Friday, November 15, 2024
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कर्नाटक में नतीजे देख राहुल गाँधी गदगद, भूले EVM का रोना: बिहार में हार के बाद बोले थे- ये EVM नहीं, MVM- मोदी वोटिंग मशीन

साल 2017 में कॉन्ग्रेस के तत्कालीन नेता गुलाम नबी आजाद ने भी विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों के साथ राष्ट्रपति से मुलाकात की थी और ईवीएम पर सवाल उठाए थे। जब पार्टी के एक नेता वीरप्पा मोइली ने कहा था कि ईवीएम सही है तो आजाद ने उनके बयान को व्यक्तिगत बता दिया था।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत के बाद कॉन्ग्रेस गदगद है। उसके नेता इसके लिए कर्नाटक की जनता का धन्यवाद दे रहे हैं। हालाँकि, ये वही कॉन्ग्रेस है, जो हार के डर से 10 मई को हुए मतदान से पहले ईवीएम को लेकर सवाल उठाया था। उन दिनों को याद करके सोशल मीडिया कॉन्ग्रेस पर सवाल उठा रहे हैं।

कॉन्ग्रेस नेताओं ने कहा कि कर्नाटक चुनाव में इस्तेमाल के लिए दक्षिण अफ्रीका से ईवीएम लाया गया है और ये सारे ईवीएम इस्तेमाल किए हुए हैं। इसके बाद निर्वाचन आयोग ने उनकी आशंकाओं को दूर करने का प्रयास करते हुए डिटेल में चिट्ठी लिखी थी।

ये पहली बार नहीं है, जब कॉन्ग्रेस ने हार के डर से EVM पर सवाल उठाए हैं। साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की लहर के कारण मिलती जा रही एक के बाद एक पर कॉन्ग्रेस नेताओं ने सवाल उठाया था। अन्य विपक्षी दलों ने कॉन्ग्रेस के हाँ में हाँ मिलाई थी। बिहार के अररिया में राहुल गाँधी ने EVM को MVM- मोदी वोटिंग मशीन कहा था।

पिछले साल मई में हुए पाँच राज्यों में चुनाव के दौरान पिछड़ने पर कॉन्ग्रेस ने EVM का रोना रोया था। कॉन्ग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता सड़कों उतर गए थे और दिल्ली में पार्टी कार्यालय के बाहर ईवीएम का विरोध किया था। उत्तराखंड के पूर्व सीएम और कॉन्ग्रेस नेता हरीश रावत ने ईवीएम में छेड़छाड़ की आशंका जताई थी।

साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान कॉन्ग्रेस नेता उदित राज ने EVM पर सवाल उठाते हुए लिखा था, “जब मंगल ग्रह और चाँद की ओर जाते उपक्रम की दिशा को धरती से नियंत्रित किया जा सकता है तो ईवीएम हैक क्यों नहीं की जा सकती? अमेरिका में अगर ईवीएम से चुनाव होता तो क्या ट्रंप हार सकते थे?”

साल 2019 के लोकसभा चुनावों में हार के बाद कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी ईवीएम को लेकर संदेह जताया था। कॉन्ग्रेस के डाटा एनालिटिक्स मुखिया प्रवीण चक्रवर्ती की एक रिपोर्ट पढ़ने के बाद से राहुल गाँधी यह मानने लगे थे कि कॉन्ग्रेस EVM में गड़बड़ी के चलते ही हारी।

संडे गार्डियन अखबार ने उस दौरान दावा किया था कि राहुल गाँधी ने बैलेट से चुनाव कराने माँग उठाने के साथ विधानसभा निर्वाचन के बहिष्कार का निर्णय लिया है। हालाँकि, पार्टी के वरिष्ठ नेता सहमत नहीं दिखे थे। वरिष्ठ नेताओं ने कहा था कि अगर कॉन्ग्रेस बहिष्कार करेगी तो उसकी बची-खुची जगह भी क्षेत्रीय दलों के हाथों में चली जाएगी।

जून 2019 में कॉन्ग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने भी ईवीएम को लेकर सवाल उठाए थे। सोनिया गाँधी ने कहा था कि साल 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद देश की चुनावी प्रक्रियाओं पर ‘कई तरह के संदेह’ उभरे। बीजेपी द्वारा ईवीएम में हेराफेरी के कॉन्ग्रेस के आरोप को दोहराते हुए सोनिया गाँधी ने रायबरेली ने कहा था कि बिना आग के धुआँ नहीं उठता।

इतना ही नहीं, साल 2017 में कॉन्ग्रेस के तत्कालीन नेता गुलाम नबी आजाद ने भी विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों के साथ राष्ट्रपति से मुलाकात की थी और ईवीएम पर सवाल उठाए थे। जब पार्टी के एक नेता वीरप्पा मोइली ने कहा था कि ईवीएम सही है तो आजाद ने उनके बयान को व्यक्तिगत बता दिया था।

सोशल मीडिया पर नीतू पांडेय नाम की एक यूजर ने लिखा, “कर्नाटक में कांग्रेस विजय हुई, इसीलिए ईवीएम का रोना नहीं रोए? अगर भाजपा जीत जाती तो evm का रोना शुरू कर देते।”

त्रिलोकीनाथ चौधरी नाम के यूजर ने लिखा, “ईवीएम पर गला फाड़ने वाले कांग्रेस वामपंथी और जाहिल जिहादियों क्या कर्नाटक इलेक्शन में कांग्रेस की जीत गलत ढंग से हुई. EVM पर अब रैली और धरना नहीं करोगे?ठ

संजीव पराशर नाम के शख्स ने लिखा, “कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी की बंपर जीत पर बधाइयां खुशी की बात है कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल आज ईवीएम पर बिना निशाना साधे इस जीत को सहर्ष स्वीकार कर रहे हैं।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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