कलकत्ता हाई कोर्ट ने बुधवार (22 मई, 2024) को अपने एक फैसले में पश्चिम बंगाल में 2010 के बाद से जारी किए गए सभी OBC प्रमाण पत्र को रद्द करने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने अब तक जारी किए गए लगभग 5 लाख प्रमाण पत्र रद्द करने का आदेश दिया था। यह प्रमाण पत्र 77 जातियों को OBC मान कर दिए गए थे, इनमें से अधिकांश मुस्लिम थीं। पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी ने पहले यह निर्णय मानने से मना कर दिया था। अब उनका कहना है कि वह इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएँगी।
CM ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना में आयोजित एक रैली में कहा, “हम ओबीसी प्रमाणपत्रों को रद्द करने के फैसले को स्वीकार नहीं करते हैं। हम गर्मी की छुट्टियों के बाद इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।” इससे पहले उन्होंने साफ़ रूप से कहा था कि वह हाई कोर्ट के फैसले को स्वीकार नहीं करती और राज्य में OBC आरक्षण पहले की तरह चलेगा।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने मुस्लिमों को OBC के अंतर्गत जोड़ने को वोटबैंक की राजनीति बताया था। कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा था कि मुस्लिम जातियों को यह आरक्षण मजहबी आधार पर दिया गया लगता है। कोर्ट ने कहा था कि मुस्लिमों का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे की वस्तु की तरह हुआ है।
कोर्ट ने कहा, ” ऐसा लगता है कि इस समुदाय (मुस्लिम) का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए वस्तु की तरह किया गया है। यह बात उन घटनाओं के क्रम से साफ हो जाती है जिसके कारण 77 जातियों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करने के लिए OBC में डाला गया।”
वहीं बंगाल के पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा दी गई जानकारी से साफ़ हुआ है कि पश्चिम बंगाल की वामपंथी और ममता सरकार, दोनों ने ही मुस्लिम जातियों को OBC वर्ग में शामिल किया। पश्चिम बंगाल में OBC आरक्षण का लाभ पाने वालों में हिन्दुओं से अधिक मुस्लिम जातियाँ हैं।
बंगाल के OBC सूची में हिन्दू से अधिक मुस्लिम जातियाँ
पश्चिम बंगाल के पिछड़ा विभाग की वेबसाइट पर दी गई जानकारी दिखाती है कि 1994 में पहली बार वामपंथी सरकार ने किसी मुस्लिम जाति को OBC में शामिल करके आरक्षण दिया था। दिसम्बर 1994 में मुस्लिमों की जोलाह (अंसारी-मोमिन) जाति को OBC में शामिल किया गया था। 1995 तक राज्य में कुल 26 जातियों को OBC आरक्षण का लाभ मिलता था।
धीमे धीमे OBC आरक्षण में हिन्दुओं का हिस्सा घटने लगा। वामपंथी सरकार ने 1996 में 1 और मुस्लिम जाति फ़कीर/सेन को OBC आरक्षण दे दिया। इसके बाद 1997 में 4, 1999 में 2 और मुस्लिम जातियों को OBC का दर्जा दे दिया गया। इसके बाद यह सिलसिला तेजी से चालू हो गया। 2002 में 2 और 2009 में 2 और मुस्लिम जातियों को आरक्षण दिया गया।
2010 में वामपंथी सरकार ने 41 मुस्लिम जातियों को OBC में शामिल कर दिया। जहाँ 1994 में 26 में से 1 OBC जाति मुस्लिम थी, वहीं 2010 आते-आते कुल 108 OBC जातियों में से 53 मुस्लिम हो गईं। 2010 के बाद वामपंथी सरकार पश्चिम बंगाल की सत्ता से बेदखल हो गई और ममता बनर्जी की तृणमूल कॉन्ग्रेस की राज्य में सत्ता बनी।
मुस्लिमों को OBC में शामिल किए जाने के रवैये में फिर भी कोई बदलाव नहीं आया। ममता सरकार ने भी यही नीति जारी रखी। ममता सरकार ने 2011 से लेकर 2013 तक 33 और मुस्लिम जातियों को OBC में शामिल कर दिया। इसके बाद राज्य की OBC सूची में शामिल कुल जातियों की संख्या 143 हो गई, इनमें से 86 मुस्लिम थीं।
यह सिलसिला इसके बाद भी जारी रहा। 2014 से लेकर 2022 तक ममता सरकार ने 36 और जातियों को OBC में शामिल किया। इनमें से 32 मुस्लिम जातियाँ थी। वर्तमान में पश्चिम बंगाल में 179 जातियों को OBC आरक्षण मिलता है, इनमें से 117 जातियाँ मुस्लिम हैं।
कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्णय में 2010 के बाद से दिए गए आरक्षण को लेकर कई प्रश्न खड़े गए किए गए हैं। हाई कोर्ट ने कहा है कि यह आरक्षण मजहबी आधार पर दिया गया और इससे पहले ही ममता बनर्जी मुस्लिमों को 10% आरक्षण का वादा कर चुकी थीं।