केंद्र सरकार ने CAA (नागरिकता संशोधन कानून) की अधिसूचना जारी कर दी है। इस कानून को बनाए जाने के 4 वर्षों बाद इसे नोटिफाई किया गया है। अब लोकसभा चुनाव 2024 से कुछ ही सप्ताह पहले इसे अधिसूचित कर दिया गया है, क्योंकि आचार संहिता लागू होने के बाद ये संभव नहीं हो पाता। इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पोर्टल बनाया गया है, जिसका प्रशिक्षण पहले ही पूरा कर लिया गया है। जिलों के प्रशासन को लॉन्ग टर्म वीजा देने के लिए अधिकृत कर दिया गया है।
Very big news, #CAA is implemented in India by the Modi govt… pic.twitter.com/UjKVcrKY7X
— Mr Sinha (Modi's family) (@MrSinha_) March 11, 2024
इसके लिए अप्लीकेशन भी बड़ी संख्या में आए हैं, जिसमें सबसे ज्यादा पाकिस्तान से हैं। इसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों (हिन्दू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी) को भारत की नागरिकता दी जा सकेगी, जिन पर वहाँ इस्लामी अत्याचार होता रहा है। दिसंबर 2014 तक इनमें से जो पीड़ित भारत में शरणार्थी बन कर रह रहे हैं, उन्हें अब यहाँ की स्थायी नागरिकता मिलेगी। मोदी सरकार के इस कदम के बाद देश में कई जगह विरोध प्रदर्शनों की आशंका है, जिसके लिए पुख्ता कदम उठाए जा रहे हैं।
दिल्ली, असम और पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक हंगामे के आसार हैं। जब 2019 में CAA लाया गया था, तब दिल्ली के शाहीन बाग़ में खातूनों ने महीनों धरना दिया था, जिसके कारण राष्ट्रीय राजधानी एक तरह से बंधक बन गई थी और लोगों को आवाजाही में खासी परेशानी हुई थी। इसकी अधिसूचना नहीं जारी की जाती तो इस कानून को फिर से पारित कराना पड़ता। इससे बचने के लिए ये कदम उठाया गया है। ये पहले ही साफ़ किया जा चुका है कि CAA किसी की नागरिकता लेने के लिए नहीं, देने के लिए है।
पश्चिम बंगाल की TMC सरकार और केरल की CPM सरकार पहले ही धमकी दे चुकी है तो वो अपने-अपने राज्यों में CAA को लागू नहीं होने देंगे। ऐसे में ये एक बड़ा मुद्दा आगामी चुनाव के दौरान भी बन सकता है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि इसमें भेदभाव हुआ तो वो इसका विरोध करेंगी। CAA के कार्यान्वयन के लिए इसके नियमों की अधिसूचना को जारी करना आवश्यक था। भारत के पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों की दयनीय स्थिति है।