सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाने वाली कॉन्ग्रेस ने अरसे बाद फिर से इस पर मुॅंह खोला है। अबकी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इसके सबूत मॉंगे हैं। 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाते हुए उन्होंने पूछा है कि यह कब और कहॉं हुई? बकौल कमलनाथ, सर्जिकल स्ट्राइक वह होता है, जो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गॉंधी ने 1971 में किया था।
उन्होंने ये बातें अपने निर्वाचन क्षेत्र छिंदवाड़ा में एक सभा को संबोधित करते हुए कही। सीएम कमलनाथ ने कहा कि देश की जनता जानना चाहती है कि सर्जिकल स्ट्राइक कब हुआ? कहॉं हुआ? इसका क्या परिणाम हुआ? सिर्फ मुॅंह से कह देने भर से काम नहीं चलेगा।
#WATCH Madhya Pradesh Chief Minister Kamal Nath: Indira Gandhi sarkar thi, jab 90,000 Pakistani jawanon ne surrender kiya tha. Ye uski baat nahi karenge, kehte hain maine surgical strike ki. Kaun si surgical strike ki? pic.twitter.com/oBcNP4ahv6
— ANI (@ANI) February 20, 2020
उन्होंने कहा, “जब इंदिरा गाँधी की सरकार थी तब 90 हजार पाकिस्तानी जवानों ने सरेंडर किया था। याद है ये सब बातें?” इसके बाद केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “पाकिस्तानी जवानों के सरेंडर करने की बात ये नहीं करेंगे। कहते हैं, मैंने सर्जिकल स्ट्राइक की, कौन सी सर्जिकल स्ट्राइक की? देश को कुछ तो बताइए सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में।”
कमलनाथ ने कहा कि केंद्र सरकार रोजगार और किसानों की स्थिति में सुधार की बात नहीं करती। उन्होंने कहा, “मैं आप से पूछना चाहता हूँ कि क्या आपने मोदी जी को पिछले छह से आठ महीने में युवाओं के बारे में बात करते हुए देखा है? क्या आपने पीएम मोदी को किसानों के बारे बात करते हुए सुना है।”
ज्ञात हो कि जिस सर्जिकल स्ट्राइक के प्रमाण की बात कमलनाथ कर रहे हैं वह उरी हमले के बाद भारतीय सेना ने की थी। राजीव गाँधी के बेहद करीबी रहे कॉन्ग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने भी इस पर सवाल उठाए थे। कॉन्ग्रेस नेताओं के अलावा अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी जैसे नेताओं ने भी इस पर संदेह जताते हुए मोदी सरकार से सबूत माँगे थे। बीते साल लोकसभा चुनावों के दौरान बालाकोट एयरस्ट्राइक को लेकर भी विपक्ष ने सवाल उठाए थे। हालॉंकि इससे राजनीतिक फायदा नहीं मिलने के बाद विपक्षियों नेताओं ने इस मसले को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। लेकिन, वादाखिलाफी और पार्टी के भीतर विरोध से जूझ रहे कमलनाथ ने इसे एक बार फिर हवा देने की कोशिश की है।