एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने खुद पर लग रहे आरोपों के बीच अपने परिवार और मिर्ची नाम से कुख्यात रहे इक़बाल मेमन के बीच फाइनेंशियल डील पर मीडिया के सामने आकर सफाई दी। पटेल ने अपने बचाव में कहा कि उनकी लैंड डील पूरी तरह से वैध थी और उसकी पूरी कार्रवाई कायदे कानून के साथ की गई थी।
प्रफुल्ल ने विवादित ज़मीन को लेकर बताया कैसे उस जमीन को 1990 में बॉम्बे हाईकोर्ट की निगरानी में एमके मोहम्मद ने हजरा इकबाल मेमन को बेचीं थी। उन्होंने बताया कि 2004 में परिवार की आंतरिक कलह के बाद इस ज़मीन के लिए उनकी डील इक़बाल मेमन से हुई थी, उन्होंने बताया कि यह डील रजिस्ट्रार के सामने हुई थी और उसके बाद सारे दस्तावेज़ डीएम के सामने पेश किए गए थे। प्रफुल्ल ने कहा कि अगर इकबाल मेमन दागी होता तो प्रशासन इस वक़्त ही डील पर रोक लगा सकता था।
https://platform.twitter.com/widgets.jsSHOCKER: Praful Patel refers to 1993 Mumbai blasts as ‘unfortunate’ while justifying links with D-company https://t.co/4NGgkuiBUs
— Republic (@republic) October 15, 2019
ज़मीन की डील को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने प्रफुल्ल पटेल को समन भेजा है जिसके बाद उन्हें 18 अक्टूबर को पेश होने का आदेश दिया गया है। प्रफुल्ल ने कहा कि मीडिया में क्या सुगबुगाहट चल रही है मैं इस पर कुछ कहना नहीं चाहता, बस मीडिया में एक रिपोर्ट के जो कुछ भी अंश आए हैं। सबको अपने हिसाब से उसका अर्थ निकालने का अधिकार है, मैं चुनाव प्रचार में था, मगर जो कुछ मीडिया में आ रहा था मुझे उस पर सफाई देने के लिए मुझे प्रचार छोड़ कर आना पड़ा।
प्रफुल्ल ने जमीन का पूरा इतिहास बताते हुए कहा कि यह जमीन माधवराव जीवाजी राव सिंधिया की हुआ करती थी जिन्होंने 1963 में इसे बेच दिया था, खरीदने वालों में प्रफुल्ल के परिवार के 21 लोग भी शमिल थे। वहीं ज़मीन के प्लाट-F में सीएफ बिल्डिंग बनी है जोकि 1970 में बनी थी, बाद में पिता की मृत्यु के बाद पारिवारिक झगड़े के चलते ज़मीनी विवाद कोर्ट पहुँच गया और 1978 के बाद वह ज़मीन बॉम्बे हाईकोर्ट की निगरानी में थी। प्रफुल्ल ने बताया कि बिल्डिंग के आसपास कुछ लोगों ने अवैध इमारतें बना ली थीं दरअसल दो रेस्तरां थे जिनपर एम के मोहम्मद नाम के व्यक्ति का कब्ज़ा था, हाई कोर्ट के रिसीवर ने 21 मार्च 1988 को 7 लाख रुपए सेटलमेंट देने को कहा और कोर्ट ऑर्डर के बाद से वह जमीन उसके पास चली गई। 4 अप्रैल 1990 को उसने कोर्ट की निगरानी में यह जमीन हजरा इकबाल मेमन को बेच दी। यह 1990 तक उस जमीन का इतिहास रहा।’
प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि अगर डील में कुछ भी संदिग्ध रहा होता तो उसी समय पकड़ में आ जाता, दरअसल 2004 में जो जमीन की डील हुई, वह भी हाई कोर्ट के आदेश के अनुरूप हुई। हजरा इकबाल मेमन और हमारे बीच जो डीड हुई, वह सारे वैध दस्तावेजों के साथ हुई। इकबाल मेमन को लेकर कुछ भी संदिग्ध होता, तो उसी समय पकड़ में आ जाता। इकबाल मेमन की फैमिली आयकर दिया करती थी, 1999 से उसके पास पासपोर्ट था और बिना रोक-टोक के यूएई आया जाया करता था। प्रफुल्ल के मुताबिक वे उस जमीन के टुकड़े के सह-मालिक थे, इसलिए चाहकर भी लैंड डील से इनकार करना मुश्किल था। मैंने डील के समय अपने वकीलों से भी इकबाल मेमन के सभी दस्तावेजों की जाँच करने को कहा था और उस वक्त ऐसा कुछ भी संदिग्ध सामने नहीं आया।
बता दें कि प्रफुल्ल पटेल के परिवार पर आरोप है कि उनके परिवार की कंपनी मिलेनियम डेवलपर्स और मिर्ची के नाम से कुख्यात दिवंगत इकबाल मेमन के बीच डील हुई थी। प्रवर्तन निदेशालय की ओर से इसी डील के लीगल कागजों की जाँच की जा रही है। वहीं बीजेपी की ओर से संबित पात्रा ने प्रेस कांफ्रेंस कर इस पूरे मामले पर एनसीपी और कॉन्ग्रेस को घेरते हुए सवाल किया है कि पटेल परिवार और दाऊद के बीच क्या कनेक्शन है? पात्रा ने पूछा कि आखिर पटेल परिवार का आतंकी सरगना दाउद इब्राहीम से क्या सम्बन्ध है।