महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सदन में फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने इस्तीफे का ऐलान किया। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (30 जून, 2022) को राज्यपाल के आदेश पर विधानसभा में होने वाले फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसके बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे का ऐलान कर दिया। अब महाराष्ट्र में सरकार बदलनी तय लग रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने MVA (महा विकास अघाड़ी) गठबंधन के दागी मंत्री नवाब मलिक और पूर्व मंत्री अनिल देशमुख को भी फ्लोर टेस्ट में हिस्सा लेने की इजाजत दे दी थी, लेकिन इसके बावजूद उद्धव ठाकरे की शिवसेना के मात्र 16 विधायक ही उनके साथ हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विधानसभा में मतदान करने के बाद ये दोनों वापस जुडिशल कस्टडी में लाए जा सकते हैं। उन्हें आने-जाने के लिए ED की कस्टडी में रहने का आदेश दिया गया था।
उद्धव ठाकरे ने अपने सम्बोधन में कहा कि औरंगाबाद का नाम बदल कर संभाजी नगर और ओस्मानाबाद को धाराशिव करने के अपनी सरकार के फैसले से वो संतुष्ट हैं। उन्होंने इस दौरान सोनिया गाँधी और शरद पवार को धन्यवाद दिया। साथ ही इस पर दुःख जताया कि अंतिम कैबिनेट बैठक में उनके साथ सिर्फ 4 मंत्री थे। उन्होंने कहा कि बाला साहब ठाकरे ने लोगों को बड़ा बनाया, लेकिन बड़ा बनने के बाद वो बाला साहेब को भूल गए।
उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिवसेना को 50 वर्ष हो गए हैं, जिनमें रिक्शा चलाने वाले लोगों और सीधे-सादे लोगों को पार्टी में आगे बढ़ाया गया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करने की बात कहते हुए कहा कि NCP और कॉन्ग्रेस के उन लोगों का धन्यवाद, जिन्होंने उनका समर्थन किया। उन्होंने बागी विधायकों से कोई शिकवा न होने की बात कहते हुए उन्हें वापस आकर आमने-सामने चर्चा की सलाह दी। उन्होंने शिवसैनिकों से अपील की कि वो वापस आने वाले बागी विधायकों को न रोकें।
उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें ये फ्लोर टेस्ट का गेम नहीं खेलना।