तीन महीने पुरानी महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार के मतभेद सार्वजनिक हो चुके हैं। खासकर, भीमा-कोरेगॉंव मसले पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी के मुखिया शरद पवार के बीच ठनी हुई है। साझेदारों के बढ़ते मतभेद के बीच कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त शिवसेना के दो नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है। हालॉंकि इसका इस मामले से कोई सरोकार नहीं है।
इस्तीफा देने वाले नेता हैं, सांसद अरविंद सावंत और विधायक रविंद्र वायकर शामिल हैं। इनके इस्तीफे पर अंतिम फैसला होना अभी बाकी है। सावंत को उद्धव ने राज्य की संसदीय समन्वय समिति का प्रमुख नियुक्त किया था। तीन सदस्यीय इस कमेटी का गठन खुद मुख्यमंत्री ने किया था। इसका प्रमुख होने के नाते सावंत को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था। वहीं, वायकर को मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रमुख समन्वयक बनाया गया था जिसे कैबिनेट मंत्री के बराबर का दर्जा हासिल था।
2 Shiv Sena leaders with Cabinet rank resign over Office of Profit row. India Today correspondent @pankajcreates joins us for more details.#ITVideo
— India Today (@IndiaToday) February 20, 2020
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मीडिया रिपोर्टों के अनुसार लाभ का पद मामले में विपक्ष के आरोपों से बचने के लिए दोनों ने इस्तीफा दिया था। संभावना जताई जा रही थी कि विपक्ष बजट सत्र के दौरान विधानसभा में इस मसले को प्रमुखता से उठा सकती है। वह दोनों की नियुक्तियों को मुद्दा बना सकती है। बताया जा रहा है कि आपसी मतभेद में घिरी सरकार को और ज्यादा संकट में डालने से बचाने के लिए दोनों नेताओं ने अपना इस्तीफा उद्धव को भेज दिया है। वायकर को महाराष्ट्र में जरूरी विकास परियोजनाओं के लिए फंड आवंटन का जिम्मा मिला था। वह जनप्रतिनिधियों और CM उद्धव ठाकरे के बीच कड़ी का काम कर रहे थे।
गौरतलब है कि सावंत ने पिछले साल ही भाजपा और शिवसेना में अनबन के बाद केंद्र की मोदी सरकार से इस्तीफा दिया था। वे केंद्र सरकार में शिवसेना के कोटे से मंत्री थे। वायकर के पास महाराष्ट्र की पिछली सरकार के दौरान गृहनिर्माण राज्यमंत्री का पद था। उन्होंने मुंबई में गृह निर्माण की कई पॉलिसी को सरल करने का काम अपने कार्यकाल के दौरान किया। वायकर 20 साल तक मुंबई महानगर पालिका (BMC) में नगरसेवक भी रह चुके हैं।
इधर भीमा-कोरेगॉंव मामले की जॉंच कर रहे आयोग के पास याचिका दायर की गई है। इसके माध्यम से 2018 में हुई हिंसा के सिलसिले में एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार को तलब करने की मॉंग की गई है। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों उद्धव ठाकरे ने एल्गार परिषद की जाँच NIA को सौंपने को मँजूरी दी थी। इसके बाद से पवार के साथ उनके रिश्तों में तल्खी आई है।
Maharashtra: A person has filed an application before the Koregaon Bhima Commission of Enquiry, requesting them to summon NCP chief Sharad Pawar.
— ANI (@ANI) February 20, 2020
The Commission is enquiring into the reasons which led to the 2018 Bhima Koregaon violence in Maharashtra. (file pic) pic.twitter.com/WHJp4aBZyB
उद्धव ने उनको संकेत दे दिए हैं कि देशद्रोह के मामले में वे कोई समझौता नहीं करेंगे। इसके अलावा नागरिकता संशोधन कानून CAA को लेकर भी पवार और उद्धव के मतभेद सामने आ चुके हैं। उद्धव ने राज्य में सीएए लागू करने का इशारा करते हुए कहा था, “CAA और NRC दोनों अलग है। NPR भी अलग है। अगर CAA लागू होता है तो इसके लिए किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है। NRC अभी नहीं है और इसे राज्य में लागू नहीं किया जाएगा।” इसे खारिज करते हुए शरद पवार ने कहा था, “ये महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे का अपना नजरिया है, लेकिन जहाँ तक एनसीपी की बात है, हमने इसके खिलाफ वोट किया है।”