पूर्व केंद्रीय मंत्री और कॉन्ग्रेस पार्टी के सीनियर नेता के. रहमान खान ने अपनी ही पार्टी पर मुस्लिमों को नजरअंदाज़ करने का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि अब कॉन्ग्रेस में मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व पहले जैसा नहीं रहा। इसीलिए देश के सबसे पुराने दल को मुस्लिम अपना नहीं मान पा रहे। इसी के साथ उन्होंने पार्टी में मौजूद मुस्लिम पदाधिकरियों की क़ाबलियत पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। यह बात उन्होंने PTI भाषा को दिए एक इंटरव्यू में कही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक के.रहमान खान ने कहा है कि कॉन्ग्रेस में अब योग्य लोगों को स्थान नहीं मिल रहा। ऑल इंडिया कॉन्ग्रेस कमेटी में कितने मुस्लिम प्रतिनिधि हैं? ये स्वीकार करना होगा कि पार्टी के संगठन के ढाँचे में बदलाव बहुत जरूरी है। देश के 20 करोड़ मुस्लिमों को अपना राजनैतिक नेतृत्व पाने की आशा कॉन्ग्रेस से ही होती है। इसके बाद भी पार्टी ने योग्य मुस्लिम चेहरों को वरीयता नहीं दी। किसी को पार्टी में लाने से पहले समाज में उसका कद देखना चाहिए।
कॉन्ग्रेस में कोई मुस्लिम चेहरा भी उभर कर आगे नहीं आ पाया। कॉन्ग्रेस की छवि मुस्लिम पार्टी की बनती जा रही थी जिस से हिन्दू उस से दूर होने लगा था। इसी वजह से अब कॉन्ग्रेस खुल कर मुस्लिमों के पक्ष में बोल भी नहीं पाती। इसे पार्टी का अपने सिद्धांतों से समझौता ही कहा जाएगा।
रहमान ने आगे कहा कि 70 सालों तक कॉन्ग्रेस के साथ खड़े अल्पसंख्यकों ने कई बार सरकार बनवाई। लेकिन अब मुस्लिमों को पार्टी के खुद से दूर जाने का शक होने लगा है। इसी शक के चलते ओवैसी जैसे नेता उभर कर सामने आ रहे हैं। मुसलमान अपनी सुरक्षा चाहता है। जब उसकी इन जरूरतों पर पार्टी खामोश रहती है तब टकराव पैदा होता है। मुसलामानों के मुद्दे पर अब लम्बे समय तक उनसे वोट लेने वाली सपा, बसपा जैसी पार्टियाँ भी बैकफुट पर हैं।
रहमान के मुताबिक अगर कॉन्ग्रेस फिर से मुस्लिम समाज को खुद से जोड़ना चाहती है तो उसे मुस्लिमों में भरोसा जगाना होगा। अपने आस-पास घूमने वालों को टिकट दे देने से कोई फर्क नहीं आने वाला। मेरा ही अनुभव कईयों के काम आएगा। मैं ओवैसी जैसे नेताओं की राजनीति से सहमत नहीं हूँ। मेरी प्रशांत किशोर से कोई मुलाक़ात नहीं है। मैंने सब कुछ कॉन्ग्रेस को दे दिया फिर भी उपेक्षित महसूस करता हूँ। हालाँकि, इसके बाद भी मैं हमेशा कॉन्ग्रेसी बना रहूँगा। मुझे कई मौके मिले लेकिन ये पार्टी मैं कभी नहीं छोड़ने वाला। फिर भी पार्टी के जिम्मेदार लोगों को विचार जरूर करना चाहिए कि लोग दूसरी पार्टियों में क्यों जा रहे हैं। के. रहमान खान राज्यसभा के पूर्व उपसभापति भी हैं।