भारी हंगामे के बीच शुक्रवार (21 मार्च 2025) को कर्नाटक विधानसभा में मुस्लिमों को सरकारी ठेके में 4 प्रतिशत कोटा देने का बिल पास हो गया। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कॉन्ग्रेस सरकार ने बजट में इसकी घोषणा की थी और कुछ दिन पहले इसे कैबिनेट में मंजूरी दी थी। भाजपा ने इसे असंवैधानिक बताते हुए सदन में जमकर विरोध किया और कोर्ट में चुनौती देने की कसम खाई।
भाजपा के विधायकों ने विधानसभा के वेल में घुसकर सत्तारूढ़ कॉन्ग्रेस की सिद्धारमैया सरकार के खिलाफ जमकर नारे लगाए। भाजपा नेताओं ने बिल की कॉपी को फाड़ दिया और स्पीकर पर कागज फेंके दिया। इतना ही नहीं, वे विधानसभा अध्यक्ष स्पीकर की सीट पर भी चढ़ गए। भाजपा नेताओं ने अपने विरोध प्रदर्शन का बचाव किया और कहा कि उन्होंने जो भी किया सही किया।
#WATCH | Ruckus erupts in Karnataka Assembly as BJP MLAs enter the Well of the House and also tear and throw papers before the Speaker's chair
— ANI (@ANI) March 21, 2025
(Video source: Karnataka Assembly) pic.twitter.com/giejoDxCXF
भाजपा विधायक भरत शेट्टी ने कहा, “हनी ट्रैप घोटाले पर चर्चा करने के बजाय मुख्यमंत्री मुस्लिमों को चार प्रतिशत आरक्षण का बिल पेश करने में व्यस्त थे। इसलिए हमने विरोध किया। सरकार पक्ष के विधायकों ने भी कागज फाड़े और हम पर किताबें फेंकी। हमने किसी को नुकसान नहीं पहुँचाया।” विपक्षी दल भाजपा ने सरकार पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया।
वहीं, सत्ताधारी कॉन्ग्रेस सरकार ने अपने कदम का बचाव करते हुए कहा कि यह अल्पसंख्यकों के लिए सामाजिक न्याय और आर्थिक अवसर सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। दरअसल, इस कानून में प्रावधान किया गया है कि मुस्लिम ठेकेदारों को सरकारी निविदाओं में 4 प्रतिशत कोटा मिलेगा। इससे वे सार्वजनिक अनुबंधों के लिए अधिक प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे।
इससे पहले कर्नाटक के भाजपा के वरिष्ठ विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने बुधवार (19 मार्च 2025) को मुस्लिम कोटा विधेयक को खारिज करने की माँग करते हुए राज्यपाल थावरचंद गहलोत को एक चिट्ठी लिखी थी। उन्होंने इसे असंवैधानिक बताया। बता दें कि इससे पहले बुधवार (19 मार्च) को कर्नाटक विधानसभा ने केंद्र के वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया।
उस समय भाजपा सदन से वॉकआउट कर चुकी थी। प्रस्ताव को कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने पेश किया था। पाटिल ने विधानसभा में प्रस्ताव पढ़ते हुए कहा, “यह सदन सर्वसम्मति से केंद्र सरकार से आग्रह करता है कि वह वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को तुरंत वापस लेकर देश की सर्वसम्मत राय का सम्मान करे, जिसमें ऐसे प्रावधान हैं जो संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं।”