राजीव गाँधी फाउंडेशन समेत 3 ट्रस्टों की फंडिंग को लेकर उपजे विवाद पर केंद्रीय गृह मंत्रालय सख्त है और अंतर-मंत्रालय जाँच बिठा दी गई है, जिससे गाँधी परिवार की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। ख़ुद गृह मंत्रालय के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर के इस बात की सूचना दी गई है। ये कमिटी फाउंडेशन द्वारा ली गई फंडिंग और नियमों के उल्लंघन को लेकर जाँच करेगी। प्रवर्तन निदेशालय (ED) के डायरेक्टर इस कमिटी की अध्यक्षता करेंगे।
गृह मंत्रालय ने अपनी ट्वीट में कहा– “केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अंतर-मंत्रालय कमिटी का गठन किया है, जो राजीव गाँधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की जाँच करेगी।” गृह मंत्रालय द्वारा गठित कमिटी PMLA एक्ट, इनकम टैक्स एक्ट और FCRA एक्ट के नियम-क़ानूनों के उल्लंघन के सम्बन्ध में जाँच करेगी, जिसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।
MHA sets up inter-ministerial committee to coordinate investigations into violation of various legal provisions of PMLA, Income Tax Act, FCRA etc by Rajiv Gandhi Foundation, Rajiv Gandhi Charitable Trust & Indira Gandhi Memorial Trust.
— Spokesperson, Ministry of Home Affairs (@PIBHomeAffairs) July 8, 2020
Spl. Dir of ED will head the committee.
बता दें कि राजीव गाँधी फाउंडेशन को चीन से फंडिंग मिलने का खुलासा होने के बाद हंगामा शुरू हो गया था। इस फाउंडेशन के शीर्ष अधिकारियों में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राहुल गाँधी के नाम शामिल हैं। अब ऑपइंडिया आपको बताता है कि कैसे राजीव गाँधी फाउंडेशन और चीन के बीच इस तरह का संदेहपूर्ण संबंध 2018-2019 तक जारी रहा।
भारती फाउंडेशन द्वारा गृह मंत्रालय को प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों से यह भी पता चलता है कि इसे कतर फाउंडेशन एंडोमेंट से वित्त वर्ष 2018-19 में लगभग 14 करोड़ रुपए मिले थे। बता दें कि कतर फाउंडेशन एक प्राइवेट चैरिटी संस्थान है, जो पूर्व अमीर शेख हमद बिन खलीफा अल थानी और उनकी पत्नी शेखा मोझा बिंत नासिर द्वारा स्थापित किया गया था। कॉन्ग्रेस का यहूदी अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस के साथ भी काफी नजदीकी संबंध रहा है।
फाउंडेशन को पंजाब नेशनल बैंक में हज़ारों करोड़ रुपए के घोटाले के अभियुक्त मेहुल चोकसी से भी दान मिला था। उसने 2014-15 में सोनिया गाँधी के नेतृत्व वाले इस फाउंडेशन में अघोषित दान किया था। दान नवराज एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड (Naviraj Estates Private Limited) के नाम से किया गया था और मेहुल चोकसी इस कंपनी के निदेशकों में से एक है। इसके बाद से ही भाजपा इन आरोपों को लेकर हमलावर है।