केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दी दिल्ली जैसा संवैधानिक अधिकार देने की कवायद शुरू कर दी है, दिल्ली की तरह जम्मू कश्मीर के एलजी को भी अब प्रशासनिक शक्तियाँ दी जा रही है। जम्मू-कश्मीर में अब ट्रांसफर और पोस्टिंग एलजी की अनुमति के बिना नहीं हो पाएगी। इसका जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने विरोध किया है, वहीं महबूबा मुफ्ती ने अब तक इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 55 के तहत संशोधित नियमों को अधिसूचित किया है, इसमें एलजी को अधिक शक्ति देने का प्रावधान है। इसमें नई धाराएँ जोड़ी गई है।
जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार द्वारा शुक्रवार (12 जुलाई 2024) को एक अधिसूचना जारी की गई। अधिसूचना में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल को आईएएस और आईपीएस जैसे अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग, पुलिस, कानून और व्यवस्था के साथ-साथ न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति के मामलों में अधिक अधिकार मिलेंगे।
मुख्य नियमों में नियम 42 के बाद 42ए जोड़ा गया है, जिससे उपराज्यपाल को राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बने राज्य के लिए महाधिवक्ता और विधि अधिकारियों की नियुक्ति करने का अधिकार मिल गया है। 42बी यह भी स्पष्ट करता है कि अभियोजन स्वीकृति देने या अस्वीकार करने या अपील दायर करने के प्रस्ताव भी एलजी द्वारा ही दिए जाएंगे।
आपको बता दें कि जब से जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन हुआ है, तब से वहाँ चुनाव नहीं हो पाए हैं। मगर जब भी सरकार का गठन होगा तब सबसे अधिक शक्तियाँ राज्यपाल के पास होंगी। ये शक्तियाँ ऐसी ही हैं, जैसे दिल्ली के एलजी के पास होती है।
उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार के इस निर्णय को लेकर कड़ी आलोचना की है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा, “एक और संकेत है कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव करीब हैं। यही वजह है कि जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्ण, अविभाजित राज्य का दर्जा बहाल करने को लेकर समय सीमा तय करने की दृढ़ प्रतिबद्धता इन चुनाव के लिए एक शर्त है। जम्मू-कश्मीर के लोग शक्तिहीन, रबर स्टैम्प सीएम से बेहतर के हकदार हैं, जिन्हें अपने चपरासी की भी नियुक्ति के लिए एलजी से गिड़गिड़ाना पड़ेगा।”
Another indicator that elections are around the corner in J&K. This is why a firm commitment laying out the timeline for restoration of full, undiluted statehood for J&K is a prerequisite for these elections. The people of J&K deserve better than powerless, rubber stamp CM who… https://t.co/THvouV1TxF
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) July 13, 2024
गौरतलब है कि 5 अगस्त, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को दिया गया स्पेशल स्टेट्स खत्म कर दिया है। इसके साथ पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों को बाँट दिया। इसमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख शामिल हैं। लद्दाख में विधानसभा नहीं है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के लिए 30 सितंबर की समयसीमा तय की है।