Saturday, November 16, 2024
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‘AAP के विज्ञापन की खैरात से चलता है मीडिया’: केजरीवाल पर बरसे कश्मीरी पंडित, कहा- बाबर, कॉन्ग्रेस और कम्युनिस्टों के अत्याचार छिपाए गए

बकौल रत्नो रुद्रा, जो मेनस्ट्रीम के मीडिया हैं वो AAP के विज्ञापन के खैरात पर चलते हैं और उन्हें बुला-बुला कर अरविंद केजरीवाल ने इंटरव्यू दिया है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निवास स्थान के बाहर बुधवार (30 मार्च, 2022) को कश्मीरी पंडितों ने विरोध प्रदर्शन किया। कारण- उन्होंने नब्बे के दशक में इस्लामी कट्टरवादियों द्वारा किए गए कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार पर बनी फिल्म को न सिर्फ टैक्स फ्री करने से इनकार कर दिया, बल्कि दिल्ली विधानसभा में पार्टी विधायकों के साथ इस पर ठहाके भी लगाए। उनसे माफ़ी माँगने की बात करते हुए कश्मीरी पंडितों ने विरोध प्रदर्शन किया।

इस विरोध प्रदर्शन के दौरान हमें एक बुजुर्ग कश्मीरी पंडित रत्नो रुद्रा भी मिले, जिन्होंने बेबाकी से अपनी बात रखी और दिल्ली के सीएम को लगभग धो डाला। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने जिस तरह ‘The Kashmir Files’ का मजाक उड़ाया है और इसे एक झूठी कहानी बताया, वो उनकी संवेदनहीनता को दर्शाता है, उनके संवेदनहीन सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि इससे कोई दिक्कत नहीं है कि केजरीवाल फिल्म में अभिनय, संगीत, सिनेमैटोग्राफी इत्यादि पर टिप्पणी करें।

लेकिन, उन्हें समस्या इस बात से है कि AAP सुप्रीमो ने इस फिल्म में दिखाई गई घटनाओं को ही झूठा बता दिया। उनके मुताबिक, इसका कोई आधार नहीं है। उन्होंने टीकालाल टपलू और जस्टिस नीलकंठ गंजू की हत्याओं का जिक्र किया। जस्टिस गंजू ने आतंकी मकबूल भट्ट को मौत की सज़ा दी थी। उन्होंने याद किया कि कैसे उन्हें बीच चौराहे पर मारा गया था और उनके शव के चारों तरफ आतंकी गोलीबारी करते हुए नाच रहे थे।

रत्नो रुद्रा ने पूछा कि क्या ये झूठ है? उन्होंने कहा कि फिल्म में इन्हीं दृश्यों को दिखाया गया है। उन्होंने गिरिजा टिक्कू के सामूहिक दुष्कर्म और उन्हें आरी से टुकड़ों में काटे जाने की घटना याद की। उन्होंने ऐसे लोगों से भी आपत्ति जताई, जो ये कह रहे हैं कि विवेक अग्निहोत्री ने ‘The Kashmir Files’ पैसे कमाने के लिए बनाए। उन्होंने ‘Schindler’s List (1993)’ और ‘The Pianist (2002)’ का जिक्र करते हुए पूछा कि क्या उन फिल्मों ने पैसे कमाए तो उनमें दिखाई गई चीजें झूठ थीं?

उन्होंने कहा, “यहूदियों के दुःख-दर्द को दिखाने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन भारत में हिन्दुओं का दुःख-दर्द कोई दिखा दे तो कुछ नेताओं के वोट बैंक में खलबली मच जाती है। इनकी राजनीति ही यही रही है – हमेशा मुस्लिमों को हाइलाइट करो। वो भी भारतीय हैं, लेकिन आप हमेशा मुस्लिमों का महिमामंडन करोगे और हिन्दुओं की बातें सच होने के बावजूद दबाओगे तो ये झूठ है। अरविंद केजरीवाल ने कोई नौकरी किसी को नहीं दी है। कश्मीरी पंडितों को कोई मुआवजा नहीं मिला है।”

बकौल रत्नो रुद्रा, जो मेनस्ट्रीम के मीडिया हैं वो AAP के विज्ञापन के खैरात पर चलते हैं और उन्हें बुला-बुला कर अरविंद केजरीवाल ने इंटरव्यू दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसे इंटरव्यूज में भी दिल्ली के सीएम झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने जघन्य घटनाओं पर केजरीवाल और उनके विधायकों के हँसने को जघन्य अपराध बताया। कश्मीरी पंडितों को सीएम आवास से काफी पहले ही रोक दिया गया। इस पर कश्मीरी पंडित रत्नो रुद्रा ने कहा कि वो सच्चाई कभी सुनना नहीं चाहेंगे।

उन्होंने बताया कि कैसे पहली बार कॉन्ग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार बनाने के बाद अरविंद केजरीवाल ने ‘जनता दरबार’ नियमित रूप से लगाने का वादा किया था, लेकिन पहले ही ऐसे कार्यक्रम में वो कूद कर भाग खड़े हुए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि कभी अरविंद केजरीवाल जनता का सामना करेंगे ही नहीं। उन्होंने कहा कि हमें अनुमति दिया जाता तो सीएम आवास के बाहर जाते। साथ ही चुनौती दी कि मुख्यमंत्री बाहर आकर मिलें।

उन्होंने चुनौती दी कि अगर हिम्मत है तो अरविंद केजरीवाल हमसे आकर मिलें, बात करें। उन्होंने ध्यान दिलाया कि यहाँ सिविल लाइंस स्थित उनके आवास पर जमा सभी लोग कामकाजी हैं और छात्र हैं, कोई आतंकी या उग्रवादी तो हैं नहीं। उन्होंने ये भी कहा कि हम तो तो सच जो दिखाया गया है, उसके समर्थन में खड़े हैं। उन्होंने कहा कि हम सिविल सोसाइटी के लोग हैं, जो शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते हुए न्याय की माँग का नारा लगा रहे हैं और लोकतंत्र में जस्टिस माँगना अपराध तो नहीं है।

उन्होंने कहा, “अचानक आपके सामने सच सामने आ जाए तो आपको आश्चर्य और हैरानी होगी। ‘The Kashmir Files’ देख कर लोग ये सोच रहे हैं कि हमसे 32 वर्षों तक ये चीजें छिपाई गईं। मीडिया और एक इकोसिस्टम ने मिल कर इसे छिपाया। हिन्दुओं के साथ जो भी बुरा हुआ है, वो छिपाया गया है। चाहे आप बाबर से लेकर औरंगजेब तक के अत्याचार ले लीजिए, सारे सच छिपाए गए। कॉन्ग्रेस और वामपंथियों ने केरल और पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं के साथ जो गलत किया, उसे छिपाया गया है। वो सिर्फ अपनी चीजें दिखाना चाहते हैं।”

रत्नो रुद्रा ने स्पष्ट कर दिया कि हमलोग यहाँ भाजपा-कॉन्ग्रेस-AAP करने नहीं आए हैं, लेकिन केंद्र सरकार कश्मीरी पंडितों को दोबारा बसाने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि उन्हें सुरक्षा भी देनी होगी। उन्होंने इसे अच्छा निर्णय बताया कि वहाँ कोई भी भारतीय नागरिक जीम खरीद सकता है। उन्होंने वहाँ सेवानिवृत्त सेना के जवानों के लिए वहाँ कॉलोनी बनाए जाने के निर्णय का भी स्वागत किया। उन्होंने कहा कि वहाँ से जिन्हें भगाया गया, उनमें से 90% लोगों की संपत्ति वहाँ भी है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन कश्मीरी पंडितों को वापस उनकी संपत्ति दी जाए। उन्होंने कहा कि यही सरकार है, जिसकी वजह से बिट्टा कराटे और यासीन मलिक कैसे आतंकी जेल में है। उन्होंने कहा कि हमें न्याय मिलेगा, यही उम्मीद है। कश्मीरी पंडितों ने प्रदर्शन के दौरान हाथ में काली पट्टी भी पहन रखी थी। उन्होंने इस पर ख़ुशी जताई कि इससे जुड़े कुछ पुराने मामले अदालतों में खुल रहे हैं और आगे कार्रवाई होगी।

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अनुपम कुमार सिंह
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भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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