पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी को रथयात्रा से चुनावी अभियान शुरू करनी थी लेकिन राज्य सरकार द्वारा अनुमति न देने के कारण ये संभव न हो सका। अगर ताजा घटनाक्रमों की बात करें तो तृणमूल कॉन्ग्रेस के कई सांसद पार्टी से नाराज़ चल रहे हैं और उनके पार्टी को छोड़ कर भाजपा का हाथ थामने की सम्भावना है। कल ही (9 जनवरी) तृणमुल कॉन्ग्रेस के 38 वर्षीय सांसद सौमित्र ख़ान अपने समर्थकों सहित भाजपा में शामिल हो गए थे, जिसे राज्य के राजनीतिक समीकरण में बड़े उलटफेर की सम्भावना के रूप में देखा गया। भाजपा नेता मुकुल रॉय ने इस अवसर पर कहा कि तृणमूल के छह सांसद उनके संपर्क में हैं, जो आम चुनावों से पहले भाजपा में शामिल होना चाहते हैं।
बोलपुर से सांसद अनुपम हाज़रा के भी भाजपा में शामिल होने की ख़बरों के बीच तृणमूल कॉन्ग्रेस ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया है। ख़बरों के अनुसार वो भी जल्द ही भाजपा में शामिल होंगे।
बता दें कि मुकुल रॉय भी पूर्व में TMC के नेता रहे हैं, जो नवंबर 2017 में भाजपा में शामिल हुए थे। केंद्र सरकार में रेल मंत्री रह चुके रॉय और केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सौमित्र ख़ान का भाजपा में स्वागत किया। इस अवसर पर ख़ान ने कहा कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काम करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में सिंडिकेट राज और पुलिस राज साथ-साथ चल रहे हैं। वहीं प्रधान ने कहा कि 2019 के आम चुनावों में पूर्वी भारत प्रधानमंत्री मोदी का सबसे बड़ा किला होगा और ये उसी दिशा में लिए गया एक स्टेप है।
भाजपा में शामिल होने से पहले विष्णुपुर से सांसद ख़ान ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से भी मुलाक़ात की थी। उनके पार्टी में आने के बाद भाजपा को पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिले में बड़ी बढ़त मिलने की उम्मीद है, जहाँ पहले ही 234 ग्राम पंचायत जीत कर पार्टी के हौसले बुलंद हैं। सूत्रों का ये भी कहना है कि अभी भी TMC में मुकुल रॉय के बहुत से वफ़ादार नेता हैं, जो जल्द ही भाजपा ज्वॉइन कर सकते हैं।
बंगाल के राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा भी काफी जोरों पर है कि भाजपा ज्वॉइन करने वाले तृणमूल नेताओं में अगला नंबर अर्पिता घोष और शताब्दी रॉय का हो सकता है। अर्पिता घोष बलुर से सांसद हैं और बंगाली फिल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री रही शताब्दी रॉय वीरभूमि से सांसद हैं।
बंगाल में पल-पल बदल रहे राजनीतिक घटनाक्रम और तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ भाजपा द्वारा चलाए जा रहे आक्रामक अभियान ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सकते में डाल दिया है। 19 जनवरी को भाजपा के खिलाफ़ शक्ति प्रदर्शन की तयारी कर रही तृणमूल कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्षा ममता बनर्जी की रैली को वामदलों ने भी नकार दिया है, जिससे उनके विपक्षी एकता दिखाने के मंसूबों पर पानी फिर सकता है। भाजपा के खिलाफ एक ‘संघीय ढाँचे’ को खड़ा करने की कोशिश में लगी ममता के लिए यह एक बड़ा झटका माना जा रहा है। अब राजनीतिक पंडितों की निगाहें इस रैली की तरफ टिकी हैं, जिस से बंगाल की राजनीति में आगे का रुख़ तय होगा।