केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार (फरवरी 12, 2020) को एक पुस्तक का विमोचन किया। ये पुस्तक स्वतंत्र भारत के पहले गृह सचिव वीपी मेनन की जीवनी है। इसे इतिहासकार नारायणी बसु ने लिखा है। जयशंकर ने इस दौरान कहा कि ये पुस्तक ‘नेहरू के मेनन’ और ‘पटेल के मेनन’ के बीच के अंतर को बयाँ करती है। बता दें कि सरदार पटेल देश के पहले गृहमंत्री थे, जिनके अंतर्गत वीपी मेनन ने काम किया था। जूनागढ़ और हैदराबाद को भारत में मिलाने वाले कार्य में भी मेनन ने पटेल का सहयोग किया था।
जम्मू कश्मीर को लेकर भी मेनन उस वक्त नेहरू और पटेल को सलाह दिया करते थे। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि नारायणी बसु द्वारा लिखी गई पुस्तक में एक ऐतिहासिक हस्ती के साथ न्याय किया गया है, जो काफ़ी पहले हो जाना चाहिए था। इस किताब में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। इससे पता चलता है कि जवाहरलाल नेहरू नहीं चाहते थे कि सरदार पटेल उनके मंत्रिमंडल में शामिल हों। वो पटेल को पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल में लेना ही नहीं चाहते थे। एस जयशंकर ने किताब के इस अंश को उद्धृत किया।
विदेश मंत्री ने कहा कि राजनीतिक मामलों से जुड़ा इतिहास लिखने वाला कार्य ईमानदारी के साथ किया जाना चाहिए, पूर्व में हुए राजनीतिक घटनाक्रमों को समझाते हुए। उन्होंने बताया कि वीपी मेनन ने कहा था कि जब सरदार पटेल की मृत्यु के बाद उनके द्वारा किए गए ऐतिहासिक बड़े कार्यों व उनकी यादों को मिटाने के लिए जानबूझ एक एक कुत्सित अभियान चलाया गया। मेनन कहते थे कि उन्होंने इस अभियान को देखा था और कई बार वो इसका निशाना भी बन गए थे।
देश के प्रथम कैबिनेट की सूची जब बनी थी, तब नेहरू ने पटेल को उस सूची से हटा दिया था। जयशंकर ने कहा कि ये चर्चा का विषय है। इस पर बहस होनी चाहिए कि आखिर नेहरू क्यों पटेल को मंत्री नहीं बनाना चाहते थे? बकौल केंद्रीय विदेश मंत्री, लेखिका ने इस विषय पर विस्तार से लिखा है और वो भी सबूत के साथ। हालाँकि, कथित इतिहासकार रामचंद्र गुहा को ये सब पसंद नहीं आया।
Exercise of writing history for politics in the past needs honest treatment. “When Sardar died, a deliberate campaign was begun to efface his memory. I know this, because I have seen it, and at times, I fell victim to it myself. ” So says VP Menon. pic.twitter.com/UuQ2YbYxyS
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 12, 2020
ख़ुद को मातम गाँधी मामलों का विशेषज्ञ बताने वाले गुहा ने प्रोपेगंडा पोर्टल ‘द प्रिंट’ में प्रोफेसर श्रीनाथ राघवन द्वारा लिखे गए एक लेख का जिक्र करते हुए कहा कि नेहरू द्वारा सरदार पटेल को मंत्री न बनाने वाली बात झूठ है, मिथक है। उन्होंने कहा कि उक्त लेख में इस सम्बन्ध में विस्तारपूर्वक बताया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि देश के विदेश मंत्री फेक न्यूज़ का प्रसार कर रहे हैं और आधुनिक भारत के दो निर्माताओं के बीच की ‘दुश्मनी’ की झूठी बातें कर रहे हैं। उन्होंने जयशंकर को सलाह दी कि उन्हें ये चीजें भाजपा आईटी सेल के लिए छोड़ देना चाहिए क्योंकि ये भारत के विदेश मंत्री का कार्य नहीं होता है।
Some Foreign Ministers do read books. May be a good habit for some Professors too. In that case, strongly recommend the one I released yesterday. https://t.co/d2Iq4jafsR
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 13, 2020
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने फर्जी इतिहासकार रामचंद्र गुहा के इस आरोप का करारा जवाब दिया। उन्होंने उन्हें कहा कि कुछ विदेश मंत्री ढेर सारी किताबें पढ़ते हैं और प्रोफेसरों के लिए भी ये अच्छी आदत हो सकती है। उन्होंने गुहा को सलाह दी कि वो नारायणी बसु द्वारा लिखित वीपी मेनन की जीवनी पढ़ें, जिसका उन्होंने विमोचन किया है।