला-4 रेस, यह दिखाती है कि राज्य में अब बाहर के लोग आने से डरते नहीं है। यह यहाँ की बदलती स्थिति का परिचायक है।