Sunday, November 17, 2024
Homeराजनीतिकॉलेजियम सिस्टम में केंद्र के प्रतिनिधि को भी शामिल करें: CJI को कानून मंत्री...

कॉलेजियम सिस्टम में केंद्र के प्रतिनिधि को भी शामिल करें: CJI को कानून मंत्री की चिट्ठी, कहा- इससे पारदर्शिता आएगी, जवाबदेही तय होगी

कानून मंत्री किरण रिजिजू ने सवाल उठाते हुए कहा कि जजों की नियुक्ति में सरकार की बहुत सीमित भूमिका है जबकि जजों की नियुक्ति करना सरकार का अधिकार है। देश में 5 करोड़ से अधिक केस लंबित हैं। इसके पीछे मुख्य कारण जजों की नियुक्ति है।

केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को एक चिट्ठी लिखी है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम में केंद्र के प्रतिनिधियों को शामिल करने की सलाह दी है। कहा है कि इससे जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। जनता की ओर जवाबदेही भी तय होगी।

केंद्रीय मंत्री के इस पत्र पर दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा, “ये बेहद खतरनाक है। न्यायपालिका में नियुक्ति में सरकार का कोई भी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।” उनके इस ट्वीट पर जवाब देते हुए किरण रिजिजू ने कहा,

आशा करता हूँ कि आप अदालत के निर्देश का सम्मान करेंगे! यह राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम (National Judicial Appointment Commission Act) को रद्द करते हुए सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ के निर्देश की फॉलो-अप कार्रवाई है। SC की संविधान पीठ ने कॉलेजियम प्रणाली के MoP (मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर) को पुनर्गठित करने का निर्देश दिया था।

इससे पहले इस संबंध में उप राष्ट्रपति और लोकसभा स्पीकर भी अपनी राय दे चुके है। उनके अलावा सर्वोच्च न्यायालय की पूर्व जज रूमा पाल ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए 2011 में कह दिया था कि कॉलेजियम प्रक्रिया ने ऐसी धारणा बनाई है- “आप मुझको बचाओ, मैं आपको बचाऊँ।”

कॉलेजियम सिसस्टम में सुधार का मुद्दा केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू लगातार उठा रहे हैं। उन्होंने इस प्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि जजों की नियुक्ति में सरकार की बहुत सीमित भूमिका है जबकि जजों की नियुक्ति करना सरकार का अधिकार है। देश में 5 करोड़ से अधिक केस लंबित हैं। इसके पीछे मुख्य कारण जजों की नियुक्ति है।

2015 में NJAC असंवैधानिक करार

बता दें कि साल 2015 में नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन एक्ट (NJAC) लाया गया था। इसमें जजों की नियुक्ति को लेकर कई बदलावों की बात थी। इसके मुताबिक NJAC की अगुआई सीजेआई को करनी थी। इनके अलावा 2 सबसे वरिष्ठ जजों को रखा जाना था और साथ में कानून मंत्री और प्रतिष्ठित लोगों को इसमें शामिल करने का सिस्टम इस एक्ट में दिया गया था। 

ऐसे ही NJAC में प्रतिष्ठित लोगों का चयन प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और CJI के पैनल को करने की व्यवस्था थी। मगर अक्टूबर 2015 में सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों ने इसे असंवैधानिक करार दे दिया। अब सीजेआई को लिखे गए पत्र को नए NJAC के तौर पर देखा जा रहा है।

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम में 5 सदस्य होते हैं। मुख्य न्यायाधीश इसमें प्रमुख होते हैं। इनके अलावा 5 सबसे वरिष्ठ जज होते हैं। इस समय कॉलेजियम में जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस केएम जोसेफ शामिल हैं। 

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

महाराष्ट्र में महायुति सरकार लाने की होड़, मुख्यमंत्री बनने की रेस नहीं: एकनाथ शिंदे, बाला साहेब को ‘हिंदू हृदय सम्राट’ कहने का राहुल गाँधी...

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने साफ कहा, "हमारी कोई लड़ाई, कोई रेस नहीं है। ये रेस एमवीए में है। हमारे यहाँ पूरी टीम काम कर रही महायुति की सरकार लाने के लिए।"

महाराष्ट्र में चुनाव देख PM मोदी की चुनौती से डरा ‘बच्चा’, पुण्यतिथि पर बाला साहेब ठाकरे को किया याद; लेकिन तारीफ के दो शब्द...

पीएम की चुनौती के बाद ही राहुल गाँधी का बाला साहेब को श्रद्धांजलि देने का ट्वीट आया। हालाँकि देखने वाली बात ये है इतनी बड़ी शख्सियत के लिए राहुल गाँधी अपने ट्वीट में कहीं भी दो लाइन प्रशंसा की नहीं लिख पाए।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -