5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में से 4 राज्यों में कॉन्ग्रेस की बड़ी हार हुई। ऊपर से विपक्षी दलों ने मिल कर जो I.N.D.I. गठबंधन बनाया था, वो भी बिखर गया। मध्य प्रदेश में गठबंधक के घटक दल सपा, जदयू और AAP अलग-अलग लड़े। अब इस बुरी हार के बाद कॉग्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार (6 दिसंबर, 2023) को I.N.D.I. गठबंधन की अगली बैठक का ऐलान कर दिया। बता दें कि पटना, बेंगलुरु और मुंबई में गठबंधन की 3 बैठकें हो चुकी हैं।
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने के बाद विपक्षी दलों में हड़कंप मचा हुआ है। पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के CM नीतीश कुमार और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने 6 दिसंबर को होने वाली इस बैठक से दूरी बना ली है। बता दें कि नीतीश कुमार ने ही कोलकाता, भुवनेश्वर और लखनऊ से लेकर चेन्नई तक घूम-घूम कर गठबंधन के लिए आधार तैयार किया था। अब यही क्षेत्रीय दल सीट बँटवारे से भी भाग रहे हैं।
ये बैठक दिल्ली में बुलाई गई है। पिछली बैठकों में बड़ा उत्साह समर्थकों में भी देखने को मिल रहा था, लेकिन इस बार सब गायब है। बड़े नेताओं ने इस गठबंधन से अब दूरी बनानी शुरू कर दी है। संसद का शीतकालीन सत्र भी शुरू हो चुका है। ऐसे में संसद में विपक्षी दल अलग-थलग हो चुके हैं। ममता बनर्जी तो यहाँ तक कह चुकी हैं कि उन्हें बैठक के बारे में कुछ पता तक नहीं है, ऐसे में उन्होंने उस दिन उत्तर बंगाल में एक कार्यक्रम रख लिया। उधर अखिलेश यादव ने भी नाम लिए बगैर कॉन्ग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि अब परिणाम आते ही अहंकार भी खत्म हो गया है।
#WATCH INDIA गठबंधन की 6 दिसंबर को होने वाली बैठक पर TMC सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने कहा, "हां, इसकी जानकारी नहीं दी गई… इसलिए वे(मुख्यमंत्री ममता बनर्जी) कल नहीं आ पाएंगी।"
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 5, 2023
एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर बंद्योपाध्याय कहा, "चर्चा तो होनी चाहिए…" pic.twitter.com/5DweL12hJ0
वहीं नीतीश कुमार की जगह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और जल संसाधन मंत्री संजय झा बैठक में शिरकत करेंगे। जदयू नेता निखिल कुमार ने दबाव बनाते हुए कहा है कि नीतीश कुमार को चेहरा बना कर गठबंधन उनके हिसाब से चलना चाहिए। हालाँकि, राजद की तरफ से पार्टी अध्यक्ष लालू यादव और उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव बैठक में जा सकते हैं। वहीं TMC और AAP का जोर सीट शेयरिंग पर है। एक बात साफ़ है, अब तक लग रहा था कॉन्ग्रेस ने इस गठबंधन को हाईजैक कर लिया है लेकिन इस हार के बाद उसका कद घट रहा है।