कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने निजी क्षेत्र की नौकरियों में लोकल लोगों को रिजर्वेशन देने के फैसले से कदम वापस खींच लिए हैं। सिद्धारमैया के फैसले का भारी विरोध भी हो रहा था, जिसकी वजह से कॉन्ग्रेसी सरकार बुरी तरह से घिर गई थी। यही नहीं, इस फैसले की जानकारी देने वाले ट्वीट को भी मुख्यमंत्री को डिलीट करना पड़ा था।
प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण वाले बिल पर से कदम खींचने की जानकारी खुद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने दी। उन्होंने एक्स पर लिखा, “निजी क्षेत्र के संगठनों, उद्योगों और उद्यमों में कन्नडिगाओं के लिए आरक्षण देने के लिए कैबिनेट द्वारा अनुमोदित विधेयक को अस्थाई रूप से रोक दिया गया है। आने वाले दिनों में इस पर फिर से विचार किया जाएगा और निर्णय लिया जाएगा।”
The draft bill intended to provide reservations for Kannadigas in private sector companies, industries, and enterprises is still in the preparation stage.
— Siddaramaiah (@siddaramaiah) July 17, 2024
A comprehensive discussion will be held in the next cabinet meeting to make a final decision.
बता दें कि कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार ने राज्य में निजी संस्थानों में कन्नड़ लोगों के लिए आरक्षण लागू करने का फैसला लिया था। सिद्दारमैया कैबिनेट ने इस संबंध में एक बिल पर मुहर लगाई थी। इस बिल में कहा गया था कि कर्नाटक की गैर प्रबंधकीय नौकरियों में 75% और प्रबंधकीय नौकरियों में 50% आरक्षण कन्नड़ भाषाई लोगों को दिया जाएगा।
इस बिल के अनुसार, राज्य में स्थित सभी फैक्ट्रियों और दफ्तरों में नौकरी पर रखे जाने वाले लोग अब कन्नड़ ही होने चाहिए। इस बिल के अनुसार, राज्य में स्थित सभी दफ्तरों और फैक्ट्रियों में काम पर रखे जाने वाले ग्रुप सी और ग्रुप डी (सामान्यतः क्लर्क और चपरासी या फैक्ट्री के कामगार) के 75% लोग कन्नड़ होने चाहिए। इसके अलावा, बिल के अनुसार इससे ऊँची नौकरियों में 50% नौकरियाँ कन्नड़ लोगों को मिलनी चाहिए। हालाँकि इस बिल का काफी तीखा विरोध हुआ था।
प्रमुख कारोबारियों के बाद IT कंपनी संगठन NASSCOM (नेशनल असोसिएशन फॉर सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेस कंपनीज) ने इस निर्णय पर अपनी चिंताएँ जाहिर करते हुए कहा था कि सरकार को ये बिल वापस लेना चाहिए। NASSCOM ने एक पत्र जारी करके इस नए बिल को लेकर समस्याएँ बताई थी। NASSCOM ने इस बिल पर चिंता जताते हुए कहा, “इस तरह के बिल बेहद परेशान करने वाला है, यह ना केवल टेक इंडस्ट्री के विकास में बाधा डालेगा, बल्कि यहाँ नौकरियों और कर्नाटक के ब्रांड पर भी असर डालेगा। NASSCOM सदस्य इस बिल के प्रावधानों को लेकर काफी चिंतित हैं और राज्य सरकार से इसे वापस लेने की माँग करते हैं।” NASSCOM ने कहा कि इस बिल से राज्य के विकास और कम्पनियों के राज्य से बाहर जाने और स्टार्टअप को मुश्किल में पड़ने का खतरा है। NASSCOM ने कहा है कि इस कानून के कारण कम्पनियों को बाहर जाना पड़ सकता है जिससे उन्हें टैलेंट मिल सके।
देश भर की 3200 से अधिक टेक कम्पनियाँ NASSCOM की सदस्य हैं और 245 बिलियन डॉलर (लगभग ₹20 लाख करोड़) की इंडस्ट्री का प्रतिनिधित्व करती है। NASSCOM के विरोध के कारण कर्नाटक सरकार पर अब दबाव बन रहा है। NASSCOM से पहले NITI आयोग के पूर्व CEO अमिताभ कान्त ने भी इस बिल को लेकर चिंताएँ जाहिर की थी।