मोदी सरकार ने ‘लुटियंस’ दिल्ली की शक्ल बदलने के लिए कमर कस ली है- हालाँकि इस बार इरादा इसकी ताकत के केंद्र बदलने का नहीं, एडविन लुटियंस के बनाए हुए इलाकों का भौतिक नक्शा बदलने का है। इसके लिए केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्लूडी) ने राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक के 2.5 किलोमीटर लम्बे राजपथ के दोनों ओर के 4 वर्ग किलोमीटर (4 km square) में आमूलचूल बदलाव लाने के लिए निविदा आमंत्रित की है। निविदा फ़िलहाल इसका मास्टर प्लान बनाने के लिए फर्मों और कंसल्टेंट्स को भेजी गईं हैं।
200 साल की विरासत करनी है तैयार, 2024 के पहले
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की खबर के अनुसार सरकार ऐसे नए ढाँचे खड़े करना चाहती है, जो नए भारत की आशाओं और उसके मूल्यों के प्रतीक हों, और उनकी जड़ें भारत की पुरातन सभ्यता की संस्कृति और व्यक्तिगत विकास में निहित हों। मास्टर प्लान में ऐसे नए भवनों की परिकल्पना की बात की गई है, जो आने वाले 150-200 सालों के लिए प्रतिष्ठा का विषय हों। गौरतलब है कि ब्रिटिश सरकार की ताकत के चरम-काल (1920 से 1940 का दशक) के मध्य में बने लुटियंस को भी लगभग 100 साल होने जा रहे हैं, और यह इलाका और इसके भवन किसी भी अन्य स्थान से अधिक दिल्ली के प्रतीक और पहचान माने जाते हैं।
प्लान में भव्य इमारतों को बनाने और अब जर्जर हो चुकी इमारतों के सुरक्षित ध्वस्तीकरण के अलावा सार्वजनिक सुविधाओं, जैसे पीने का पानी, पार्किंग स्पेस और हरित कवर (पेड़-पौधे) भी बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया है। सरकार ने इसके लिए अंतिम तिथि 2024 तय की है। डेक्कन हेराल्ड के मुताबिक तो 2022 के अगस्त में शुरू होने जा रहा उस वर्ष का संसदीय मानसून सत्र भी नए संसद भवन में हो सकता है।
म्यूज़ियम बनेंगे नॉर्थ, साउथ ब्लॉक?
फ़िलहाल केंद्रीय सचिवालय के नॉर्थ और साउथ ब्लॉक दो-दो कद्दावर मंत्रालयों (क्रमशः वित्त-गृह, और विदेश-रक्षा)के अलावा दर्जनों अन्य कई महत्वपूर्ण सरकारी अफसरों के बसेरे हैं। इनमें NSA और कैबिनेट सचिव से लेकर पीएमओ तक शामिल हैं। लेकिन मीडिया रिपोर्टों के अनुसार जब नई सचिवालय इमारत में यह सभी दफ्तर स्थानांतरित हो जाएंगे, तो इन ब्लॉकों को संग्रहालय में तब्दील किया जा सकता है।
नई इमारतों का निर्माण पर्यावरण को लेकर संवेदनशील ‘ग्रीन बिल्डिंग प्लान’ के मुताबिक ही होगा। साथ ही यह इमारतें भूकंप-रोधी भी होंगी।