Tuesday, November 5, 2024
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नहीं है जो मुहम्मद का, हमारा हो नहीं सकता: कॉन्ग्रेसी ‘आचार्य’ प्रमोद कृष्णन की घटिया और जहरीली कविता

प्रमोद कृष्णन इस बार चुनाव लड़ने के लिए कॉन्ग्रेस में आए हैं, ऐसा नहीं है। उन्होंने 2014 में भी संभल लोकसभा सीट से कॉन्ग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। उस समय उसकी ज़मानत ज़ब्त हो गई थी।

भारतीय जनता पार्टी के प्रादुर्भाव के बाद से ही कॉन्ग्रेस ने भी सॉफ्ट हिंदुत्व का दिखावा शुरू कर दिया है। यही कारण था कि गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गाँधी ने मंदिर-मंदिर घूम कर ‘टेम्पल रन’ किया। कॉन्ग्रेस को भरोसा है कि कथित अल्पसंख्यक वर्ग तो उनके मुख्य वोटर हैं ही और हिंदुत्व का दिखावा कर हिन्दुओं को भी लुभाया जा सकता है। हाल ही में राहुल गाँधी चुनाव लड़ने के लिए वायनाड गए और कई कॉन्ग्रेस नेताओं ने साफ़-साफ़ कहा है कि अल्पसंख्यकों की अच्छी संख्या होने के कारण उन्हें वहाँ से जीतने में परेशानी नहीं होगी। इसी तरह नक्सलियों के भी समर्थन में कॉन्ग्रेस नेता बोलते रहे हैं। लेकिन कॉन्ग्रेस अब वापस मुस्लिमों को लुभाने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है। सपा-बसपा महागठबंधन के दौर में मुस्लिम वोटरों के छिटकने की आशंका से घिरी कॉन्ग्रेस ने मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति अपनाने में तेज़ी लाई है।

लखनऊ लोकसभा क्षेत्र से कॉन्ग्रेस उम्मीदवार और ख़ुद को आचार्य बताने वाले प्रमोद कृष्णन कॉन्ग्रेस के हर उस रवैये के साक्षात प्रतिमूर्ति हैं, जिस पर चलकर पार्टी अपनी खोई सत्ता हासिल करने की चेष्टा कर रही है। कॉन्ग्रेस नेता प्रमोद कृष्णन वैसे तो हिन्दू साधु-संत की वेशभूषा में रहते हैं लेकिन उनमें या उनकी विचारधारा में न हिन्दुओं के कोई लक्षण दिखते हैं और न ही साधु-संतों की मर्यादा का तनिक भी समावेश है। हिन्दू संत की चोली में प्रमोद कृष्णन को कॉन्ग्रेस ने झूठ, प्रोपेगेंडा और तुष्टिकरण की नीति पर अमल करने के लिए रखा हुआ है। लेकिन ऐसे में प्रमोद कृष्णन को अपने नाम से ‘आचार्य’ हटा देना चाहिए। नीचे दी गई वीडियो में आप इन्हें ‘मस्त-मस्त’ गाने पर थिरकते और गाते देख सकते हैं।

भारतीय अखाड़ा परिषद द्वारा पाखंडी बाबा के रूप में प्रसिद्ध प्रमोद कृष्णन संभल कल्कि पीठ के पीठाधीश्वर भी हैं लेकिन इन्होंने इस चोली में हिन्दू धर्म को बदनाम करने की हरसंभव कोशिश की है। प्रमोद कृष्णन के एक अन्य साथी चक्रपाणि महाराज को भी पाखंडी बाबा के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। ऐसा नहीं है कि प्रमोद कृष्णन इस बार चुनाव लड़ने के लिए कॉन्ग्रेस में आए हैं, उन्होंने 2014 में भी संभल लोकसभा सीट से कॉन्ग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। कॉन्ग्रेस के टिकट पर उस समय उसकी ज़मानत ज़ब्त हो गई थी। प्रमोद कृष्णन को उस चुनाव में डेढ़ प्रतिशत मतों से संतोष करना पड़ा था।

2017 में एक कार्यक्रम में प्रमोद कृष्णन ने सांप्रदायिक बयान देते हुए साफ़-साफ़ कहा था कि जो मुहम्मद का नहीं हो सकता वो हमारा भी कभी नहीं होगा। मुस्लिमों को लुभाने के लिए प्रमोद कृष्णन ने कह डाला था कि जो मुहम्मद का नहीं हुआ, वह किसी और का कभी नहीं हो सकता है। नीचे संलग्न की गई वीडियो में आप उन्हें ऐसा बोलते हुए सुन सकते हैं।

अपने आप को पैगम्बर मुहम्मद के दामाद हज़रत अली का अनुयायी बताने वाले प्रमोद कृष्णन चुनाव के दौरान ध्रुवीकरण की कोशिश करते रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक़ पर निर्णय देने के बावजूद वह टीवी न्यूज़ चैनलों पर आकर केंद्र सरकार से पूछते रहते हैं कि जैसे तीन तलाक़ पर कार्य किया गया, वैसे ही राम मंदिर पर क्यों नहीं आगे बढ़ा जा रहा है? लखनऊ में प्रमोद कृष्णन का मुक़ाबला वर्तमान सांसद और केंद्र गृह मंत्री राजनाथ सिंह से है। सपा-बसपा महागठबंधन ने यहाँ से कॉन्ग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा को टिकट दिया है। शत्रुघ्न अपनी पार्टी को नज़रअंदाज़ कर अपनी पत्नी का प्रचार करने लखनऊ आए भी थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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