Sunday, November 17, 2024
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बंगाल की ‘हिंसक घटनाओं’ की रिपोर्ट्स पर NHRC ने लिया संज्ञान: ममता सरकार को नोटिस भेजा, चुनाव से पहले अपना ऑब्जर्वर भी नियुक्त किया

मानवाधिकार आयोग ने यह भी माना है कि इन घटनाओं के अलावा भी पश्चिम बंगाल के अलग-अलग हिस्सों में हिंसा की कई घटनाएँ हुई हैं। इन हिंसाओं में दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं की आपस में भिड़ंत शामिल है। NHRC ने अपनी प्रेसनोट में पश्चिम बंगाल में साल 2018 के चुनावों को सबसे हिंसक और खूनी माने जाने की टिप्पणी की है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मीडिया रिपोर्ट्स का स्वतः संज्ञान लेते हुए अपने एक सीनियर अधिकारी को पश्चिम बंगाल में मानवाधिकार पर्यवेक्षक के तौर पर नियुक्त किया है। DG स्तर के ये पर्यवेक्षक राज्य चुनाव आयोग से बातचीत कर के आने वाले पंचायत चुनावों में संवेदनशील स्थानों की पहचान करेगा। आयोग ने ममता सरकार के गृह मंत्रालय को भी नोटिस जारी करते हुए उनके द्वारा मानवाधिकार संरक्षण के प्रयासों पर रिपोर्ट तलब की है। NHRC ने अपने इस कदम की जानकारी रविवार (11 जून 2023) को दी है।

NHRC के मुताबिक पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा के दौरान घटी घटनाओं के बारे में मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया गया है। इस रिपोर्ट में राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाए जाने की बात कही गई थी। पहले उदाहरण के तौर पर पूर्वी मेदिनीपुर जिले में एक 60 वर्षीय बूथ ध्यक्ष की कथित तौर पर अपहरण के बाद हत्या का जिक्र है। इस हत्याकांड में मृतक के परिजनों ने विरोधी दल के 34 स्थानीय कार्यकर्ताओं को जिम्मेदार ठहराया था। दूसरे मामले में संजय तांती नाम के व्यक्ति को कथित तौर पर अज्ञात स्थान पर ले जा कर बुरी तरह से पीटा गया था।

NHRC ने तीसरे मामले के तौर पर आसनसोल (पश्चिम बर्धमान) के राजेंद्र शॉ नाम के नेता की हाईवे पर गोली मार कर हुई हत्या का जिक्र किया है। मानवाधिकार आयोग ने यह भी माना है कि इन घटनाओं के अलावा भी पश्चिम बंगाल के अलग-अलग हिस्सों में हिंसा की कई घटनाएँ हुई हैं। इन हिंसाओं में दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं की आपस में भिड़ंत शामिल है। NHRC ने अपनी प्रेसनोट में पश्चिम बंगाल में साल 2018 के चुनावों को सबसे हिंसक और खूनी माने जाने की टिप्पणी की है।

पुरानी घटनाओं का जिक्र करते हुए मानवाधिकार आयोग ने भविष्य में उनकी पुनरावृत्ति रोकने के लिए समय रहते कदम उठाए जाने की जरूरत पर जोर दिया है। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए बताया है कि कोई राज्य सरकार किसी एक समूह द्वारा दूसरे समूह को दी जा रही धमकियों को सहन नहीं कर सकती। आयोग द्वारा किसी भी राज्य सरकार द्वारा हर किसी की सुरक्षा उसका संवैधानिक कर्तव्य भी बताया गया है। आयोग ने NHRC ने अपने जाँच विभाग के DG (महानिदेशक) विशेष मानवाधिकार पर्यवेक्षक के रूप में पश्चिम बंगाल में नियुक्त करने का फैसला लिया है।

DG जाँच के नेतृत्व में मानवाधिकार आयोग की टीम पश्चिम बंगाल राज्य में घटने वाली किसी भी घटना का ऑन द स्पॉट सर्वेक्षण करेगी। साथ ही यही टीम राज्य चुनाव आयोग के साथ मिल कर उन संवेदनशील स्थानों को भी चिन्हित करेगी जहाँ हिंसा की आशंका अधिक रहती है। जब संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान हो जाएगी तो उसके बाद डीजी (जाँच) पंचायत चुनावों को भयमुक्त और निष्पक्ष सम्पन्न करवाने को ले कर एक रिपोर्ट पेश करेंगे। इस रिपोर्ट में संवेदनशील इलाकों में माइक्रो ह्यूमन राइट्स ऑब्जर्वर की तैनाती जैसे कदम शामिल होंगे।

इन सभी तैयारियों के साथ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अपने DG जाँच को सहयोग करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार के मुख्य सचिव और DGP को नोटिस जारी किया है। नोटिस में इन सभी से राज्य में कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी माँगी गई है। NHRC ने भारत सरकार के गृह मंत्रालय को भी नोटिस जारी कर के अपने इस कदम की जानकारी दे दी है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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