लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम को खंगालने पर कई बातों का पता चलता है और कई मिथक भी टूटते हुए नज़र आते हैं। भाजपा पर अक्सर विपक्षी नेताओं व राजनीतिक विश्लेषकों द्वारा अल्पसंख्यक विरोधी होने का ठप्पा लगाया जाता रहा है लेकिन इस चुनाव के आँकड़े दिखाते हैं कि भाजपा समाज के सभी वर्गों का विश्वास जीतने में सफल रही है। भाजपा ने इस बार 90 ऐसे जिलों में 50% से अधिक सीटों को हासिल किया है, जो अल्पसंख्यक बहुल (Minority Concentration Districts) हैं। इन जिलों में यूपीए सरकार ने ही अल्पसंख्यक बहुल माना था। 2008 में कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के अनुसार, इन जिलों में सामाजिक-आर्थिक और बुनियादी सुविधाएँ राष्ट्रीय औसत से नीचे हैं।
कुल 79 ऐसी लोकसभा सीटें हैं, जो अल्पसंख्यक बहुल हैं। इन 79 में से 41 पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की है। अर्थात, कुल अल्पसंख्यक बहुल लोकसभा सीटों में से 51.8% पर भाजपा ने कब्ज़ा किया। ये पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन है। 2014 में भाजपा ने ऐसी 34 सीटों पर जीत दर्ज की थी, यानी इस वर्ष से 7 सीटें कम। वहीं मुख्य विपक्षी दल कॉन्ग्रेस की बात करें तो अल्पसंख्यक बहुत सीटों पर पार्टी का प्रदर्शन गिरा है। 2014 में कॉन्ग्रेस ने 12 अल्पसंख्यक बहुल सीटों पर जीत दर्ज की थी, इस वर्ष पार्टी आधे पर आकर लटक गई और 6 ऐसी सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी।
इन आँकड़ों को देखने के बाद कई विश्लेषकों की राय है कि मुस्लिमों ने इस बार किसी एक पार्टी के लिए थोक में मतदान नहीं किया। अगर सभी जीते उम्मीदवारों की बात करें तो इस बार 27 मुस्लिम उम्मीदवार जीत दर्ज कर संसद पहुँचे हैं। लेकिन, इनमें भाजपा के एक भी सांसद नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि भाजपा ने मुस्लिम उम्मीदवारों को मौक़ा नहीं दिया था। भाजपा ने इस चुनाव में कुल 6 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे और सभी के सभी हार गए। सबसे ज्यादा मुस्लिम सांसद तृणमूल कॉन्ग्रेस के हैं। ममता बनर्जी की पार्टी के पास 5 मुस्लिम सांसद हैं जबकि कॉन्ग्रेस 4 मुस्लिम सांसदों के साथ दूसरे नम्बर पर आती है।
BJP fares well in ‘minority-concentration’ districts, wins over 50% seats
— Mohandas Pai (@TVMohandasPai) May 29, 2019
Exposing the lies of the Lutyens Gang and Fundamentalists. Muslims voted in large nos for NDA! Religious divide created by them busted! https://t.co/wBPddttfAi
राजग की बात करें तो रामविलास पासवान की लोजपा के पास 1 मुस्लिम सांसद है। सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात यह है कि भाजपा को सबसे ज्यादा फायदा पश्चिम बंगाल के अल्पसंख्यक बहुल लोकसभा सीटों पर हुआ। 49% मुस्लिम जनसंख्या वाले रायगंज (उत्तर दिनाजपुर जिला) में भाजपा प्रत्याशी देबश्री चौधरी ने 60,000 से भी अधिक मतों से जीत दर्ज की। 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार ने जीत दर्ज करने में सफलता नहीं पाई थी। यहाँ तक कि इस बार 23% मुस्लिम जनसंख्या वाले दरभंगा में भी भाजपा प्रत्याशी गोपालजी ठाकुर ने जीत दर्ज की।
असम में 45% और 34% मुस्लिम जनसंख्या वाली 2 लोकसभा सीटों पर कॉन्ग्रेस ने जीत का पताका लहराया। कुल मिला कर देखें तो इस बार मुस्लिमों ने एक होकर किसी पार्टी के लिए वोट नहीं किया। भाजपा को मुस्लिम सीटों पर मिली बढ़त पार्टी के लिए राहत की बात है क्योंकि कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह बताया जाता है कि मुस्लिम ख़ुद को भाजपा के शासनकाल में असुरक्षित महसूस करते हैं और उनके साथ अत्याचार होता है। मुस्लिम वोटरों ने इस मिथक को इस बार तोड़ दिया है।