केरल के गोल्ड स्मगलिंग मामले में हाल ही में एक बड़ा विवाद सामने आया है, जिसने राज्य की राजनीति में हंगामा खड़ा कर रहा है। मामला तब और गर्म हो गया जब सत्ताधारी पार्टी के नेता और लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) के विधायक के. टी. जलील ने मुस्लिम समुदाय पर गोल्ड स्मगलिंग में अधिक शामिल होने का आरोप लगाया। उनके इस बयान ने केरल की सियासत में हड़कंप मचा दिया है, खासकर मलप्पुरम जिले के संबंध में दिए गए उनके बयान को लेकर। क्या है ये पूरा विवाद, आइए आपको समझाते हैं।
दरअसल, केरल में सोना तस्करी का मामला तब और उछल गया जब LDF विधायक के. टी. जलील ने मुस्लिम समुदाय पर सोने की अधिक तस्करी में शामिल होने का आरोप लगाया और मजहबी नेताओं से सोना तस्करी के खिलाफ फतवा जारी करने की माँग की। जलील का बयान कोझिकोड हवाई अड्डे से पकड़े गए तस्करों के संदर्भ में आया, जिनमें अधिकांश मुस्लिम समुदाय से थे। जलील ने एक मौलवी पर सोना तस्करी का आरोप लगाते हुए कहा कि वह हज यात्रा से लौटते समय कुरान में छिपाकर सोना लाया था, हालाँकि उसके नाम का खुलासा नहीं किया गया है।
क्या है पूरा मामला?
केरल में गोल्ड स्मगलिंग की घटनाएँ पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी हैं, खासकर मलप्पुरम जिले के कोझिकोड हवाई अड्डे से। राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन पहले ही इस मुद्दे पर बात कर चुके हैं। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि “आँकड़े बताते हैं कि मलप्पुरम जिले से भारी मात्रा में सोना और हवाला पैसे आ रहे हैं।” मुख्यमंत्री के इस बयान ने पहले ही विपक्ष को हमलावर बना दिया था। अब जलील के बयान ने इस आग में और घी डाल दिया है।
जलील ने अपने बयान में कहा कि “कोझिकोड एयरपोर्ट पर पकड़े जाने वाले अधिकतर लोग मुस्लिम होते हैं।” जलील ने यहाँ तक कहा कि मुस्लिम मजहबी नेताओं को लोगों को सोना तस्करी और हवाला लेन-देन से दूर रहने की सलाह देनी चाहिए। उन्होंने मुस्लिम लीग के नेताओं से अपील की कि वे सोना तस्करी के खिलाफ फतवा जारी करें, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह काम मजहब के खिलाफ है।
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने दी तीखी प्रतिक्रिया
जलील के इस बयान ने खासकर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) और कॉन्ग्रेस को नाराज कर दिया। IUML के महासचिव पी. एम. ए. सलाम ने कहा कि जलील पूरे समुदाय को अपराधी बता रहे हैं, जो निंदनीय और खतरनाक है। उन्होंने माँग की कि जलील तुरंत अपने बयान के लिए माफी माँगें। IUML के अन्य नेताओं ने भी जलील पर हमला बोला, और कहा कि जलील ने केवल अपने राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए इस तरह के बयान दिए हैं।
IUML के नेता सलाम ने कहा, “यह बयान समुदाय को बदनाम करने की साजिश है। यहाँ तक कि बीजेपी नेताओं ने भी ऐसा आरोप नहीं लगाया है।” वहीं कॉन्ग्रेस नेता वी. टी. बलराम ने जलील के बयान को “बेतुका” बताया और कहा कि अपराधों का मुकाबला फतवे के जरिए नहीं, बल्कि कानूनन किया जाना चाहिए।
जलील की सफाई से संतुष्ट नहीं हुए लोग
बयान को लेकर हुए विवाद के बाद जलील ने सफाई पेश की। केटी जलील ने कहा कि उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं कहा जो इस्लाम के खिलाफ हो। उनका मकसद केवल यह था कि मजहबी नेता लोगों को जागरूक करें कि सोना तस्करी और हवाला लेन-देन मजहब के खिलाफ हैं। “मैंने सिर्फ इतना कहा है कि अधिकतर लोग जो पकड़े जा रहे हैं, वे मुस्लिम हैं।”
जलील ने कहा कि उन्होंने पूरे समुदाय पर आरोप नहीं लगाया है, बल्कि उन्होंने सिर्फ यह बताया कि सोना तस्करी में शामिल अधिकतर लोग मुस्लिम समुदाय से हैं। उनका कहना था कि “समुदाय को यह समझना होगा कि यह गतिविधियाँ मजहब के खिलाफ हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने सिर्फ जागरूकता फैलाने के लिए मजहबी नेताओं से फतवे की माँग की है, और यह माँग इस्लामोफोबिया नहीं है।
इस पूरे विवाद में बीजेपी नेता वी. मुरलीधरन ने भी जलील पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि “जलील का बयान संविधान का अपमान है।” मुरलीधरन ने कहा कि देश में अपराधों के खिलाफ कानून बने हुए हैं, और इन कानूनों का आधार संविधान है, न कि कोई मजहबी कानून। उन्होंने यह भी कहा कि जलील का बयान संविधान की मूल भावना के खिलाफ है और उन्हें इस मामले में सोच-समझकर बोलना चाहिए।
वहीं, बीजेपी के अलावा कॉन्ग्रेस नेताओं ने भी इस विवाद पर टिप्पणी की। कॉन्ग्रेस नेता शफी परम्बिल ने कहा, “भारत एक लोकतांत्रिक देश है, और यहां किसी भी गैरकानूनी गतिविधि को फतवे के जरिए नहीं बल्कि कानूनी तरीके से सुलझाया जाना चाहिए।” उन्होंने कहा कि जलील का बयान समाज में एक गलत संदेश दे रहा है और यह देश के लोकतांत्रिक ढाँचे के खिलाफ है।
गोल्ड स्मगलिंग में आ चुका है जलील का नाम, NIA ने की थी पूछताछ
यह पहली बार नहीं है कि जलील विवादों में घिरे हैं। 2020 में जब वह उच्च शिक्षा मंत्री थे, तब भी उन पर कस्टम विभाग ने एक मामले में पूछताछ की थी, जिसमें यूएई के वाणिज्य दूतावास के माध्यम से तस्करी का आरोप लगा था। उन पर कस्टम्स द्वारा सोने की तस्करी का मामला भी दर्ज किया गया था। उस समय भी जलील को ‘व्यक्ति विशेष’ के रूप में संदिग्ध माना गया था, और उन्हें राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) द्वारा भी पूछताछ के लिए बुलाया गया था।
केरल में सोना तस्करी का मामला एक बड़ा मुद्दा बन चुका है, खासकर मलप्पुरम जिले के संदर्भ में। जलील के बयान ने इस पूरे मामले ने केरल की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दिया है, और यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह विवाद किस दिशा में जाता है।