Tuesday, November 19, 2024
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गुरुजी के बेटे का गणित बिगाड़ने वाली शिक्षिका, झारखंड की राजनीति में यूँ हुआ ‘तेजस्विनी’ का उदय

लुइस मरांडी ने 2014 में जो करामात किया था 5 साल बाद फिर से उसे दोहराती हुई नज़र आ रही हैं। विपक्षी गठबंधन के मुख़्यमंत्री उम्मीदवार हेमंत सोरेन लगातार दूसरी बार अपने गढ़ में हारते दिख रहे हैं।

2014 में जब झारखंड में विधानसभा चुनाव हुआ, तब हेमंत सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री थे। दुमका उनके पिता और
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का गढ़ भी रहा है, जहाँ से ‘गुरुजी’ 8 बार सांसद रह चुके हैं। 2014 के चुनाव में झारखंड की राजनीति में एक ऐसी महिला का उदय हुआ, जिन्होंने संगठन में ख़ुद को पहले ही साबित कर दिया था। अपने ही गढ़ में हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री रहते इस महिला से हार का सामना करना पड़ा था। हेमंत को 65,105 वोट मिले थे। लुइस मरांडी ने 70,367 पाकर मुख्यमंत्री को ही हरा दिया।

लुइस मरांडी ही दुमका में बड़ा उलटफेर करने वाली महिला थीं। उन्हें रघुवर मंत्रिमंडल में महिला एवं बाल विकास, अल्पसंख्यक कल्याण और सामाजिक कल्याण जैसे मंत्रालय दिए गए। वो झारखंड महिला आयोग की सदस्य रह चुकी हैं। उनके नेतृत्व में झारखंड भाजपा की महिला प्रकोष्ठ ने नई ऊँचाइयों को छुआ। मंत्री रहते उनकी ‘तेजस्विनी’ योजना की ख़ूब चर्चा हुई, जिसमें 14 से 24 वर्ष तक की किशोरियों को शिक्षा के साथ-साथ रोज़गार प्रशिक्षण का भी प्रावधान किया गया है।

लुइस मरांडी ने 2014 में जो करामात किया था, वो 5 वर्षों बाद 2019 में उसे फिर से दोहराती हुई नज़र आ रही हैं। चुनाव आयोग के आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, उन्हें अब तक 22019 वोट मिले हैं, जबकि 19592 वोटों के साथ हेमंत सोरेन उनसे काफ़ी पीछे चल रहे हैं। लुइस को फ़िलहाल 48.79 % वोट मिले हैं, वहीं हेमंत सोरेन 43.41 % मतों के साथ पीछे चल रहे हैं। दोनों के मतों के बीच के अंतर की बात करें तो ये 2427 (5.38%) है। हेमंत को लगातार दूसरी बार लुइस उनके ही गढ़ में पटखनी देने की ओर बढ़ रहीं हैं।

1995 में भाजपा की सदस्य बनी लुइस को राजनाथ सिंह ने भाजपा अध्यक्ष रहते पार्टी का राष्ट्रीय सचिव बनाया था। ये पार्टी का उन पर भरोसा ही था कि 2009 में चुनाव हारने के बावजूद उन पर 2014 में दोबारा भरोसा जताया गया। बनारस काशी विद्यापीठ से शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्होंने राँची विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि ली। गौर करने वाली बात ये है कि पूरे झारखण्ड में दो ही पीएचडी उम्मीदवार हैं और लुइस मरांडी उनमें से एक हैं। जिस दुमका में कभी वह सहायक शिक्षिका के रूप में कार्यरत थीं, उसी दुमका से जीत कर वह मंत्री बनीं।

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भाजपा ने 2014 में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया, तब लुइस मरांडी झारखंड में भाजपा की चुनावी रणनीति की सूत्रधार रहीं। पार्टी ने 14 में से 12 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की और इस तरह से उनका क़द पार्टी और राज्य की राजनीति में और बढ़ गया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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