Sunday, November 17, 2024
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‘मुझे केंद्र से फ़ोन आए कि कारसेवक बाबरी गुंबद पर चढ़ गए हैं, मैंने कहा वो तोड़ भी रहे हैं, लेकिन गोली नहीं चलाऊँगा’

"मैं इस बात से जुड़े एक-एक बिंदु का स्पष्टीकरण देने के लिए तैयार हूँ कि मैंने अथवा मेरे साथियों, सहयोगियों या मेरी सरकार ने कहीं किसी प्रकार से कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट नहीं किया है। क्या मैं गोली चला देता? NIC की मीटिंग में मैंने स्पष्ट किया कि गोली नहीं चलाऊँगा, गोली नहीं चलाऊँगा, गोली नहीं चलाऊँगा।"

कारसेवक बाबरी पर चढ़ गए थे, तभी उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को केन्द्रीय गृह मंत्री का फ़ोन आया था, लेकिन उन्होंने जवाब दिया कि मैं गोली नहीं चलाऊँगा। दिसंबर 06, 1992 को अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद को कारसेवकों ने गिरा दिया था।

उस समय उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और राज्य में मुख्यमंत्री के पद पर कल्याण सिंह विराजमान थे। कल्याण सिंह पर आरोप लगाए गए कि उन्होंने बाबरी मस्जिद को टूटने से नहीं बचाया।

इसका नतीजा यह हुआ कि भाजपा के हाथों से उत्तर प्रदेश की सत्ता खिसक गई, जिससे समाजवादी पार्टी और बसपा जैसी पार्टियों के अच्छे दिन आए। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद कल्याण सिंह ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए ये कहते हुए दिसम्बर 06, 1992 को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था कि मैंने ही आदेश दिया था कि कारसेवकों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुँचना चाहिए।

बाबरी विध्वंस के बाद उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने कहा था कि उन्हें सूचना दी गई कि कार सेवक बाबरी पर चढ़ गए हैं, लेकिन उन्होंने गोली चलाने के आदेश नहीं दिए। साथ ही, कल्याण सिंह इस भाषण में कहते देखे जा सकते हैं कि वो इसकी जिम्मेदारी लेते हैं और जो भी कार्रवाई करनी है, उन पर की जाए।

बाबरी विध्वंस के बाद दिए गए इस भाषण में कल्याण सिंह ने कहा – “सारी जिम्मेदारी मैं अपने ऊपर लेता हूँ। किसी कोर्ट में किसी को चलना है तो मेरे साथ चलो। किसी कमीशन में कोई कार्रवाई करनी है तो मेरे खिलाफ करो, किसी को दंड ही देना है तो किसी और को ना देकर मुझे दो।

केंद्र सरकार द्वारा फ़ोन कर दबाव बनाने का जिक्र करते हुए कल्याण सिंह ने कहा-

“मैं इस बात से जुड़े एक-एक बिंदु का स्पष्टीकरण देने के लिए तैयार हूँ कि मैंने अथवा मेरे साथियों, सहयोगियों या मेरी सरकार ने कहीं किसी प्रकार से कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट नहीं किया है। क्या मैं गोली चला देता? NIC की मीटिंग में मैंने स्पष्ट किया कि गोली नहीं चलाऊँगा, गोली नहीं चलाऊँगा, गोली नहीं चलाऊँगा। 06 दिसम्बर को लगभग 01 बजे जब केंद्र सरकार के गृह मंत्री चौहान जी का मेरे पास फ़ोन आया और कहा कि मेरे पास यह सूचना है कि कार सेवक गुम्बद पर चढ़ गए हैं, आपके पास क्या सूचना है ? मैंने कहा मेरे पास एक कदम आगे की सूचना है कि कार सेवक गुम्बद पर चढ़ गए है और उन्होंने गुम्बद को तोड़ना भी शुरू कर दिया है। लेकिन एक बात ध्यान रखना कि गोली नहीं चलाऊँगा। लेकिन हाँ, गोली चलाने के अलावा जो भी काम हालात को नियंत्रण में लाने के लिए किया जा सकता है वो हम कर रहे हैं।”

गौरतलब है कि बाबरी विध्वंश के समय केंद्र में कॉन्ग्रेस की सरकार थी और प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव थे। इस बारे में एक किस्सा और मिलता है। पत्रकार कुलदीप नैयर ने अपनी आत्मकथा में लिखा था कि जब बाबरी गिराई जा रही थी, उस समय नरसिम्हा राव पूजा पर बैठे थे।

इस किताब के अनुसार, ”मेरी जानकारी है कि राव की बाबरी मस्जिद विध्वंस में भूमिका थी। जब कारसेवक मस्जिद को गिरा रहे थे, तब वह पूजा में बैठे हुए थे। वह वहाँ से तभी उठे जब मस्जिद का आख़िरी पत्थर हटा दिया गया।”

इस घटना के इतने साल बाद बाद सियासत ने बड़ी करवट ली और एक बार फिर भाजपा उत्तर प्रदेश की सत्ता पर पूर्ण बहुमत के साथ विराजमान है। प्रदेश के मुख्यमंत्री इस समय योगी आदित्यनाथ हैं। केंद्र में भी भाजपा की सरकार पूर्ण बहुमत के साथ मौजूद है और नरेंद्र मोदी इस समय प्रधानमंत्री हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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