कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया की पत्नी बी. एम. पार्वती ने उन 14 प्लॉट्स को वापस करने का प्रस्ताव रखा है, जिन्हें लेने के मामले में सिद्दारमैया मुश्किल में फँसे हैं। यह पूरा घटनाक्रम ऐसे समय में आया है, जब कर्नाटक हाई कोर्ट ने सिद्दारमैया को इस मामले में राहत देने से इनकार कर दिया था। उनके खिलाफ जाँच के लिए राज्यपाल ने मंजूरी दी थी।
सिद्दारमैया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला
बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के तहत एक मामला दर्ज किया है, जो मैसूरु अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) के तहत भूमि आवंटन घोटाले से जुड़ा है। आरोप है कि 2010 में सिद्दारमैया के साले मल्लिकार्जुन स्वामी ने 3.16 एकड़ जमीन को मैसूरु के बाहरी इलाके में पार्वती को उपहार में दिया था।
इसके बाद इस जमीन को 50:50 एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत 14 हाउसिंग साइट्स में बदल दिया गया था। यह एक्सचेंज प्रोग्राम भारतीय जनता पार्टी (BJP) के शासनकाल में शुरू किया गया था। इन प्लॉट्स का आवंटन 2021 में किया गया था, जिससे राज्य को 56 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब पार्वती ने इन प्लॉट्स को वापस करने का प्रस्ताव रखते हुए कहा कि वह परिवार की प्रतिष्ठा को धन या संपत्ति से अधिक महत्वपूर्ण मानती हैं। उन्होंने MUDA से इन प्लॉट्स के दस्तावेज़ रद्द करने और प्लॉट्स को वापस लेने की प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू करने का आग्रह किया। पार्वती ने यह भी कहा कि उन्होंने इस फैसले को बिना किसी से परामर्श किए लिया है, यहाँ तक कि अपने पति सिद्दारमैया से भी नहीं। उनका कहना था कि उनके पति का राजनीतिक करियर हमेशा नैतिकता और ईमानदारी पर आधारित रहा है और इस मामले से उनकी इमेज नहीं बिगड़नी चाहिए।
पार्वती ने पत्र लिखकर की जमीन वापसी की अपील
पार्वती ने अपने पत्र में लिखा कि उनका यह फैसला उनके पति की प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। उन्होंने कहा कि उनके पति सिद्दारमैया पिछले 40 सालों से राजनीति में हैं और उन्होंने कभी किसी प्रकार का भ्रष्टाचार नहीं किया। उन्होंने अपने जीवन में हमेशा पारदर्शिता और ईमानदारी का पालन किया है, और इस मामले से उनके परिवार की छवि को जो नुकसान हो रहा है, उससे पार्वती मानसिक रूप से काफी परेशान हैं।
उन्होंने आगे लिखा कि उनके जीवन का सबसे बड़ा सुख यह है कि उनके पति को जनता से जो सम्मान मिला है, वह उनके लिए किसी भी संपत्ति से अधिक मूल्यवान है। उनके लिए यह स्वीकार करना असहनीय है कि उनकी परिवार की प्रतिष्ठा को गलत आरोपों से धूमिल किया जा रहा है। इसीलिए, उन्होंने यह कदम उठाने का फैसला किया है।
सिद्दारमैया की प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया पर बयान
मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने भी इस पूरे विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि उनकी पत्नी ने बिना औपचारिक प्रक्रिया के ही प्लॉटों को लौटाने का फैसला किया है। उन्होंने विपक्षी दलों पर आरोप लगाया कि ये सारे आरोप “झूठे” और “राजनीतिक दुर्भावना” से प्रेरित हैं। उन्होंने कहा कि वह हमेशा अन्याय के खिलाफ खड़े रहे हैं, लेकिन इस मामले से उनकी पत्नी पार्वती को जो मानसिक कष्ट हो रहा है, वह उन्हें बहुत दुखी कर रहा है।
ಮೈಸೂರಿನ ಮುಡಾ ಭೂಸ್ವಾಧೀನ ನಡೆಸದೆ ವಶಕ್ಕೆ ಪಡೆದಿದ್ದ ಜಮೀನಿಗೆ ಪರಿಹಾರ ರೂಪದಲ್ಲಿ ನೀಡಿದ್ದ ನಿವೇಶನಗಳನ್ನು ನನ್ನ ಪತ್ನಿ ಪಾರ್ವತಿ ಹಿಂದಿರುಗಿಸಿದ್ದಾರೆ.
— Siddaramaiah (@siddaramaiah) September 30, 2024
ನನ್ನ ವಿರುದ್ದ ರಾಜಕೀಯ ದ್ವೇಷ ಸಾಧನೆಗಾಗಿ ವಿರೋಧ ಪಕ್ಷಗಳು ಸುಳ್ಳು ದೂರನ್ನು ಸೃಷ್ಟಿಸಿ ನನ್ನ ಕುಟುಂಬವನ್ನು ವಿವಾದಕ್ಕೆ ಎಳೆದು ತಂದಿರುವುದು ರಾಜ್ಯದ ಜನತೆಗೂ ತಿಳಿದಿದೆ.
ಈ… pic.twitter.com/tk0C69rL3w
सिद्दारमैया ने यह भी कहा कि उनकी पत्नी ने कभी भी सार्वजनिक जीवन में किसी भी प्रकार का व्यक्तिगत लाभ नहीं लिया और वह हमेशा राजनीति से दूर रही हैं। इस विवाद ने उनकी पत्नी को मानसिक रूप से परेशान किया है, और इसी कारण उन्होंने यह निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री ने अपनी पत्नी के फैसले का सम्मान करते हुए कहा कि वह इस निर्णय में उनके साथ हैं और उनकी स्थिति को पूरी तरह समझते हैं।
लोकायुक्त पुलिस की शिकायत और ED की जाँच
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने यह मामला कर्नाटक लोकायुक्त पुलिस की शिकायत के आधार पर दर्ज किया है। लोकायुक्त पुलिस ने सिद्दारमैया, उनकी पत्नी बी. एम. पार्वती, उनके साले मल्लिकार्जुन स्वामी और पूर्व भूमि मालिक देवराज के खिलाफ भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोपों के तहत प्राथमिकी (FIR) दर्ज की थी। यह मामला मैसूरु अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) के तहत 14 भूखंडों के आवंटन में अनियमितताओं से जुड़ा है। इन भूखंडों की कुल कीमत लगभग 56 करोड़ रुपये आँकी गई है।
ED ने इन आरोपों की जाँच के तहत मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत एक प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ECIR) दर्ज की है, जो एक प्रकार की प्राथमिकी होती है। इस जाँच में सिद्दारमैया और उनके परिवार की संपत्तियों की जब्ती भी हो सकती है, यदि अनियमितताएँ पाई जाती हैं।
भूमि आवंटन घोटाला और अन्य विधायकों के नाम
इस बीच, एक अन्य विवाद में चिक्कमगलूर जिले के कडूर और मुदिगेरे तालुकों में 10,000 एकड़ से अधिक भूमि के अवैध आवंटन का मामला सामने आया है। इस मामले की जाँच रिपोर्ट में 6 पूर्व विधायकों और 326 अधिकारियों के नाम शामिल हैं, जो इस अवैध आवंटन के लिए जिम्मेदार ठहराए गए हैं। यह भूमि आवंटन प्रक्रिया राज्य की भूमि नियमितीकरण समिति के तहत हुई थी, जिसमें भारी अनियमितताएँ पाई गईं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कडूर विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक वाई. एस. वी. दत्ता, बेल्ली प्रकाश, मुदिगेरे के पूर्व विधायक मोतम्मा, एम. पी. कुमारस्वामी, और बी. बी. निंगैया सहित कई विधायकों के नाम इस घोटाले में शामिल हैं। इसके अलावा, समिति के अध्यक्ष बी. एल. प्रकाश और अन्य 23 सदस्यों पर भी आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने अयोग्य व्यक्तियों को भूमि आवंटित की।
रिपोर्ट में बताया गया है कि कुल 10,598 एकड़ भूमि में से 6,248 एकड़ भूमि अयोग्य व्यक्तियों को दी गई, और इस प्रक्रिया में कई प्रकार की अनियमितताएँ देखी गईं, जैसे बिना आवेदन के भूमि आवंटन, पात्रता की तारीख के बाद आवेदन प्राप्त करना, और फर्जी दस्तावेज़ों का उपयोग करना।
विधायकों और अधिकारियों ने खुद को बताया बेगुनाह
वाई. एस. वी. दत्ता ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान सभी समिति की बैठकें सार्वजनिक रूप से आयोजित की गई थीं। उन्होंने कहा कि अगर कोई अनियमितता हुई है, तो वह सरकार के निर्णय का पालन करेंगे। इसी तरह, पूर्व विधायक सी. टी. रवि ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कोई भी गलत काम नहीं किया है और हमेशा कानून का पालन किया है।
इस मामले में 326 अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं, जिनमें तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक और गाँव प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इन अधिकारियों ने प्रक्रियात्मक गड़बड़ियों और नियमों का उल्लंघन करके भूमि आवंटित की, और इनमें से कई मामले बिना किसी समिति की मंजूरी के हुए हैं।