कर्नाटक की 14 महीने पुरानी सरकार पर जारी उठा-पठक अब संवैधानिक संकट में तब्दील हो गया है।लगातार दूसरे दिन एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली कॉन्ग्रेस-जदएस सरकार के विश्वास मत पर मतदान हुए बिना ही सदन कार्यवाही स्थगित कर दी गई। अब सोमवार यानी 22 जुलाई को बहुमत का परीक्षण होगा।
इससे पहले शुक्रवार को भी सदन के भीतर और बाहर सियासी ड्रामा चलता रहा। मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने भी शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर कहा है कि राज्यपाल वजूभाई वाला विधानसभा को निर्देशित नहीं कर सकते कि विश्वास मत प्रस्ताव किस तरह लिया जाए।
उन्होंने कहा,”मैं गवर्नर का सम्मान करता हूॅं। लेकिन, उनके दूसरे लव लेटर से मैं आहत हुआ हूॅं।” उनका आशय राज्यपाल के उस पत्र को लेकर था जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री को शुक्रवार शाम छह बजे तक बहुमत साबित करने के लिए कहा था।
कर्नाटक विधानसभा की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित, पूरी नहीं हो सकी विश्वास मत की प्रक्रिया#KarnatakaFloorTest #KarnatakaPoliticalCrisis pic.twitter.com/rnEIsQKZ4W
— दूरदर्शन न्यूज़ (@DDNewsHindi) July 19, 2019
राज्यपाल ने गुरुवार को भी विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर विश्वासमत की प्रक्रिया पूरी कराने को कहा था। इसके बावजूद कार्यवाही स्थगित कर दी गई। आज फिर राज्यपाल ने बहुमत साबित करने के लिए शुक्रवार 1.30 बजे तक की समय-सीमा निर्धारित की। सदन में समय-सीमा के भीतर विश्वासमत प्रस्ताव पर मत विभाजन नहीं हो सका, जिसके बाद राज्यपाल ने समय-सीमा को फिर से निर्धारित कर इसे शाम के छह बजे कर दिया।
गौरतलब है कि करीब दो हफ्ते पहले सत्तारूढ़ गठबंधन के 15 बागी विधायकों के इस्तीफे से राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हुआ था। बागी विधायकों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 17 जुलाई को निर्देश दिया था कि इन विधायकों को विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिये बाध्य नहीं किया जा सकता।
इस फैसले पर स्पष्टीकरण की मांग करते हुए मुख्यमंत्री कुमारस्वामी और कांग्रेस की कर्नाटक इकाई ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इसमें उन्होंने दावा किया है कि न्यायालय का आदेश विधानसभा के चालू सत्र में अपने विधायकों को व्हिप जारी करने में बाधक बन रहा है।
कुमारस्वामी ने विश्वास मत की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए राज्यपाल द्वारा एक के बाद एक निर्धारित की गई समय-सीमा पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के निर्देश शीर्ष अदालत के पूर्व के फैसले के पूरी तरह विपरीत हैं।
अपनी याचिका में उन्होंने कहा कि जब विश्वास प्रस्ताव पर कार्यवाही पहले से ही चल रही है तो राज्यपाल वजुभाई वाला इस पर कोई निर्देश नहीं दे सकते। उन्होंने कहा कि विश्वास प्रस्ताव पर बहस किस तरह से हो इसे लेकर राज्यपाल सदन को निर्देशित नहीं कर सकते।
विधानसभा के आज दोपहर डेढ़ बजे तक विश्वास मत प्रक्रिया पूरी करने में विफल रहने के बाद राज्यपाल ने कुमारस्वामी को दूसरा पत्र लिखा। उन्होंने विधानसभा में जारी विचार-विमर्श से विश्वास मत पारित होने में देरी की ओर इशारा किया। वाला ने विधायकों की खरीद-फरोख के व्यापक आरोपों का जिक्र करते हुए कहा कि यह संवैधानिक रूप से अनिवार्य है कि विश्वास मत प्रक्रिया बिना किसी विलंब के शुक्रवार को ही पूरी हो।
वाला ने कुमारस्वामी को दूसरे पत्र में कहा, “जब विधायकों की खरीद-फरोख्त के व्यापक स्तर पर आरोप लग रहे हैं और मुझे इसकी कई शिकायतें मिल रही हैं, यह संवैधानिक रूप से अनिवार्य है कि विश्वास मत बिना किसी विलंब के आज ही पूरा हो।”
CM HD Kumaraswamy: I have respect for the Governor. But the second love letter from the Governor has hurt me. He only came to know about horse trading 10 days ago?(Shows photos of BS Yeddyurappa's PA Santosh, reportedly boarding a plane with independent MLA H Nagesh) pic.twitter.com/VIcA4TUmeI
— ANI (@ANI) July 19, 2019
कुमारस्वामी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें ‘दूसरा प्रेम पत्र’ मिला है और इससे वह आहत हैं। इससे पहले समय सीमा के करीब आने पर सत्तारूढ़ गठबंधन ने ऐसा निर्देश जारी करने को लेकर राज्यपाल की शक्ति पर सवाल उठाया।