दिल्ली में गणतंत्र दिवस के दिन मंगलवार (जनवरी 26, 2021) को ‘किसान आंदोलन’ के तहत ट्रैक्टर रैली निकाली गई थी। इसमें ट्रैक्टर से स्टंट करते हुए एक ‘किसान’ की मौत हो गई। दिन भर हिंसा हुई। इसके अलावा ‘किसान आंदोलन’ में शामिल संगठन और विपक्षी दलों के नेता अलग-अलग आँकड़े देकर किसानों की मौत की बातें कर रहे हैं। अब केंद्र सरकार ने लोकसभा में कहा है कि ऐसे मृतकों को मुआवजा देने की कोई योजना नहीं है।
पंजाब के ‘भारतीय किसान यूनियन (BKU)’ ने दावा किया है कि 4 महीने से चल रहे इस विरोध प्रदर्शन में 70 से अधिक किसान मारे गए हैं। संगठन का कहना है कि इनमें अधिकतर ठंड और हार्ट अटैक के कारण मरे हैं। संगठन का कहना है कि कई युवा किसान दुर्घटना में मरे तो बुजुर्गों की मौत का आँकड़ा ज्यादा है। कई किसान संगठनों ने 76-78 का आँकड़ा भी दिया है। बताया गया कि इनमें 65 पंजाब के और 10 हरियाणा के थे।
अब केंद्र सरकार ने लोकसभा में एक प्रश्न का जवाब देते हुए कहा है कि ‘किसान आंदोलन’ में मरे ‘किसानों’ के परिजनों को मुआवजा नहीं दिया जाएगा। लगभग 29 सांसदों ने केंद्रीय किसान एवं कृषि कल्याण मंत्री से ये सवाल पूछा था। पहला सवाल था कि क्या सरकार को पता है कि हजारों किसान तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 2 महीने से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस पर सरकार ने कहा “हाँ, कुछ किसान संगठन और उसके सदस्य इसके विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं।”
Centre informs #LokSabha that it will not provide compensation to families of such farmers who lost their lives during the #FarmersProtest pic.twitter.com/ly93fGTcJo
— Live Law (@LiveLawIndia) February 2, 2021
वहीं दूसरा सवाल था कि इस आंदोलन के दौरान कितने किसानों की मौत हुई है? इस पर केंद्र सरकार ने कहा कि किसान संगठनों से हुई दर्जन भर दौर की वार्ताओं में कई बार उनसे अपील किया गया कि वो महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को इस आंदोलन में न लेकर आएँ। किसान नेताओं को कोरोना संक्रमण और ठंड स्थित अन्य कठिनाइयों की याद दिलाई। हालाँकि, सरकार ने मौत का कोई आँकड़ा नहीं दिया।
तीसरे प्रश्न में मृतकों के परिजनों को मुआवजा सम्बन्धी विवरण माँगे गए थे, जिसके उत्तर में सरकार ने ‘No Sir’ जवाब दिया। किसानों से हुई वार्ताओं के सम्बन्ध में पूछे गए चौथे प्रश्न के जवाब में सरकर ने कहा कि अब तक 11 राउंड की बैठकें हो चुकी हैं। सरकार ने बताया कि किसान नेताओं को एक के बाद एक कई प्रस्ताव दिए गए, ताकि मुद्दे का समाधान हो। इन कानूनों को वापस लेने के बारे में पूछे गए पाँचवें व अंतिम सवाल के जवाब में सरकार ने कहा कि फ़िलहाल सुप्रीम कोर्ट ने इन पर रोक लगाई हुई है।
बता दें कि अब इस ‘किसान आंदोलन’ के समर्थन में विदेशी सेलेब्रिटीज से भी ट्वीट्स करवाए जा रहे हैं। गायिका एवं अभिनेत्री रिहाना ने भी CNN की एक खबर का लिंक शेयर करते हुए पूछा कि हम इस पर क्यों बात नहीं कर रहे हैं? इस पर जवाब देते हुए कंगना रनौत ने उन्हें ‘मूर्ख’ के विशेषण से नवाजा और चुप बैठने की सलाह दी। पर्यावरण एक्टिविस्ट कही जाने वाले ग्रेटा थनबर्ग ने भी पराली जलाने वाले प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया।