केरल की सत्ताधारी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) से आगामी विधानसभा चुनावों में एक चर्च समर्थित उम्मीदवार को टिकट देने की सिफारिश कर एक कैथोलिक बिशप विवादों में घिर गए हैं।
रिपोर्टों के अनुसार, बिशप जैकब मनथोदाथ ने 11 जनवरी को सीपीआई के राज्य सचिव कनम राजेंद्रन को एक ‘गोपनीय पत्र’ लिखा। इसमें इस्साक वर्गीज (Issac Varghese) नाम के एक कैथोलिक उद्योगपति को टिकट देने की सिफारिश की गई थी। पत्र में कैथोलिक बिशप ने सीपीआई नेता को आश्वासन दिया कि अगर वर्गीज को पलक्कड़ जिले के मन्नारक्कड़ निर्वाचन क्षेत्र से टिकट दिया जाता है तो ईसाई कम्युनिस्ट पार्टी का समर्थन करेंगे।
पत्र के मीडिया में लीक होने के बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया है। लोगों ने चर्च और बिशप के राजनीतिक झुकाव पर सवाल उठना शुरू कर दिया है। कॉन्ग्रेस समर्थक मैथ्यू जेवियर ने कहा, “एक बिशप को अपनी पार्टी चुनने का अधिकार है। लेकिन उनका एक राजनीतिक पार्टी के टिकट के लिए किसी की सिफारिश करने की सराहना नहीं की जा सकती है।”
केरल कैथोलिक बिशप्स काउंसिल (KCBC) के उप सचिव, फादर जैकब पालकप्पिली ने विवाद से खुद को अलग करते हुए कहा है कि चर्च सभी राजनीतिक दलों से पर्याप्त दूरी बनाए रखता है। उन्होंने कहा कि चर्च लंबे समय से इस बात पर अडिग है और बिशप जैकब की टिप्पणियाँ उनके निजी विचार हैं। हालाँकि सोशल मीडिया पर आलोचनाओं के बावजूद बिशप ने पत्र लिखने का कारण नहीं बताया है।
गौरतलब है कि 140 सीटों वाली केरल विधानसभा के आगामी चुनावों से पहले कई राजनीतिक दल अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए मजहबी नेताओं के पास पहुँच रहे हैं। ऐसे में कैथोलिक बिशप का यह पत्र काफी बातों से पर्दा उठता है। माना जाता है कि केरल की जनसंख्या में 18% ईसाई हैं और वे सरकार गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राज्य में ईसाइयों को पारंपरिक रूप से कॉन्ग्रेस पार्टी का समर्थक माना जाता है।