केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को एक चिट्ठी लिखी है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम में केंद्र के प्रतिनिधियों को शामिल करने की सलाह दी है। कहा है कि इससे जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। जनता की ओर जवाबदेही भी तय होगी।
Union Law Minister #KirenRijiju has, in a letter, requested the #Chief Justice of India DY Chandrachud to include Centre’s representatives in the #CollegiumSystem https://t.co/JVep4N5YVO
— Jagran English (@JagranEnglish) January 16, 2023
केंद्रीय मंत्री के इस पत्र पर दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा, “ये बेहद खतरनाक है। न्यायपालिका में नियुक्ति में सरकार का कोई भी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।” उनके इस ट्वीट पर जवाब देते हुए किरण रिजिजू ने कहा,
आशा करता हूँ कि आप अदालत के निर्देश का सम्मान करेंगे! यह राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम (National Judicial Appointment Commission Act) को रद्द करते हुए सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ के निर्देश की फॉलो-अप कार्रवाई है। SC की संविधान पीठ ने कॉलेजियम प्रणाली के MoP (मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर) को पुनर्गठित करने का निर्देश दिया था।
I hope you honour Court’s direction! This is precise follow-up action of the direction of Supreme Court Constitution Bench while striking down the National Judicial Appointment Commission Act. The SC Constitution Bench had directed to restructure the MoP of the collegium system. https://t.co/b1l0jVdCkJ
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) January 16, 2023
इससे पहले इस संबंध में उप राष्ट्रपति और लोकसभा स्पीकर भी अपनी राय दे चुके है। उनके अलावा सर्वोच्च न्यायालय की पूर्व जज रूमा पाल ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए 2011 में कह दिया था कि कॉलेजियम प्रक्रिया ने ऐसी धारणा बनाई है- “आप मुझको बचाओ, मैं आपको बचाऊँ।”
कॉलेजियम सिसस्टम में सुधार का मुद्दा केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू लगातार उठा रहे हैं। उन्होंने इस प्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि जजों की नियुक्ति में सरकार की बहुत सीमित भूमिका है जबकि जजों की नियुक्ति करना सरकार का अधिकार है। देश में 5 करोड़ से अधिक केस लंबित हैं। इसके पीछे मुख्य कारण जजों की नियुक्ति है।
2015 में NJAC असंवैधानिक करार
बता दें कि साल 2015 में नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन एक्ट (NJAC) लाया गया था। इसमें जजों की नियुक्ति को लेकर कई बदलावों की बात थी। इसके मुताबिक NJAC की अगुआई सीजेआई को करनी थी। इनके अलावा 2 सबसे वरिष्ठ जजों को रखा जाना था और साथ में कानून मंत्री और प्रतिष्ठित लोगों को इसमें शामिल करने का सिस्टम इस एक्ट में दिया गया था।
ऐसे ही NJAC में प्रतिष्ठित लोगों का चयन प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और CJI के पैनल को करने की व्यवस्था थी। मगर अक्टूबर 2015 में सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों ने इसे असंवैधानिक करार दे दिया। अब सीजेआई को लिखे गए पत्र को नए NJAC के तौर पर देखा जा रहा है।
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम में 5 सदस्य होते हैं। मुख्य न्यायाधीश इसमें प्रमुख होते हैं। इनके अलावा 5 सबसे वरिष्ठ जज होते हैं। इस समय कॉलेजियम में जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस केएम जोसेफ शामिल हैं।