सवाल कई हैं और जवाब शायद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही पता हो! क्योंकि वे 7 साल से देश के सबसे बड़े नेता हैं। यह सिर्फ हम ही नहीं कहते या मानते हैं। हाल के समय में मोदी सरकार से पंगा लेने का कोई मौका नहीं छोड़ने वाले शिवसेना के सांसद संजय राउत का भी यही मानना है। वही संजय राउत जिनकी बड़ी भूमिका महाराष्ट्र में बीजेपी शिवसेना के साथ छूटने और पर्दे के पीछे उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बीच गोटी फिट कराने में मानी जाती है।
राउत के इस बयान को लेकर फिर से महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार के भविष्य को अटकलें लग रही है। एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने जिस तरह से शिवसेना और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अचानक से बाल ठाकरे की याद दिलाई है उसने इन कयासों को और भी बल दे दिया है।
राउत जलगाँव के दौरे पर थे। पत्रकारों ने पूछा कि क्या उन्हें यह लगता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में कमी आई है? जवाब में शिवसेना सांसद ने कहा वे न तो किसी मीडिया रिपोर्ट पर विश्वास करते हैं और न ही इस मामले में कोई कमेंट करना चाहते हैं। आगे कहा कि भाजपा ने अपनी सर्वोच्च सफलता पिछले 7 सालों में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ही हासिल की है और वे (नरेंद्र मोदी) न केवल भाजपा के बल्कि पूरे देश के सबसे बड़े नेता हैं और इस तथ्य से कोई इनकार नहीं कर सकता है।
I believe that Narendra Modi is the top leader of the country and Bharatiya Janata Party. No one can deny the fact that the success which the Bharatiya Janata Party has got in the last 7 years is only because of Narendra Modi: Shiv Sena leader Sanjay Raut pic.twitter.com/lYAqcmEtdS
— ANI (@ANI) June 10, 2021
राउत के इस बयान से पहले उद्धव ठाकरे ने दिल्ली आकर 8 जून को पीएम मोदी के साथ मुलाकात की थी। साथ में उपमुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार और कॉन्ग्रेस कोटे से महाराष्ट्र सरकार में मंत्री अशोक चव्हाण भी थे। लेकिन, अटकलों का दौर तब शुरू हुआ जब उद्धव ठाकरे ने इस मीटिंग से इतर पीएम मोदी से व्यक्तिगत मुलाकात की।
उससे भी चौंकाने वाला था इस संबंध में ठाकरे का बयान। उनसे व्यक्तिगत मुलाकात के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे नवाज शरीफ से मिलने तो गए नहीं थे। अगर पीएम मोदी से व्यक्तिगत तौर पर मिले तो इसमें गलत क्या है? ठाकरे ने यह भी कहा था कि वो राजनैतिक तौर पर साथ नहीं हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनका आपसी संबंध टूट गया है।
We may not be politically together but that doesn’t mean our relationship has broken. ‘Main koi Nawaz Sharif se nahi milne gaya tha’ (I didn’t go to meet Nawaz Sharif). So if I meet him (PM) separately in person, there is nothing wrong with it: Maharashtra CM Thackeray in Delhi pic.twitter.com/zQQir5t5ZD
— ANI (@ANI) June 8, 2021
उद्धव ठाकरे के इस बयान ने राजनैतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाओं को हवा दे दी। उस पर राउत का बयान। फिर 10 जून को एनसीपी के 22वें स्थापना दिवस पर शरद पवार का यह कहना उन्हें शिवसेना पर पूरा भरोसा है। राजनीति में अटकलों को हवा मिलने के लिए इतने संयोग काफी हैं।
पवार ने कहा कि उन्हें शिवसेना पर पूरा भरोसा है और वो जानते हैं कि महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी। महाराष्ट्र सरकार पर उठ रहे संशय के बीच बाला साहब ठाकरे को याद किया। कहा कि बाला साहब ने इंदिरा गाँधी को दिए गए अपने वादे के अनुसार उनकी सहायता करने के लिए अपने प्रत्याशी तक नहीं उतारे थे। शरद पवार ने कहा कि शिवसेना विश्वास के योग्य है और उनकी सरकार भी अपने 5 साल पूरे करेगी।
इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फड़णवीस की हाल ही में मुलाकात हुई थी। फड़णवीस उन एकनाथ खडसे से भी मिलने गए थे जिनके साथ उनके संबंध बेहद तल्ख हैं। इतना ही नहीं मराठी दैनिक तरुण भारत ने बीते महीने एक रिपोर्ट छापी थी। इसमें बताया गया था कि पवार को अब पछतावा हो रहा है। उन्हें लगता है कि उद्धव ठाकरे को सीएम बनाना ‘भारी भूल’ थी।
रिपोर्ट में कहा गया था कि उद्धव ठाकरे द्वारा शरद पवार के फोन कॉल का जवाब नहीं देने के बाद, एनसीपी प्रमुख ने संजय राउत के सामने इस बात को स्वीकारा कि उन्होंने ठाकरे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाकर बहुत बड़ी गलती कर दी। पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणामों पर चर्चा के लिए आयोजित ‘पश्चिम बंगाल से पंढरपुर’ नामक कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार अनिल थाटे ने इसका खुलासा किया था। उन्होंने कहा कि शरद पवार ने राउत से कहा कि वह खुद या एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद के लिए एक बेहतर विकल्प होंगे।
जाहिर है महाराष्ट्र की राजनीति में जितना कुछ पर्दे के आगे दिख रहा है उससे ज्यादा चालें पर्दे के पीछे चली जा रही है। ऐसे में कब कौन किस करवट बैठेगा अंदाजा लगाना फिलहाल मुश्किल है। वैसे भी यह वही प्रदेश हैं जहाँ अजीत पवार रातोंरात फड़णवीस का उपमुख्यमंत्री बन शपथ ले लेते हैं और फिर उद्धव की कैबिनेट में भी जगह पा लेते हैं।