महाराष्ट्र की सत्ता पर आसित होने के लिए अपनी कट्टर हिंदुत्व की छवि से समझौता कर कॉन्ग्रेस, एनसीपी के साथ गठबंधन करने वाले शिवसेना प्रमुख और वर्तमान में राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर निशाना साधने के लिए अपने हिंदुत्व को भाजपा के हिंदुत्व से अलग बताया है। उन्होंने बुधवार को कहा कि धर्म का इस्तेमाल करके सत्ता कब्जाना उनके हिंदुत्व का हिस्सा नहीं है।
सीएम उद्धव ठाकरे ने अपनी पार्टी की तुलना भाजपा से करते हुए कहा, “हमारे सोचने का तरीका एक सा नहीं है। मैं एक अशांत हिंदू राष्ट्र नहीं चाहता। धर्म को इस्तेमाल करके सत्ता हासिल करना मेरे हिंदुत्व का हिस्सा नहीं है। मैं ऐसे हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना नहीं करता।”
इसके बाद वे मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहते हैं कि ऐसा हिन्दू राष्ट्र वे स्वीकार नहीं करेंगे। क्योंकि उनके लिए हिन्दू राष्ट्र की व्याख्या अलग है। उनका कहना है, “यह हिन्दुत्व मेरे पिता द्वारा सिखाया गया नहीं है। हिन्दुत्व के संदर्भ में गलतफहमी फैलाकर अथवा दुरुपयोग करके सत्ता हासिल करना मेरा हिन्दुत्व नहीं है।”
Referring to the BJP, the Shiv Sena chief said using religion to grab power is not his version of Hindutva.@pankajcreates https://t.co/HnKIDF7kNp
— India Today (@IndiaToday) February 5, 2020
भाजपा के साथ एक लंबे वक्त तक गठबंधन में रहने वाले शिवसेना दल के प्रमुख ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि वे हर समय कहते हैं कि हिंदू राष्ट्र होना चाहिए, लेकिन आज लोग एक दूसरे को मार रहे हैं और देश में अशांति का माहौल है। ये उनका हिंदुत्व नहीं है। यह वह नहीं है, जो सिखाया गया है। उनके मुताबिक जिन लोगों ने सत्ता हथियाने के लिए हिंदुत्व की गलत व्याख्या की, वे हिंदुत्व के हिमायती नहीं हैं।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले एनआरसी का पुरजोर विरोध कर उद्धव ठाकरे ने इस मामले पर अपना पक्ष साफ किया था। मगर, अब एक बार फिर उन्होंने ‘सामना’ को दिए साक्षात्कार में इस मुद्दे पर अपना बयान दिया है। उनका कहना है कि कि वो प्रदेश में किसी कीमत पर एनआरसी लागू नहीं होने देंगे। क्योंकि इसमें मुस्लिमों के साथ हिंदू भी पीसे जाएँगे।
इसके बाद उन्होंने इस साक्षात्कार में सीएए को लेकर अपना पक्ष साफ किया है। यहाँ सीएए का बचाव करते हुए कहा कि सीएए लोगों से उनके नागरिक अधिकारों को नहीं छीनता हैं। उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून में नागरिका छीनने की बात नहीं है, बल्कि दूसरे मुल्कों से सताए गए अल्पसंख्यकों नागरिकता देने का प्रावधान है।
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